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अंबाला में कोरोना संक्रमण से राहत, केस कम होने से अस्पतालों में बने कोविड वार्ड खाली

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का असर अब धीरे-धीरे खत्‍म होता दिख रहा है। अंबाला में लगातार कोरोना संक्रमण केस कम होते जा रहे हैं। ऐसे में अस्‍पतालों में बने कोविड वार्ड के बेड भी खाली हो रहे हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 14 Jun 2021 04:42 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jun 2021 04:42 PM (IST)
अंबाला में कोरोना संक्रमण से राहत, केस कम होने से अस्पतालों में बने कोविड वार्ड खाली
कोरोना संक्रमण से अंबाला में काफी राहत।

अंबाला, जेएनएन। कोरोना संक्रमितों का इलाज करने के लिए सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों में करीब एक हजार बेड रिजर्व किए गए थे। अब मरीजों की संख्या कम होने के साथ साथ बेड खाली हो रहे हैं। बेड खाली होने पर अस्पताल प्रबंधन की तरफ से कोरोना संक्रमितों के इलाज में इस्तेमाल हुई मशीनों से लेकर बेड को एक बार फिर साफ करके दूसरे मरीजों के लिए लगाया जा रहा है।

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छावनी का रोटरी अस्पताल ऐसा है जहां रविवार को एक भी कोरोना संक्रमित भर्ती नहीं रहा। अवकाश को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने मशीनों के साथ बेड व अन्य वस्तुओं को सैनिटाइज करने के साथ दूसरे मरीजों के इस्तेमाल के लिए लगाया है। जिले में कोरोना संक्रमितों का ग्राफ गिरने लगा है। इस वजह से आइसोलेशन वार्डो से करीब 85 फीसद बेड खाली हो गए हैं।

जून महीने की शुरुआत से ही कोरोना संक्रमितों की संख्या कम होने लगी। इससे अब आइसोलेशन सेंटरों में मात्र 38 मरीज ही रह गए हैं। जून माह में आइसोलेशन सेंटरों में भर्ती 30 से 35 मरीजों को ठीक होने पर घरों में एकांतवास किया जा रहा है। जबकि अभी भी अस्पताल के आइसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट पर 8 मरीजों का इलाज चल रहा है। जून के 9 दिनों में तीन सौ से अधिक मरीजों की आइसोलेशन वार्ड से छुट्टी दी गई है।

अप्रैल व मई माह में कोरोना ने कहर ढाया था। मई महीने में मिलने वाले कई मरीजों को आक्सीजन सपोर्ट पर लगाना पड़ा था। यही कारण था कि आइसोलेशन सेंटरों में आक्सीजन वाले बेडों की संख्या बढ़ाई गई थी। पहले तो दो सौ बेड आक्सीजन वाले थे, लेकिन बाद में जरूरत के हिसाब से 750 बेडों पर आक्सीजन सप्लाई प्रोवाइड करवाई गई। लेकिन जून महीने के शुरू होते ही मानों जैसे कोरोना कमजोर हो गया है। अप्रैल व मई में रोज यहां दो सौ से अधिक संक्रमित मरीज मिल रहे थे। वहीं जून में सौ से भी कम मरीज मिल रहे हैं।


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