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प्रापर्टी डीलरों ने सांसद के सामने रोया दुखड़ा, रजिस्ट्रियां ठप, दलालों से बचाओ

रजिस्ट्री कराने के लिए विभागों के साथ दलालों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। प्रापर्टी डीलरों और एडवाइजरों ने सोमवार को सांसद संजय भाटिया के सामने दुखड़ा रोया। उन्हें बताया कि न तो प्रापर्टी आइडी बन रही है और न ही रजिस्ट्री हो रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 10:00 AM (IST)Updated: Tue, 14 Sep 2021 10:00 AM (IST)
प्रापर्टी डीलरों ने सांसद के सामने रोया दुखड़ा, रजिस्ट्रियां ठप, दलालों से बचाओ
प्रापर्टी डीलरों ने सांसद के सामने रोया दुखड़ा, रजिस्ट्रियां ठप, दलालों से बचाओ

जागरण संवाददाता, पानीपत : शहर में एक तरफ प्रापर्टी के दामों में बूम आया हुआ है, दूसरी तरफ रजिस्ट्री कराने के लिए विभागों के साथ दलालों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। प्रापर्टी डीलरों और एडवाइजरों ने सोमवार को सांसद संजय भाटिया के सामने दुखड़ा रोया। उन्हें बताया कि न तो प्रापर्टी आइडी बन रही है और न ही रजिस्ट्री हो रही हैं। दलालों के चक्कर भी काटने पड़ रहे हैं। डीलरों के अनुसार, सांसद ने आश्वासन दिया कि दो सप्ताह में समस्या का समाधान हो जाएगा। आप भ्रष्टाचार को बढ़ावा न दें।

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प्रापर्टी डीलर एसोसिएशन के प्रधान अंकित बजाज व वरिष्ठ सदस्य कुलदीप सिंह ने सांसद को बताया कि सभी प्रापर्टी बयाना पर बेची जाती हैं। तीन महीने का टाइम फुल पेमेंट तथा रजिस्ट्री के लिए दिया जाता है। नए नियम के अनुसार प्रापर्टी आइडी बनवानी जरूरी है। उसके बाद ही एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के नाम जमीन ट्रांसफर होती है। कई बार देर हो जाने पर दोगुना बयाना वापस करने की नौबत आ जाती है। प्रापर्टी डीलर और आम लोग काफी परेशान हैं। सरकार को प्रापर्टी डीलरों से बातचीत कर नियम बनाने चाहिए। नए नियम तो रोजगार को खत्म कर रहे हैं। दो जगह बने प्रापर्टी आइडी

डीलरों ने कहा कि प्रापर्टी आइडी एक जगह नहीं, दो जगह आनलाइन होनी चाहिए। सरल पोर्टल पर या तो प्रापर्टी आइडी बनती ही नहीं। यदि बन भी जाए तो एनडीटी के पोर्टल पर अपडेट ही नहीं होती। इसकी वजह से मकान बेचने व खरीदने वाले दोनों के मन में संशय बना रहता है। सौदा रद हो जाता है। ज्ञापन देने वालों में हरीश छाबड़ा, जुगल किशोर, अतुल, जानेसर, तरुण, संदीप रजनीश, हरीश, मोहित, दीपक, संदीप, विनीत कुमार, राकेश, अमित शामिल रहे। 25 हजार देनी पड़ रही रिश्वत

एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने सांसद संजय भाटिया से कहा कि नगर निगम में भ्रष्टाचार फैला है। एक प्रापर्टी आइडी के लिए 20 से 25 हजार रुपये रिश्वत के तौर पर दलालों को देने के बाद भी काम सही ढंग से नहीं हो पाता। यदि आइडी पर एक ही नाम है तो पंजीकृत होने की अनुमति दी जानी चाहिए। अगर पते या नाम में कोई गलती है तो प्रक्रिया लंबी नहीं होनी चाहिए। पुराने शहर के क्षेत्रों में भी पार्ट आइडी की अनुमति दी जानी चाहिए। सालिड वेस्ट चार्ज हटाया जाए। सांसद को ये सुझाव दिए

1. लघु सचिवालय में नगर निगम के लिए कार्यालय का स्थान उपलब्ध कराएं, ताकि एक ही स्थान पर संपत्ति संबंधी सभी मुद्दों का समाधान हो सके।

2. नामांतरण भी एक बहुत बड़ा मुद्दा है, क्योंकि इसकी फीस पंजीकरण के समय काट ली जाती है, लेकिन कोई भी इसे उसी प्रक्रिया के माध्यम से प्राप्त नहीं करता है। लोग इसके लिए हजारों में भुगतान कर रहे हैं।

3. जहां नगर निगम द्वारा मकान नंबर आवंटित किए गए हैं और पहचान पत्र आवंटित किए गए हैं, वहां नियम को हटा दिया जाना चाहिए।

4. जमाबंदी अपडेशन के कारण बहुत देरी हुई, अन्य उपाय जल्द से जल्द किया जाए


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