साइंस ग्रेजुएट चला रहा रिक्शा, बोलता है फर्राटेदार अंग्रेजी
साइंस ग्रेजुएट चला रहा है रिक्शा। बोलता है फर्राटेदार अंग्रेजी।
राज ¨सह, पानीपत
जीटी रोड के किसी चौराहे या कॉलोनी के किसी नुक्कड़ पर ऐसे रिक्शा चालक को देखें जिसके रिक्शे के हैंडल पर दो-तीन अखबार टंगे हों। फर्राटेदार अंग्रेजी बोल रहा हो तो समझ लेना वह उत्तर प्रदेश के बरेली शहर का मदनलाल है। जी हां, अलीगढ़ विश्वविद्यालय से बीएससी पास आउट अधेड़ उम्र के इस व्यक्ति ने गृहस्थ जीवन की जिम्मेदारी को निर्वाह करते हुए यह भी साबित कर दिया कि मेहनत और ईमानदारी से किया गया कोई कार्य छोटा नहीं होता।
हैड मास्टर स्टूडियो की संचालिका पूनम सैनी ने दैनिक जागरण से ऐसे ही एक वाक्या का जिक्र किया जब उनकी मुलाकात मदनलाल से हुई। पूनम सैनी ने बताया कि एक दिन उन्हें गोहाना मोड़ से अपने स्टूडियो तक जाना था। रिक्शा का इंतजार कर रहीं थी। इसी दौरान एक रिक्शा उनके पास आकर रुक गया। रिक्शा चला रहे अधेड़ को प्रथम ²ष्टया देखने में कुछ असामान्य नहीं लगा। इसी दौरान वह अपने मोबाइल पर किसी मित्र से अंग्रेजी में बात करने लगी। बात करते-करते स्टूडियो आ गया। जैसे ही वह रिक्शा से उतरीं तो रिक्शा चालक उनसे अंग्रेजी में बात करने लगा। बात करने की जिज्ञासा बढ़ी तो उसका नाम-पता पूछा। मदनलाल ने फर्राटेदार अंग्रेजी में सभी सवालों का उत्तर दिया। रिक्शा चालक ने बताया कि वह यहां अपनी पत्नी और पुत्र-पुत्री के साथ रहता है। औद्योगिक नगरी ने लाखों को रोजगार दिया लेकिन उसे नौकरी नहीं मिली। स्व-रोजगार के लिए लाखों रुपये चाहिए थे। गृहस्थ जीवन की जिम्मेदारी का निर्वाह करने के लिए उसने पहले मजबूरी में रिक्शा चलाना शुरू किया। अब यह जीविका का साधन बन गया है। मदनलाल ने यह भी बताया कि अखबार पढ़ना उसका शौक है। रोजाना दैनिक जागरण सहित अंग्रेजी का एक अखबार दशकों से पढ़ता आ रहा है ताकि देश-दुनिया से अपडेट रह सके।
पूनम सैनी की मानें तो वे उसकी मेहनत और ईमानदारी से बहुत प्रभावित हुईं। उसे दो हजार रुपये दिए ताकि वह बच्चों के लिए किताब कॉपियां खरीद सके। सैनी ने पानीपत की स्वस्थ समाज से अपील करते हुए कहा कि मदनलाल को इससे बेहतर अवसर मिल जाए तो उसके बच्चे ठीक ढंग से शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।