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त्योहारी सीजन में खाद्य पदार्थों की सैंपलिग, स्टाक खप जाएगा तब आएगी रिपोर्ट

त्योहारी सीजन में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की छापामारी तेज हो जाती है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। चौंकाने वाला पहलू यह कि खाद्य पदार्थ के नमूनों की रिपोर्ट एक-डेढ़ माह बाद मिलेगी। सीधा अर्थ तब तक मिस ब्रांडेड (पैकिग रैपर पर गलत जानकारी) अनसेफ मिलावटी माल का स्टाक खप जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 08:38 PM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 08:38 PM (IST)
त्योहारी सीजन में खाद्य पदार्थों की सैंपलिग, स्टाक खप जाएगा तब आएगी रिपोर्ट
त्योहारी सीजन में खाद्य पदार्थों की सैंपलिग, स्टाक खप जाएगा तब आएगी रिपोर्ट

जागरण संवाददाता, पानीपत : त्योहारी सीजन में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की छापामारी तेज हो जाती है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। चौंकाने वाला पहलू यह कि खाद्य पदार्थ के नमूनों की रिपोर्ट एक-डेढ़ माह बाद मिलेगी। सीधा अर्थ, तब तक मिस ब्रांडेड (पैकिग रैपर पर गलत जानकारी), अनसेफ मिलावटी माल का स्टाक खप जाएगा। सेवन करने वाले लोग बीमार होकर इलाज से स्वस्थ भी हो जाएंगे।

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मिलावटी सामग्री सेवन करने से बीमार हुए लोग इलाज पर हजारों रुपये खर्च कर चुके होंगे। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की मौजूदा कार्यप्रणाली की यही हकीकत है। विभाग की ओर से अप्रैल-2020 से 22 अक्टूबर तक 205 सैंपल लिए हैं। इसमें से 45 फेल हुए हैं। अधिकांश सैंपल किसी न किसी त्योहार से कुछ दिनों पहले ही लिए गए हैं। कालांतर की बात करें तो वर्ष 2019 में दीपावली से पहले 38 सैंपल लिए गए थे, 11 फेल मिले। वर्ष 2018 में दीपावली से पहले 41 सैंपल लिए इनमें से 12 सैंपल फेल मिले थे। इससे भी दुखद पहलू यह कि जिला में 90 फीसद उत्पादक ऐसे हैं जिनके पास फूड लाइसेंस नहीं है। थोक-खुदरा व्यापारियों ने पंजीकरण नहीं कराया हुआ है। यानि, विभाग के पास खाद्य सामग्री बनाने और बेचने वालों की सही संख्या तक नहीं है।

विभाग रूटीन में छापामारी-चेकिग करते हुए बिना लाइसेंस-पंजीकरण वाले प्रतिष्ठानों पर कार्यवाही नहीं करता है। जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने रूटीन कार्यवाही कम होने का मुख्य कारण मैन पावर कम होना बताया। विभाग की इस कमजोरी का खामियाजा जिला वासियों को बीमार होकर चुकाना पड़ रहा है। प्रदेश में यह है मैन पावर की स्थिति

सैंपलिग, लाइसेंस, पंजीकरण व अन्य कार्यों के लिए डीओ (जिला नामित अधिकारी) बनाए गए हैं। प्रदेश के 22 जिलों में मात्र छह डीओ हैं। जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी भी प्रदेश में 13 ही हैं। अधिकांश के पास दो-तीन जिलों का प्रभार है। इनका समय भी कागजी कार्यवाही और कोर्ट की तारीखों में चला जाता है। मीट और शराब की दुकानों से परहेज

खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत मीट की दुकानों और नानवेज परोसने वाले होटलों-ढाबों को भी लाइसेंस-पंजीकरण नंबर लेना पड़ता है। विभागीय अधिकारी इन प्रतिष्ठानों पर छापामारी का साहस नहीं जुटा पाते। यही स्थित शराब-बीयर दुकानों की भी है। दीपावली पर लगती हैं 500 से अधिक अस्थाई दुकानें

दीपावली, गोवर्धन-भैयादूज पर्व को भुनाने के लिए मिलावटखोरों की जिला में 500 से अधिक अस्थाई दुकानें सजती हैं। महज दो-तीन दिन लगने वाली इन दुकानों पर हजारों क्विटल माल खपता है। अस्थाई दुकानदार मिलावटी माल बेचकर घरों को लौट जाते हैं। विभाग के पास पर इन अंकुश लगाने की कोई रणनीति नहीं है। एफएसएसएआइ नंबर पर नहीं ध्यान

खाद्य-पेय पदार्थ तैयार कर,बेचने वालों को उत्पाद की पैकिग, बिल, डेबिट नोट, क्रेडिट नोट पर भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) का लाइसेंस नंबर लिखा होगा। यह नियम एक अक्टूबर से लागू होगा। विभाग का ध्यान अभी इस ओर भी कम है। सभी की नहीं फोसटेक ट्रेनिग

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण का फोसटेक (फूड सेफ्टी ट्रेनिग एंड सर्टिफिकेशन) प्रोग्राम चल रहा है। होटल और रेस्टोरेंट के मालिकों, डेयरी उत्पादकों, हलवाइयों, अचार-पापड़, चाट-पकौड़ी, चाइनीज-थाई, साउथ इंडियन भोजन परोसने वालों को हाइजीन का पाठ पढ़ाया जाता है। सभी एफबीओ (फूड बिजनेस आपरेटर) यानि रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस धारकों के लिए यह अनिवार्य है। हैरत, जब जिला में 90 प्रतिशत के पास लाइसेंस-पंजीकरण नहीं है तो हाइजीन की ट्रेनिग बेअसर रहना तय है। इतनी है फूड लाइसेंस फीस

खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (हरियाणा) के संयुक्त आयुक्त डीके शर्मा ने बताया कि 1000 किलोग्राम प्रतिदिन खाद्य सामग्री तैयार करने वाली फर्म को प्रतिवर्ष 3000 हजार रुपये लाइसेंस फीसद चुकानी होगी। 2000 किलोग्राम प्रतिदिन उत्पादन करने वाली फर्म को 5000 फीस देनी होगी। सैंट्रल का लाइसेंस बनवाने की फीस 7500 रुपये है। यह है पंजीकरण शुल्क

घरेलू-रसोई का सामान सहित दूसरी खाद्य सामग्री बेचने वाले खुदरा-थोक दुकानदारों को 2000 रुपये पंजीकरण फीस देनी होगी। ठेली-पटरी दुकानों के लिए यह फीस मात्र 100 रुपये है। संयुक्त आयुक्त ने बताया कि विभाग की एक वैन में बैठी टीम बाजारों में सैंपलिग और लोगों को जागरूक करती है।


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