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जानिए कौन हैं पद्मश्री प्रोफेसर ओमप्रकाश गांधी, समाजसेवा के लिए शादी भी नहीं की, नौकरी भी छोड़ी

Republic Day 2022 यमुनानगर के समाजसेवी प्रोफेसर ओमप्रकाश गांधी को पद्मश्री सम्‍मान से सम्‍मानित किया जाएगा। ब्रहमचारी जीवन जीने वाले ओमप्रकाश गांधी ने लड़कियों के शिक्षा के सपने को किया साकार। समाजसेवा के लिए प्रोफेसर ओमप्रकाश गांधी ने शादी तक नहीं की।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 26 Jan 2022 12:32 PM (IST)Updated: Wed, 26 Jan 2022 12:32 PM (IST)
यमुनानगर के पद्मश्री अवार्ड से सम्‍मानित ओमप्रकाश गांधी।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। पदमश्री के लिए नामित होने वाले समाजसेवी प्रोफेसर ओमप्रकाश गांधी ने वर्ष 1984 में क्षेत्र की लड़कियों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया था। उस समय लगाया गुरुकुल कन्या विद्या मंदिर देवधर के रूप में लगाया गया पौधा आज विशाल वृक्ष बन चुका है। अब यह स्कूल डिग्री कालेज बन चुका है। जिसमें क्षेत्र ही नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्यों से भी लड़कियां शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। यहीं पर लड़कियों के लिए हास्टल बनाया गया है। जिसमें देसी घी से बना सात्विक भोजन परोसा जाता है। रोजाना गुरुकुल में हवन पूजन भी होता है।

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ब्रहमचारी जीवन जीने वाले ओमप्रकाश गांधी के प्रयासों की वजह से ही क्षेत्र में लड़कियों के लिए उच्च शिक्षण संस्थान की स्थापना हो सकी। ओमप्रकाश गांधी का कहना है कि यह सम्मान मिलना गौरव की बात है। शिक्षा से ही समाज विकसित हो सकता है। कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। यही उनके जीवन का लक्ष्य है। वह हमेशा इस पथ पर चलते रहेंगे। वहीं पदमश्री मिलने की सूचना मिलते ही ओमप्रकाश गांधी के घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। शिक्षा मंत्री चौधरी कंवरपाल, भारतीय गुर्जर परिषद, गुर्जर विकास सभा समेत अन्य संगठनों ने भी उन्हें पदमश्री मिलने पर बधाई दी है।

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रामपुर मनिहारान स्थित गोचर महाविद्यालय से वर्ष 1984 में लेक्चरर की नौकरी छोड़ने के बाद ओमप्रकाश गांधी ने क्षेत्र में कन्याओं की शिक्षा के लिए प्रयास करने शुरू कर दिए थे। वर्ष 1985 में उन्होंने गुरुकुल पद्धति पर अाधारित गुरुकुल कन्या विद्या मंदिर की नींव रख दी थी। इस शिक्षण संस्थान में कई राज्यों की लडकियां पढ़कर दिल्ली व पंजाब युनिवर्सिटी में प्रवेश प्राप्त कर डाक्टर व इंजीनियर बन चुकी है।

लड़कियों को सिखाया जाता है घरेलू काम 

ओमप्रकाश गांधी ने कन्या विद्या प्रचारिणी सभा खदरी का गठन किया था। जिसके बाद ही यह शिक्षण संस्थान बनाया गया। गुरुकुल संस्थान में शिक्षा ग्रहण करने वाली छात्राओं को घरेलू काम भी सिखाया जाता हैं। गांव देवधर में एक संत द्वारा दान में दी गई आठ एकड भूमि पर गुर्जर कन्या विद्या मंदिर की नींव रखी गई थी। इस गुरुकुल की शुरुआत भी महज दो लाख रुपये की पू्ंजी से की गई थी। अविवाहित ओमप्रकाश गांधी ने संस्था को बनाने के लिए गांव-गांव, घर-घर जाकर लोगों से चंदा एकत्रित किया।

बधाई देने के लिए पहुंचे विधानसभा अध्‍यक्ष ज्ञानचंद गुप्‍ता।

अब 20 बीघा जमीन में बनेगा सम्राट सम्राट मिहिर भोज गुरुकुल विद्यापीठ 

शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे ओमप्रकाश गांधी ने अब सम्राट मिहिर भोज गुरुकुल विद्यापीठ की स्थाना कराने की ठान ली है। करीब 25 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस संस्थान में सीबीएसई पैट्रेन से पढ़ाई होगी। 14 जनवरी को सीएम मनोहर लाल पांवटा साहिब मार्ग पर विद्यापीठ का शिलान्यास कर चुके हैं। इस गुरुकुल में सभी धर्मों, जातियों व वर्गों के विद्यार्थी पढ़ाई करेंगे। इसमें कक्षा 6 से 12वीं तक की पढ़ाई होगी। यह गुरुकुल लडक़ों के लिए होगा तथा यह गुरुकुल कुरुक्षेत्र के गुरुकुल की तर्ज पर होगा। प्राचीन शिक्षा पद्घति के अलावा यहां पर शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थी सीबीएसई पैटर्न की तर्ज पर पढ़ाई कर सकेंगे।

रादौर के इस छोटे से गांव से निकले 

रादौर ब्लाक के गांव माधोबांस निवासी 79 वर्षीय ओमप्रकाश गांधी काे समाजसेवा के क्षेत्र में पदमश्री से सम्मानित किया जाएगा। गृह मंत्रालय की ओर से जारी की गई सूची में ओमप्रकाश गांधी को समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पदमश्री से सम्मानित किया गया। एक फरवरी 1942 काे जन्मे ओमप्रकाश गांधी ने दसवीं की परीक्षा मुकंद लाल सेकेंडरी स्कूल रादौर से दसवीं तक पढ़ाई की। बीएससी की परीक्षा आगरा विश्वविद्यालय से पास की। इसके बाद चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से एमएससी फिजिक्स से पास की। किसान परिवार में जन्मे किसान परिवार में जन्मे गांधी की नियुक्ति उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रामपुर मनिहारान में गोचर महाविद्यालय में लेक्चरर के पद पर हुई। ब्रह्मचारी का जीवन जीने वाले गांधी ने 20 सालों की सर्विस के बाद स्वेच्छा से त्यागपत्र देकर समाज सेवा का संकल्प लिया। इसके बाद वह अपने गांव लौट आए। यहां उन्होंने वर्ष 1984 में कन्या विद्या प्रचारिणी सभा खदरी का गठन किया। यहां पर लड़कियों के लिए कोई कालेज नहीं था। जिसके लिए गांधी ने बीड़ा उठाया। इसके बाद वर्ष 1985 में गांव देवधर की 12 एकड़ भूमि पर कन्या गुरुकुल की स्थापना की। यह संस्था अब डिग्री कालेज का रूप ले चुकी है। अपनी सादगी व स्पष्टवादीता से प्रभावित करने वाले गांधी ने गांव-गांव घूमकर संस्था के लिए करोड़ों रुपए की राशि एकत्रित कर गुरुकुल संस्थान की स्थापना कराई।


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