हरियाणा शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की सेवा पुस्तिकाओं का अटका सत्यापन, अटकेगा वेतन
हरियाणा शिक्षा विभाग (Haryana Education Department) के कर्मचारियों की सेवा पुस्तिकाओं का सत्यापन अटका हुआ है। इससे वेतन मिलने में परेशानी हो सकती है। पिछले साल भर में 15 बार निदेशालय ने सत्यापन के बारे में पत्र लिखकर अवगत कराया।
समालखा (पानीपत), जागरण संवाददाता। शिक्षा विभाग से जुड़े कर्मचारियों को लेकर खबर है। एचआरएमएस पोर्टल पर दर्ज समस्त नियमित कर्मचारियों की सेवा पुस्तिकाओं का सत्यापन न होना, उनके वेतन की राह में बाधा बन सकता है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक सीनियर सेकेंडरी के जहां 10, वहीं प्राथमिक शिक्षा के छह प्रतिशत से ज्यादा कर्मचारियों की सेवा पुस्तिकाओं का अभी तक सत्यापन नहीं हो पाया है।
ऐसे में डायरेक्टर सेकेंडरी एवं डायरेक्टर प्राथमिक शिक्षा ने प्रदेश के सभी डीईओ व डीईईओ को पत्र लिख 23 नवंबर तक बचे कर्मचारियों की सेवा पुस्तिकाओं का सत्यापन कराने के निर्देश जारी किए हैं। ताकि उनके वेतन की राह में किसी तरह की दिक्कत न आए। हालांकि इससे पहले भी निदेशालय करीब एक साल में 15 बार पत्र लिख चुका है। लेकिन अभी तक कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। अब निदेशालय ने उक्त काम को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं।
शिक्षा निदेशालय के पत्र के मुताबिक विभाग के एचआरएमएस पोर्टल पर दर्ज काम करने वाले सभी नियमित कर्मचारियों के संबंध में डिजिटलीकरण के साथ-साथ सेवा पुस्तिकाओं के सत्यापन को सुनिश्चित करने के लिए बार-बार पत्र लिखे गए। 15 नवंबर को भी पत्र लिख 18 नवंबर तक सेवा पुस्तिकाओं के सत्यापन का कार्य पूर्ण कराने के निर्देश दिए गए, लेकिन अभी भी काफी कर्मचारियों की सेवा पुस्तिकाओं का सत्यापन नहीं हो पाया है।
निदेशालय का साफ तौर पर कहना है कि यदि किसी कर्मचारी की सेवा पुस्तिका पूर्ण नहीं होगी तो एचआरएमएस पोर्टल ऐसे कर्मचारियों के लिए इस माह के वेतन बिल जनरेट करने की अनुमति नहीं देगा।
23 तक कराना होगा सत्यापन
निदेशालय ने सभी डीईओ व डीईईओ को लिखा है कि अपने अधीनस्थ सभी डीडीओएस और कर्मचारियों को लंबित सेवा पुस्तकों का सत्यापन 23 नवंबर तक सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करें। यदि कोई डीईओ, डीईईओ व डीडीओ समय अवधि के भीतर ऐसा करने में विफल रहता है, तो एचआरएमएस पोर्टल दिसंबर, 2022 में भुगतान किए गए नवंबर महीने के वेतन बिलों को उत्पन्न करने की अनुमति नहीं देगा। ऐसे में देरी के लिए उसे व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा। निदेशालय ने इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देने के लिए कहा है।