रचिता ने साउथ कोरिया में दिलाई चांदी
साउथ कोरिया में स्केटर रचिता ने टीम के साथ सिल्वर मेडल जीता। टीम को जीत दिलाई। दस सेकंड के अंतर से स्वर्ण पदक चूका।
जागरण संवाददाता, पानीपत : साउथ कोरिया में स्केटर रचिता ने टीम के साथ सिल्वर मेडल जीता। 18वीं एशियन रोलर स्के¨टग चैंपियनशिप में यह उपलब्धि हासिल की। भारतीय महिला खिलाड़ियों ने तीन किलोमीटर की ¨रक रिले रेस एक मिनट 40 सेकेंड में पूरी की। देश की टीम 10 सेकेंड के मामूली अंतर से गोल्ड मेडल से चूक गई। एक मिनट 30 सेकेंड के रेस पूरी कर चीन की टीम ने गोल्ड मेडल पर कब्जा किया। सिल्वर मेडल के लिए देश की बेटियां की जापान की खिलाड़ियों से कांटे की टक्कर रही। आखिरी समय में जापान को चार सेकेंड से पछाड़कर सिल्वर मेडल अपने नाम कर लिया। देश की टीम में करनाल की स्केटर रचिता जुनेजा का प्रदर्शन लाजवाब रहा। यह अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता चार सितंबर को साउथ कोरिया के शहर नैमवोन में शुरू हुई थी। 14 सितंबर को इसका समापन होगा।
पिता रवि जुनेजा ने बताया कि रचिता को बचपन से ही स्के¨टग का शौक है। पांच साल की उम्र में उसने स्कूल से आने के बाद जिद की थी कि उसे स्के¨टग सीखनी है। इसके बाद मुड़कर नहीं देखा। रचिता अब तक राष्ट्रीय स्तर पर 50 पदक जीत चुकी है। इनमें 30 गोल्ड मेडल शामिल हैं। खेल के साथ-साथ पढ़ाई में भी अव्वल है। करनाल के कांवेंट स्कूल में 12वीं तक सभी कक्षा अच्छे अंकों से पास की। अब दिल्ली के हंसराज कॉलेज में बीए ऑनर्स द्वितीय वर्ष की छात्रा है। स्के¨टग के अलावा अंडर-19 राज्य स्तरीय स्कूल साइ¨क्लग में भी गोल्ड जीत चुकी है। पूरे देश को रचिता पर नाज : कोच
स्के¨टग कोच जितेश कपूर ने कहा रचिता की उपलब्धि पर करनाल ही नहीं पूरे देश को नाज है। उसने नौ से दस साल कर्ण स्टेडियम में सुबह व शाम अभ्यास किया है। स्पीड़ स्के¨टग में पहली बार जिले की किसी स्केटर ने मेडल जीता है। इससे दूसरे खिलाड़ियों को भी प्रेरणा मिलेगी। इससे पहले रोल बॉल वर्ल्ड चैंपियनशिप में करनाल का बीर कर्ण ¨सह गोल्ड मेडल जीत चुका है। रचिता को प्रशिक्षण दे चुके राहुल देव ने भी उसके उज्जवल भविष्य की कामना की। परिजन बोले-हमारी तो पहचान ही बेटी
अंतरराष्ट्रीय स्के¨टग खिलाड़ी रचिता के पिता रवि जुनेजा व्यवसायी हैं। पत्नी रेनू जुनेजा पेशे से टीचर हैं। दंपति ने कहा कि अमूमन अभिभावकों से बच्चों की पहचान होती है। लेकिन उनकी तो पहचान ही बेटी रचिता से है। पिता रवि ने कहा कि जब कोई रचिता के मां-बाप कहकर संबोधित करता है तो सुकून मिलता है। रचिता उनकी इकलौती संतान है । उसने बेटे की कमी कभी खलने ही नहीं दी।