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सरहदों के पार, फिर चमकेगा चावल कारोबार, हरियाणा के निर्यातकों ने नई रणनी‍ति की तैयार

हरियाणा का चावल कारोबार फिर विदेशोंं में चमकेगा। हरियाणा के बासमती चावल की महक सरहदों के पार पहुंचेगी। चावल निर्यातक नई रणनीति बनाने में जुट गए हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 12 May 2020 02:42 PM (IST)Updated: Tue, 12 May 2020 02:42 PM (IST)
सरहदों के पार, फिर चमकेगा चावल कारोबार, हरियाणा के निर्यातकों ने नई रणनी‍ति की तैयार
सरहदों के पार, फिर चमकेगा चावल कारोबार, हरियाणा के निर्यातकों ने नई रणनी‍ति की तैयार

करनाल, [पवन शर्मा]। भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में करनाल के चावल की महक फैली हुई है। यहां से कई देशों में चावल की बेहतरीन किस्मों का निर्यात होता है। लेकिन, बीते कुछ वक्त से इस कारोबार पर लगातार संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पहले ईरान व कुछ अन्य देशों में निर्यात को लेकर पैदा हुई परेशानियों के बाद कोरोना काल में निर्यातकों को खासा नुकसान हुआ। अब बार-बार तेवर बदल रहे मौसम के कारण उनकी मुश्किलें बढ़ी हैं।

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पूरी दुनिया में फैली है हरियाणा के बासमती चावल की महक

ऐसे में कारोबार को नए सिरे से गति देने के लिए निर्यातकों ने नई रणनीति बनाई है। इसके तहत निर्यात के लिए अब उन देशों में संपर्क साधा जा रह है, जहां महामारी के कारण खाद्यान्न संकट गहरा रहा है। बंगलादेश से इसकी शुरुआत हो गई है, जिसके लिए सीमा खोलने का अनुरोध किया गया है। अन्य देशों में भी कारोबार को बढ़ावा देने के प्रयास जोरों पर हैं।

बदले हालात में नई रणनीति पर फोकस कर रहे बड़े निर्यातक

कोरोना संकट से जूझते देशों में निर्यात बंद है। इससे चावल कारोबारियों को नुकसान सहना पड़ा। भारत और खासकर हरियाणा की करनाल बेल्ट का बासमती चावल खाड़ी देशों में पसंद किया जाता है। ब्रिटेन, अमेरिका व ईरान सरीखे देशों में भी बड़े पैमाने पर चावल निर्यात होता है। लेकिन इन देशों में पिछले लगभग छह माह में बमुश्किल 10-12 लाख टन चावल ही निर्यात हुआ। इससे कारोबार की चूलें हिल गईं। लिहाजा, अब मौजूदा परिस्थितियों से तालमेल बिठाते हुए निर्यातक संभावनाओं के नए द्वार खोलने के प्रयासों में जुटे हैैं।

अफ्रीका सहित खाड़ी देशों में नए सिरे से उभर रही संभावनाएं 

ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय सेतिया ने बताया कि मौजूदा हालात में भारत ही ऐसा देश है, जिसके पास चावल का सरप्लस स्टॉक है। कई देशों में या तो फसल कमजोर रही या आंतरिक परिस्थितियों के कारण वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निर्यात नहीं कर पा रहे। भारत ऐसे हालात का पूरा फायदा उठाते हुए खाड़ी व अफ्रीकन देशों समेत दुनिया भर में कारोबार की जड़ें जमा सकता हैं।

उन्‍होंने कहा कि गैर बासमती चावल निर्यातकों के लिए यह शानदार अवसर है क्योंकि, कोरोना संकट के बीच कम्बोडिया, वियतनाम व म्यांमार सरीखे देशों का चावल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निर्यात नहीं हो रहा। अमेरिका जैसा देश भी समस्याओं से जूझ रहा है। ऐसे में भारत के निर्यातक इन देशों पर फोकस करें तो नतीजे बेहतर होंगे। 

इन देशों पर फोकस

भारतीय चावल के टॉप 10 खरीददारों में पांच खाड़ी देश हैं। भारत 25 फीसदी ग्लोबल शेयर के साथ दुनिया का सबसे बड़ा राइस निर्यातक देश है, जिसमें हरियाणा के बासमती चावल की अहम भागीदारी शामिल है। अफ्रीका, न्यूजीलैंड व आस्ट्रेलिया सहित पड़ोसी देशों में भारतीय चावल खासा पसंद किया जाता है। इसी के चलते भारतीय निर्यातकों ने गृह मंत्रालय के माध्यम से बंगलादेश सीमा खोले जाने का प्रस्ताव दिया है, जहां भारतीय चावल की मांग लगातार बनी है। 

घाटे से उबरने का समय

चावल निर्यातकों के लिए यह घाटे से उबरने का भी मौका है। बीते वर्ष यह कारोबार करीब 33 प्रतिशत गिरावट का शिकार हुआ था। बाद में ईरान संकट और मौसम की मार ने कारोबारियों को मायूस किया। लेेकिन बदलते परिदृश्य में निर्यात को लेकर उनकी उम्मीदें बढ़ी हैं। हालांकि, इसके लिए वैश्विक मानक पूरे करने जरूरी होंगे। हरियाणा राइस मिल एक्सपोर्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील जैन बताते हैं कि बड़े पैमाने पर धान खुले में पड़ा है, जिसे धूप व पानी से बचाना आवश्यक है ताकि क्वालिटी कायम रहे।


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