अधिकारियों नहीं पता खनन के लिए पट्टा अनिवार्य या नहीं, न ही कार्यालय में पंजीकरण का रिकार्ड
यमुनानगर में यमुना नदी में लगातार खनन बढ़ रहा है। इसके बावजूद अधिकारी यह नहीं जानते हैं कि खनन एजेंसी के लिए भूमि का पट्टा करवाना अनिवार्य है या नहीं। इस लापरवाही की पोल आरटीआइ के तहत मांगे गए जवाब में सामने आई।
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। कारोबार करोड़ों रुपये का हो रहा है। यमुना नदी में दिनरात खनन हो रहा है, लेकिन अधिकारी यह नहीं जानते कि खनन एजेंसी द्वारा भूमि का पट्टा करवाना अनिवार्य है या नहीं। तहसीलदार रादौर कार्यालय में इस बारे कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं है। न ही जनवरी 2016 से नवंबर 2021 तक किसी भी खनन एजेंसी ने पट्टा पंजीकृत करवाया है। यह खुलासा आरटीआइ एक्ट के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ। एडवोकेट वरियाम सिंह ने यमुना में खनन से जुड़े कई मुद्दों से संबंधित जानकारी मांगी। इस दौरान अधिकारियों ने चौंका देने वाले जवाब दिए।
यह मांगी जानकारी
तहसील कार्यालय रादौर से जानकारी मांगी गई कि एक जनवरी 2016 से नवंबर 2021 तक तहसील कार्यालय में कितनी बार यमुना नदी में खनन एजेंसियों का एरिया चिन्हित करने के लिए निशानदेही की गई। इस अवधि में ही किस-किस खनन एजेंसी ने एरिया चिन्हित करने के लिए आवेदन किया। जवाब मिला कि इस बारे रिकार्ड ही उपलब्ध नहीं है। जबकि वर्ष-2018 में मांगी गई जानकारी के मुताबिक रिकार्ड उपलब्ध था। तीन साल बाद आखिर रिकार्ड कहां गायब हो गया। जबकि इस अवधि में न चोरी और न ही आगजनी की कोई घटना हुई है।
कोई विभाग नहीं लेता जिम्मेदारी
यमुना के एरिया में होने वाले अवैध खनन करने वालों पर अन्य विभाग भी कार्रवाई कर सकता है, लेकिन नहीं होती। जिसकी वजह से माफिया के हौंसले बुलंद हैं। दिन व रात में यमुना नदी में जेसीबी से अवैध माइनिंग होती है। जठलाना व रादौर एरिया में तो नदी का बहाव तक इन माफिया ने मोड़ देने का मामला सामने आ चुका है।
नियमानुसार नहीं होता खनन
जिले में 70 किमी लंबी यमुना नदी के किनारों पर 87 गांव बसे हैं। यहां पर अवैध खनन का खूब खेल चलता है। हालांकि कुछ साइटों का ठेका सरकार की ओर से छोड़ा गया है, लेकिन उसमें भी नियमों के अनुसार खनन नहीं होता। साढौरा, बिलासपुर, खिजराबाद, जठलाना एरिया में रिवर बेड के अलावा खेतों में अवैध खनन होता है। साइटों के अलावा उसके आसपास के एरिया को भी माफिया खोद रहे हैं। जिन लोगों की आसपास जमीन पड़ती है। वह भी इस खनन की वजह से परेशान हैं। शिकायत करने पर कार्रवाई नहीं होती, मजबूरी में वह भी अपने खेतों को खुदवाने के लिए तैयार हो जाते हैं ।
ओवरलोड से सड़कें हो रही क्षतिग्रस्त
खनन जोन से निकलने वाले वाहन ओवरलोड चलते हैं। इस कारण ग्रामीण एरिया की सड़कों का बुरा हाल है। रेत, बजरी व पत्थर लेकर आने वाले वाहनों की वजह से सड़कें टूट रही है। रेत से लदे वाहनों से पानी सड़कों पर टपकता रहता है। जिससे सड़कों की उम्र घट रही है। है। नव निर्मित जठलाना-रादौर मार्ग में दरारें आनी शुरू हो गई है जबकि गुमथला-करनाल मार्ग पर भी जगह-जगह गड्ढे हो चुके हैं। इसके अलावा क्षेत्र की अन्य सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं।