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गांवों में बढ़ रहा कोरोना का खतरा, यमुनानगर में सैंपलिंग कराने से घबरा रहे ग्रामीण

कोरोना की दूसरी लहर लगातार खतरनाक होती जा रही है। शहर के साथ-साथ गांवों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में ग्रामीण सैंपलिंग कराने से भी डर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग भी लापरवाह साबित हो रहा।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 04:38 PM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 04:38 PM (IST)
शहर के साथ-साथ गांवों में कोरेाना के मामले बढ़ रहे।

यमुनानगर, जेएनएन। कोरोना महामारी की दूसरी लहर काफी गति से फैल रही है। इस बार गांव में भी यह बीमारी पहुंच चुकी है। बिलासपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के गांव गनौली में चार लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से दो की रिपोर्ट अस्पताल में पहुंचने के बाद कोरोना संक्रमित आई थी। इसके अलावा गनौली समेत कई अन्य गांवों में काफी लोग बुखार, खांसी की चपेट में हैं, लेकिन वह कोरोना के डर से सैंपलिंग नहीं करा रहे हैं।

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गांव में ही झोलाझाप चिकित्सकों से दवाई लेकर इलाज करा रहे हैं। कई गांवों से ऐेसे मरीज भी आए हैं। जिन्हें कई दिनों तक बुखार रहा और वह गांव से ही दवाई लेते रहे। हालत बिगड़ने पर अस्पताल में पहुंचे। यहां उनकी मौत हो गई। उनकी रिपोर्ट में कोराेना संक्रमण की पुष्टि हुई थी।

कोरोना संक्रमण गत वर्ष के मुकाबले काफी गति से बढ़ा है। इस बार शहर से गांव में भी कोरोना संक्रमण पहुंच चुका है। आंकड़ों के हिसाब से दूसरे चरण में ग्रामीण क्षेत्रों में दोगुनी और शहरी क्षेत्र में ढाई गुना तेजी से कोरोना संक्रमण बढ़ा है। मार्च 2021 से एक मई तक 2054 ग्रामीण और 3881 मरीज शहरी क्षेत्र में मिल चुके हैं। गांवों में लगभग हर तीसरे घर में सर्दी, जुकाम, बुखार के मरीज हैं। कोरोना की दहशत के चलते लोग अस्पताल जाने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं। संक्रमण की रफ्तार तेज है, लेकिन गांवों में कहीं स्वास्थ्य विभाग की टीम नजर नहीं आ रही है।

गांव में कंटेनमेंट को लेकर गंभीर नहीं ग्रामीण

गत वर्ष काफी सख्ती रही। पुलिस भी गांवों में गश्त करती थी, लेकिन इस बार कंटेनमेंट जोन तक नहीं बनाए गए। पुलिस भी गश्त नहीं कर रही है। कुछ जगहों पर कंटेनमेंट जोन बनाए हैं, लेकिन वहां भी ग्रामीण गंभीर नहीं है। कंटेनमेंट जोन से बाहर घूमते रहते हैं। आवाजाही लगातार जारी है।

यह भी एक वजह 

ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना की दोगुनी रफ्तार होने के कई कारण है। ज्यादातर ग्रामीण शहरों में प्रतिदिन कोर्ट-कचहरी, तहसील, फैक्टरियों आदि में काम करने के लिए आते हैं। जिस कारण उनसे गांवों में रहने वाले लोगों में संक्रमित होने की संभावनाएं बढ़ रही हैं। इस महामारी के बाद से ही शहर के लोग स्वास्थ्य के प्रति सचेत हुए हैं। कोई काढ़ा का सेवन कर रहा है, तो कोई इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए योगाभ्यास कर रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के लोग इस मामले में काफी लापरवाह हैं। यदि किसी को बुखार हो जाए, तो वह होम आइसोलेशन का भी पालन नहीं करता। परिवार के अन्य लोगों से मिलता रहता है। जिस वजह से परिवार के अन्य लोग भी इस संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं।

सैंपलिंग भी हो रही कम

गत वर्ष की बात करें, तो विभाग ने मोबाइल सैंपलिंग टीम गांवों में भेजी। इसके साथ ही शहरी क्षेत्रों में सैंपलिंग की जाती थी। रेंडमली भी सैंपलिंग की गई। इस बार कोरोना के केस बढ़ रहे हैं, लेकिन मोबाइल टीम कही नजर नहीं आ रही। रेंडमली सैंपलिंग भी नहीं हुई है। जिससे पता लग सके कि कोरोना कितनों के लोगों में पहुंच चुका है। बिलासपुर के निजी चिकित्सक डा. प्रमोद बसाति का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र से काफी लोग बुखार व खांसी से पीड़ित आ रहे हैं। उन्हें कोरोना जांच कराने की सलाह दी जाती है। कुछ लोग समझदार होते हैं। वह जांच करा लेते हैं। कुछ लापरवाही बरतते हैं।

पांच दिन बुखार हुआ, अस्पताल में मौत 

मुकारमपुर निवासी 75 वर्षीय नाजरदीन ने वैक्सीन की डोज ली। इसके बाद उन्हें बुखार हुआ। पहले वह गांव से ही दवाई लेते रहे। पांच दिन तक बुखार ठीक नहीं हुआ, तो फिर अस्पताल में लेकर पहुंचे। यहां पर कोरोना जांच कराई, तो संक्रमण मिला। उनकी मौत हो गई। छछरौली के गांव गनौली में पहले बुजुर्ग को कोरोना हुआ। कई दिनों तक वह गांव से ही दवाई लेते रहे। जब हालत बिगड़ी, तो अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां उनकी मौत हो गई। उनसे पत्नी व बेटे को संक्रमण हुआ था। उन्हें भी अस्पताल में दाखिल कराया गया। दोनों की मौत हो गई।


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