पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह का राज्यसभा से इस्तीफा मंजूर, करेंगे प्रदेश की राजनीति
बीरेंद्र सिंह का राज्यसभा से इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है। अब वे प्रदेश की राजनीति करेंगे। वहीं अब परिवार से सिर्फ बेटा बृजेंद्र ही लोकसभा सांसद है।
पानीपत/जींद, [कर्मपाल गिल]। पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह का राज्यसभा से इस्तीफा मंजूर हो गया है। विधानसभा चुनाव में उचाना से पत्नी प्रेमलता की करारी हार के बाद बीरेंद्र सिंह ने उपराष्ट्रपति व राज्यसभा सभापति एम वेंकैया नायडू को इस्तीफा सौंपा था। हालांकि बीरेंद्र सिंह ने लोकसभा चुनाव से ऐन पहले भी बेटे को टिकट दिलाने के लिए राच्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था, लेकिन तब उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को इस्तीफा सौंपा था। बता दें कि बीरेंद्र सिंह का पौने तीन साल का कार्यकाल बाकी था। बीरेंद्र सिंह का इस्तीफा मंजूर होने से परिवार में अब सिर्फ उनके बेटे बृजेंद्र सिंह लोकसभा सांसद रह गए हैं।
उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी प्रेमलता को उचाना से दोबारा टिकट देने पर काफी बवाल हुआ था। तब कई सांसदों व अन्य नेताओं ने परिवारवाद का आरोप लगाते हुए कहा कि एक ही परिवार से तीन सदस्य विधानसभा, राज्यसभा और लोकसभा में कैसे हो सकते हैं। विरोध के बावजूद प्रेमलता को सीटिंग एमएलए होने के कारण टिकट दे दिया गया था। मगर उन्हें जजपा प्रत्याशी दुष्यंत चौटाला ने उन्हें 47,452 वोटों के बड़े अंतर से हराया था।
विधानसभा चुनाव में भाजपा के बड़े जाट चेहरे कैप्टन अभिमन्यु, ओमप्रकाश धनखड़, सुभाष बराला को हार का मुंह देखना पड़ा। इसलिए बीरेंद्र सिंह राज्यसभा से इस्तीफा मंजूर होने के बाद अब प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होंगे। रविवार को उचाना में कार्यकर्ताओं से रूबरू होते हुए उन्होंने इसका एलान भी कर दिया। बीरेंद्र के इस्तीफे के बाद उनके समर्थकों को यह उम्मीद है कि भविष्य में केंद्रीय मंत्रिमंडल में बृजेंद्र सिंह को जगह मिल सकती है ताकि मध्य हरियाणा के जाटों को भाजपा के पक्ष में लामबंद किया जा सके।
प्रदेश से राज्यसभा की दो सीटें खाली
बीरेंद्र सिंह के इस्तीफे के साथ ही प्रदेश से राज्यसभा की दो सीटें खाली हो गई हैं। प्रदेश से राज्यसभा के पांच सदस्य चुने जाते हैं। 2014 में इनेलो के टिकट पर राज्यसभा पहुंचे रामकुमार कश्यप विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा ने उन्हें इंद्री से विधानसभा का टिकट दिया था और जीत हासिल की थी। इसके बाद गत 7 नवंबर को उन्होंने इस्तीफा सौंप दिया था। अब हरियाणा से कुमारी शैलजा, सुभाष चंद्रा और जनरल डीपी वत्स राज्यसभा सदस्य हैं।
बीरेंद्र बोले, जीत के बाद होते हैं वोटों के सौदे
राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद बीरेंद्र सिंह रविवार देर शाम उचाना पहुंचे। कार्यकर्ताओं से रूबरू होते हुए उन्होंने कहा कि अब उचाना के साथ प्रदेश की राजनीति करूंगा। राजनीति में चुनाव में कुछ तो चुनाव के बाद कुछ और होता है। जीत के बाद आप लोगों के वोटों के सौदे होते हैं। वर्ष 2009 में जब कांग्रेस की 40 सीट आई तो भजनलाल की पार्टी के 6 में से 5 विधायक कांग्रेस ले गई। पांच साल तक कांग्रेस ने तब सरकार बनाई।
कार्यकर्ता बोले, सीएम के बयान के कारण हारे
बीरेंद्र ने जब हार के कारणों के बारे में पूछा तो कार्यकर्ताओं ने सीएम द्वारा जन आशीर्वाद यात्रा में आपत्तिजनक बयान और यात्रा के दौरान गुटबाजी व मेरिट पर नौकरी लगने सहित कई कारण बताए। बीरेंद्र ने कहा कि चुनाव में भ्रामक प्रचार किया कि हमारे परिवार के तीन सदस्य राजनीति में हैं, लेकिन जो यहां से विधायक (दुष्यंत का नाम लिए बिना) चुना गया है, उनके परिवार के तो पांच लोग विधायक बने हैं।