पुष्कर ने दिखाई प्रतिभा, यूपीएससी में पाया 409वां रैंक
हौसले बुलंद हों खुद पर विश्वास और दिल में मंजिल पाने की चाहत हो तो कोई भी परिस्थिति इंसान को रोक नहीं सकती। कुछ इसी तरह की मिसाल पेश की है रिफाइनरी टाउनशिप में रहने वाले राकेश वर्मा के बेटे पुष्कर वर्मा ने।
जागरण संवाददाता, पानीपत, रिफाइनरी : हौसले बुलंद हों, खुद पर विश्वास और दिल में मंजिल पाने की चाहत हो तो कोई भी परिस्थिति इंसान को रोक नहीं सकती। कुछ इसी तरह की मिसाल पेश की है रिफाइनरी टाउनशिप में रहने वाले राकेश वर्मा के बेटे पुष्कर वर्मा ने। पुष्कर ने यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) की 2020 की परीक्षा में 409वां रैंक हासिल किया है। हाल में रेलवे में रायपुर में एडीएमई (सहायक मंडल यांत्रिक अभियंता) के पद पर कार्यरत हैं।
पुष्कर वर्मा दो भाइयों में बड़े हैं। उनके पिता राकेश कुमार वर्मा रिफाइनरी में सीनियर इंजीनियर असिस्टेंट के पद पर कार्यरत हैं। माता ममता वर्मा राजकीय सीसे स्कूल गगसीना में लेक्चरर हैं। पिता राकेश वर्मा बताते हैं कि दोनों बेटे पढ़ाई में अच्छे हैं। पुष्कर ने अपनी पूरी शिक्षा डीपीएस रिफाइनरी से प्राप्त की। 12वीं में उसने नान मेडिकल में 96.4 फीसद अंक हासिल किए थे। वहीं छोटा बेटा मयंक हाल में आइआइटी रूड़की में पढ़ाई कर रहा है।
पिता ने बताया कि 12वीं के बाद पुष्कर ने वर्ष 2014 में आइआइटी दिल्ली में एडमिशन लिया था, लेकिन दो माह बाद ही रेलवे का सीआरसी का रिजल्ट आ गया। रेलवे की उच्च सेवा में चयनित होकर उसने मैकेनिकल में बीटेक की डिग्री प्राप्त की। हाल में वो रायपुर में एडीएमई के पद पर है। पहली बार पांच नंबर से रहा
पुष्कर वर्मा ने दैनिक जागरण से फोन पर बातचीत में बताया कि उसे रेलवे में अच्छी जाब मिल गई थी, लेकिन काबिलियत और मंजिल के हिसाब से वो कम लग रही थी। इसलिए वर्ष 2018 में यूपीएससी की तैयारी शुरू की। एक साल की छुट्टी ले लगातार तैयारी करने के बाद वर्ष 2019 में यूपीएससी का एग्जाम दिया। लेकिन पांच अंक से रह गया। इसका मुझे दुख नहीं हुआ क्योंकि मैं अपना 100 फीसद नहीं दे पाया था। इसके बाद मैंने ड्यूटी ज्वाइन करने के साथ दोबारा से तैयारी शुरू की ओर परिणाम अब सबके सामने है। पुष्कर ने बताया कि मंजिल को पाने के लिए सफल होने में मुझे माता पिता ने काफी प्रेरित किया। प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती
पुष्कर के पिता राकेश वर्मा ने कहा कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है। बेटे ने अपनी प्रतिभा को बेकार नहीं जाने दिया। उसने मेहनत के बल पर ये उपलब्धि हासिल की है। जो हमारे लिए गर्व की बात हैं। उन्होंने बताया कि बड़े भाई को देख छोटे बेटे मयंक ने भी यूपीएससी की तैयारी शुरू कर रखी है। हमें उम्मीद है कि वो भी बड़े भाई की तरह कामयाब होगा।