Move to Jagran APP

छोड़ी परंपरागत खेती, अब हो रहे मालामाल, सीधे कंपनी को बेच रहे ये फसल

परंपरागत खेती को छोड़ते हुए अब किसान दूसरी फसलों पर जोर दे रहे हैं। कांट्रेक्ट फार्मिंग कर हाडवा गांव के किसान रमेश कमा रहे लाखों रुपये। गेहूं की फसल से धनिया की खेती में होती है दोगुनी कमाई।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 09:04 AM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 09:04 AM (IST)
जींद के हाडवा गांव के किसान रमेश।

जींद,[बिजेंद्र मलिक]। जींद के हाडवा गांव के प्रगतिशील किसान रमेश धनिया का बीज तैयार कर सीधे कंपनियों को बेच रहे हैं। जिससे उन्हें पारंपरिक फसलों की तुलना में दोगुना कमाई हो रही है। रमेश से प्रेरित होकर गांव के और भी किसानों ने धनिया का बीज तैयार करना शुरू कर दिया है।

loksabha election banner

साल 1989 में 10वीं पास करने वाले रमेश की रुचि खेती में थी। इसलिए उन्होंने पढ़ाई छोड़ पिताजी सूरत सिंह के साथ खेती करनी शुरू कर दी। उनका संयुक्त परिवार है। शुरुआत में पारंपरिक तरीके से खेती की। फसलों में खूब स्प्रे करते, लेकिन बचत उम्मीद के मुताबिक नहीं होती। रमेश साल 2000 में अपने रिश्तेदार के यहां ट्रैक्टर लेकर खेत की जुताई करने गए थे। वहां रिश्तेदार धनिया की खेती करता था।

रिश्तेदार ने रमेश को बताया कि धनिया का बीज तैयार कर मार्केट में बेचते हैं, तो गेहूं की फसल से दोगुनी आमदनी होती है। रमेश ने अगले साल रिश्तेदार से धनिया का बीज लेकर एक एकड़ में बिजाई कर दी। जब शुरू में तीन सप्ताह तक धनिया का खेत में जमाव नहीं हुआ, तो घर वाले भी रमेश से नाराज हो गए। पड़ोसी भी कहने लगे कि खेत खाली रह गया। लेकिन कुछ दिन बाद धनिया का जमाव हो गया।

पहले ही साल धनिया का बीज मार्केट में बेचा, तो गेहूं की फसल से दोगुनी कमाई हुई। पड़ोसी किसानों को इस बारे में बताया, तो किसी ने विश्वास नहीं किया। फिर अगले साल भी धनिया की खेती से दोगुना कमाई हुई, तो रमेश ने चार एकड़ में धनिया की खेती शुरू कर दी। जिसके बाद गांव के दूसरे किसान भी प्रेरित हुए और धनिया की खेती की।

कंपनियों के साथ करते हैं कांट्रेक्ट

रमेश ने बताया कि शुरुआत में उसने चंडीगढ़ की एक कंपनी के साथ कांट्रेक्ट किया था। कुछ साल तो ठीक चला, लेकिन उसके बाद अनबन हो गई। साल 2017 में रमेश दिल्ली गए, जहां कुछ दुकानदारों व कंपनियों को बीज बेचा और उनके साथ भरोसा कायम किया। अब दिल्ली से कंपनियां रमेश के खेत से ही धनिया का बीज लेकर जाते हैं। रमेश दूसरे किसानों को भी धनिया का बीज बेचने में मदद करते हैं।

पिछले साल 50 हजार रुपये क्विंटल बिका था धनिया

रमेश बताते हैं कि धनिया की बिजाई नवंबर में होती है और अप्रैल के पहले सप्ताह में इसकी कटाई होती है। सामान्य तौर पर धनिया के बीज का भाव प्रति क्विंटल 12 से 15 हजार रुपये रहता है। पिछले साल बीज की कमी थी, तो भाव 50 हजार रुपये क्विंटल तक पहुंच गए थे। रमेश के पास कुल 10 एकड़ जमीन है। रमेश खरीफ सीजन में धान की खेती करते हैं। पिछले साल धान की सीधी बिजाई की थी। जिसमें उत्पादन अच्छा हुआ था। हर साल कुछ ना कुछ नया करते रहते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.