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यमुनानगर में कचरा पर घमासान, टेंडर के विरोध में शहर की सरकार

यमुनानगर में कैल में पड़े कचरे के उठान को लेकर घमासान शुरू हो गया है। कैल से कचरा उठान के लिए 16.75 करोड़ का टेंडर लगाया गया। अब इसके विरोध में शहर की सरकार आ गई और निकाय मंत्री से शिकायत की।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 19 May 2022 09:54 AM (IST)Updated: Thu, 19 May 2022 09:54 AM (IST)
यमुनानगर में कचरे के टेंडर को लेकर विरोध।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। अंबाला-जगाधरी मार्ग पर गांव कैल स्थित सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में पड़े कचरे के उठान के टेंडर पर सीनियर डिप्टी मेयर सहित भाजपा के ही पार्षदों से सवाल उठा दिए। मामला शहरी स्थानीय निकाय मंत्री डा. कमल गुप्ता व सीएम मनोहर लाल के पास पहुंच गया है।

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आरोप है कि इस साइट से कचरा उठान के लिए लगाए गए टेंडर में बड़ा घालमेल किया जा रहा है। यह न केवल सरकारी राजस्व का दुरुपयोग है बल्कि आनन-फानन में लिया गया निर्णय करार दिया गया है। पार्षदों ने टेंडर को रद करने की मांग की है। शिकायत की कापी शिक्षामंत्री कंवरपाल, विधायक घनश्याम दास अरोड़ा, कमिश्नर अजय सिन्हा व मेयर मदन चौहान को भी प्रेषित की गई है।

ये पार्षद विरोध में उतरे

कैल से कचरा उठान के लिए लगाए गए टेंडर की कार्रवाई पर सीनियर डिप्टी मेयर प्रवीण शर्मा, भाजपा पार्षद अभिषेक शर्मा, पार्षद संजय कुमार, पार्षद भावना बिट्टू, राम आसरा भारद्वाज, पार्षद प्रीति जौहर, पार्षद संजीव कुमार, संकेत प्रकाश, कुसुम गोंदवाल, सविता कांबोज, पार्षद ऊषा, इनेलो से विनोद मरवाह, रिया, कांग्रेस से पार्षद से विनय कुमार, पार्षद रेखा राणा ने सवाल उठाए हैं। उनके मुताबिक यह साइट हाइवे के पास स्थित है। शहर से निकल रहा कचरा कई वर्षों से यहां गिराया जा रहा है। यहां मौजूद कचरे को जमीन से साफ करने के लिए टेंडर लगाया गया है। इस टेंडर की राशि 16.75 करोड़ तय की गई है। उनके मुताबिक इस टेंडर पर दोबारा विचार किए जाने की आवश्यकता है।

गलत तरीके से हुआ मूल्यांकन

पार्षदों का आरोप है कि साइट पर जो कचरा पड़ा हुआ है, उसका मूल्यांकन सही तरीके से नहीं हुआ है। सही मापदंडों के मुताबिक मूल्यांकन नहीं किया गया है। कचरे की पैमाइश तकनीकी तौर पर एक्सपर्ट से करवाई जानी चाहिए थी। यदि गंभीरता से इसका मूल्यांकन किया जाए तो तय शुदा राशि से कहीं कम आने का अनुमान है। हालांकि इस संदर्भ में मेयर मदन चौहान से भी मिल चुके हैं, लेकिन इसकी जांच नहीं हुई है। आरोप है कि निगम अधिकारियों ने मिलीभगत करके टेंडर खोल दिया है।

सरकारी खजाने के दुरुपयोग की तैयारी

आरोप है कि यह टेंडर सरकारी खजाने के दुुरुपयोग की तैयारी है। हरियाणा के अन्य निगमों में बड़े घोटाले सामने आ चुके हैं। यह टेंडर भी आजकल में फाइनल होने वाला है। यदि फाइनल हो जाता है तो सरकार को बड़ हानि होगी। इस टेंडर से भ्रष्टाचार की बू आ रही है। इसलिए इसको तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाए। आरोप यह भी लग रहे हैं कि कचरा उठान व निपटान करने के इस कार्य के लिए सबसे पहले टेंडर एस्टीमेट 56 करोड़ रुपये बना दिया था। उसके बाद 24 करोड़ रुपये कर दिया गया। कई पार्षदों द्वारा विरोध किए जाने पर घटाकर 16.75 करोड़ रुपये कर दिया गया। इस तरह की कार्रवाई मिलीभगत को दर्शा रही है।


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