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करनाल की स्वास्थ्य सेवाओं में संसाधनों बढ़े, लेकिन मैन पावर नहीं, अब भी 82 डाक्टरों की कमी

कोरोना संक्रमण की दो लहरों में झेलनी पड़ी थी चिकित्सकों की कमी। लेकिन इसके बाद भी कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला। नागरिक अस्पताल में 17 पद खाली पड़े। आबादी के हिसाब से 15 हजार पर एक सरकारी डॉक्टर चाहिए।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 05:41 PM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 05:41 PM (IST)
करनाल की स्वास्थ्य सेवाओं में संसाधनों बढ़े, लेकिन मैन पावर नहीं, अब भी 82 डाक्टरों की कमी
करनाल में हेल्‍थ स्‍टाफ की कमी है।

करनाल, [प्रदीप शर्मा]। कोरोना संक्रमण की दो लहरों का सामना कर चुके लोगों को अब तीसरी लहर का डर सता रहा है। इन दो लहरों से सबक लेते हुए सरकार ने संसाधनों में तो काफी वृद्धि की है, व्यवस्था में भी बदलाव किया है, लेकिन डाक्टर्स की कमी अब भी ऐसे ही बनी हुई है, जैसे कोरोना संक्रमण काल से पहले थे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि कोरोना की तीसरी लहर आई तो उससे कैसे निपटा जाएगा। सरकार के लाख प्रयास के बावजूद भी डाक्टरों की कमी पूरी नहीं हो पा रही है। इसके लिए लोग सरकार की पालिसी को भी जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। जिले में स्वास्थ्य केंद्रों के अनुसार डाक्टरों की स्थिति का आंकलन करें तो वह बेहद दयनीय है। इस समय नागरिक अस्पताल सहित 45 हेल्थ सेंटर हैं। इन संस्थानों में डॉक्टरों के स्वीकृत पद 169 हैं। जिसमें से यहां पर 82 डाक्टरों की कमी खल रही है। डाक्टरों की कमी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। क्योंकि जिले में ज्यादातर सेंटर ऐसे हैं जहां पर

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जिले में डाक्टरों की चल रही बड़ी कमी के कारण मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। नियमों के मुताबिक 15 हजार की आबादी पर एक सरकारी डाक्टर होना चाहिए, लेकिन यहां पर कुछ एरिया ऐसा है जहां पर 30 हजार की आबादी पर भी डॉक्टर नहीं मिल पा रहे हैं।

केसीजीएमसी में नहीं है सुपर स्पेशिलिटी की व्यवस्था

कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज में भी लंबे अर्से से सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टर की कमी है। हालांकि इस संबंध में डीजीएमईआर को कई बार लिखा जा चुका है, लेकिन यहां पर सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टर्स की स्थाई नियुक्ति नहीं हो पाई है। यह हालात तब है जब मेडिकल कालेज को कोरोना काल में कोविड अस्पताल घोषित कर दिया गया था। कोरोना काल के बाद यहां पर आक्सीजन प्लांट लगाया गया था, कोई खास बदलाव यहां पर नहीं हुआ।

जिले में क्या है चिकित्सा की व्यवस्था

कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के अलावा नागरिक अस्पताल वर्किंग में है। इसके साथ ही सात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, दो जनरल अस्पताल, 26 प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, एक पोलीक्लीनिक, तीन सिटी डिस्पेंसरी तथा जिला जेल में भी एक हेल्थ सेंटर में इलाज किया जा रहा है।

जिले के हेल्थ सेंटरों पर डॉक्टरों की स्थिति

सेंटर का नाम स्वीकृत पद खाली पद

नागरिक अस्पताल 42 17

सीएचसी घरौंडा 06 04

सीएचसी बल्ला 02 02

सीएचसी इंद्री 11 07

जीएच असंध 11 08

सीएचसी तरावड़ी 04 00

जीएच नीलोखेड़ी 11 04

सीएचसी कुंजपुरा 05 03

सीएचसी निगदू 05 03

पीएचसी कुटेल 02 00

पीएचसी चौरा 01 01

पीएचसी गगसीना 02 01

पीएचसी बरसत 02 02

पीएचसी गुढ़ा 02 02

पीएचसी भादसो 02 00

पीएचसी घीड़ 02 00

पीएचसी काछवा 02 01

पीएचसी खुखनी 02 01

पीएचसी मधुबन 01 01

पीएचसी ब्याना 02 01

पीएचसी रंबा 02 02

पीएचसी मृगान 02 02

पीएचसी सालवन 02 02

पीएचसी पाढ़ा 02 01

पीएचसी बड़ौता 02 01

पीएचसी गुल्लरपुर 02 02

पीएचसी सांभली 02 00

पीएचसी जुंडला 02 01

पीएचसी सग्गा 02 00

पीएचसी मूनक 02 02

पीएचसी समानाबाहू 02 02

पीएचसी परढाना 02 01

पीएचसी उपलाना 02 01

पीएचसी पोपड़ा 02 02

पीएचसी जलमाना 02 01

टीबी क्लीनिक करनाल 03 01

पोलीक्लीनिक 02 01

पीपीसी 02 02

सिटी डिस्पेंसरी 01 01

जिला जेल 02 01

नोट : इसी प्रकार सभी हेल्थ सेंटरों की स्थिति पर गौर किया जाए तो कुल 82 डाक्टरों के पद खाली पड़े हुए हैं।

नए पीएचसी व सीएचसी मिली, मगर डाक्टर नहीं

जिले को पांच नई पीएचसी व एक नई सीएचसी मिली हैं। इसके अलावा घरौंडा में इमरजेंसी भवन की सौगात मिली है। इनका निर्माण कार्य अंतिम चरण मे है। नियमों के मुताबिक 30 हजार की आबादी पर एक पीएचसी और एक लाख की आबादी पर एक सीएचसी होनी चाहिए। पीएचसी में दो और सीएचसी में सात डाक्टर होने चाहिए। लेकिन जिले की स्थिति बेहद दयनीय है। पीएचसी व सीएचसी तो मिली है, लेकिन डाक्टरों की कमी पूरी नहीं हो पाई है।

कोरोना से निपटने के लिए आक्सीजन बैड की व्यवस्था

सिविल सर्जन डा. योगेश शर्मा ने बताया कि कोरोना काल में हर सीएचसी व पीएचसी स्तर पर 10-10 आक्सीजन बैड की व्यवस्था कर दी गई थी। फिलहाल स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण मे है। यहां पर मेडिकल स्टाफ की तैनाती भी कर दी गई थी। आगामी दिनों में क्या हालात होंगे समीक्षा करने के बाद ही पूरी व्यवस्था की जाएगी। जरूरत के अनुसार इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी।


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