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दिवाली पर 59 साल बाद गुरु और शनि का दुर्लभ योग, मंगलकारी त्रिवेणी महासंयोग

इस साल आयुष्मान-सौभाग्य और स्वाति नक्षत्र का मंगलकारी त्रिवेणी महासंयोग। लक्ष्मी पूजन का सबसे शुभ समय शाम साढ़े पांच से 08:16 बजे तक। इस दिवाली का शुभ लाभ लंबे समय तक मिलेगा।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 04:20 PM (IST)Updated: Wed, 07 Nov 2018 06:39 AM (IST)
दिवाली पर 59 साल बाद गुरु और शनि का दुर्लभ योग, मंगलकारी त्रिवेणी महासंयोग
दिवाली पर 59 साल बाद गुरु और शनि का दुर्लभ योग, मंगलकारी त्रिवेणी महासंयोग

जेएनएन, पानीपत - दिवाली पर 59 साल बाद गुरु और शनि का दुर्लभ योग बन रहा है। साल 2018 से पहले वर्ष 1959 में एक नवंबर को दिवाली  पर गुरु वृश्चिक में, शनि धनु राशि में था। शनि ग्रह गुरु के स्‍वामित्‍व वाली राशि धनु में रहेगा। ये तीनों ग्रह एक-दूसरे की राशि में रहेंगे। दीपावली पर गुरु ग्रह, मंगल के स्वामित्व वाली वृश्चिक राशि में रहेगा। मंगल ग्रह, शनि के स्वामत्वि वाली कुंभ राशि में रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस बार दीपावली पर समृद्धि और सार्म्‍थय प्रदान करने वाला आयुष्मान-सौभाग्य और स्वाति नक्षत्र का मंगलकारी त्रिवेणी संयोग बनने जा रहा है। इस संयोग में मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना से धन वर्षा होगी। इसका सकारात्मक असर लंबी अवधि तक रहेगा।

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लक्ष्मी पूजा का समय
मां महालक्ष्मी के पूजन का महापर्व दीपावली इस बार सात अक्टूबर बुधवार को मनाया जाएगा। त्रिवेणी संयोग बनने के कारण इस बार की दीपावली खास होगी। इस बार दिवाली पूजा (लक्ष्मी पूजा) का समय बुधवार को शाम 05:30 से रात्रि 08:16 बजे तक उत्तम रहेगा। जो लोग इस योग में पूजा न कर सकें, वह मध्यम योग में - रात्रि 08:16 से 09:19 तक पूजा कर सकते हैं।

इस बार विशेष होगी दीपावली
पंडित रामराज कौशिक और पंडित निरंजन पाराशर के अनुसार दीपावली पर बन रहा त्रिवेणी संयोग बेहद विशेष है। कहा जाता है कि आयुष्मान योग में किए कार्य लंबे समय तक शुभ फल प्रदान करते हैं और जीवनभर सुख प्राप्त होता है। दूसरा सौभाग्य प्रदान करने वाला सौभाग्य योग है। यह योग सदा मंगल करने वाला है। नाम के अनुरूप यह भाग्य को उदय करने वाला माना जाता है। स्वाति 15वां नक्षत्र है। इसका स्वामी राहु यानी अंधकार है। कहा जाता है कि जिस प्रकार स्वाति नक्षत्र में ओस की बूंद सीप पर गिरती है तो मोती बनती है, ठीक उसी प्रकार इस नक्षत्र में जातक की ओर से किया कार्य उसे सफलता की चमक प्रदान करता है।

पूजन और दीपदान करने के शुभ मुहूर्त चौघडि़या अनुसार
लाभ - सुबह 6:36 से 7:59 और दोपहर 4:16 से शाम 5:39 बजे तक।
अमृत - सुबह 7:59 से 9:22 और रात 8:54 से 10:31 बजे तक।
शुभ - सुबह 10:44 से दोपहर 12:07 और शाम 7:16 से रात 8:54 बजे तक।
चर - दोपहर 2:53 से 4:16 और रात 10:31 से 12:08 बजे तक।,

स्थिर लग्न अनुसार
वृश्चिक - सुबह 7:21 से 9:37 बजे तक।
कुम्भ - दोपहर 1:29 से 3:02 बजे तक।
वृषभ - शाम 6:13 से 8:12 बजे तक।
सिंह - रात 12:41 से 2:52 बजे तक।

अभिजीत मुहूर्त
सुबह 11:43:58 से दोपहर 12:31:58 तक
शुभ प्रदोष वेला
शाम 5:39 से 7:49 बजे तक।
महानिशीथ काल
रात 11:44 से 12:32 बजे तक।


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