पानीपत में राजकीय स्कूलों के मुखिया और शिक्षक खंगालेंगे ड्राप आउट बच्चों की कुंडली, लगाएंगे कारणों का पता
पानीपत में पिछले साल राजकीय स्कूलों में पहली से बारहवीं तक के ड्राप आउट बच्चों की संख्या 1652 थी जो इस बार 1705 हो गई है। ये सभी बच्चे 7 से 14 साल की आयु के हैं। बच्चों के राजकीय स्कूलों से इतर नामांकन कराने का क्या कारण है।
पानीपत, जागरण संवाददाता। पानीपत के राजकीय स्कूलों में दाखिला नहीं लेने और बीच में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को लेकर शिक्षा विभाग सतर्क है। जिला शिक्षा अधिकारी ने जिले के सभी खंड शिक्षा अधिकारी और स्कूल मुखियाओं को ड्राप आउट बच्चों का पता लगाने के निर्देश दिए हैं। शिक्षक बच्चों के स्कूल छोड़ने के कारणों का भी पता लगाएंगे। अपनी रिपोर्ट तैयार कर जिला शिक्षा अधिकारी को देंगे।
पिछले साल जिले में ड्राप आउट बच्चों की संख्या थी 1652 तो इस बार हो गई 1705
उल्लेखनीय है कि बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों को लेकर सरकार गंभीर है। सरकार के निर्देश के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों की मीटिंग ली। उन्हें स्कूल छोड़ने वाले बच्चों का पता लगाने के निर्देश दिए। बच्चों के स्कूल छोड़ने का पता लगाने को भी कहा है। इससे विभाग के पास बच्चों की पूरी जानकारी इकट्ठा हो जाएगी।
पिछले साल से बढ़ गए हैं ड्राप आउट बच्चे
पिछले साल जिले के राजकीय स्कूलों में पहली से बारहवीं तक के ड्राप आउट बच्चों की संख्या 1652 थी, जो इस बार 1705 हो गई है। ये सभी बच्चे 7 से 14 साल की आयु के हैं। बच्चों के राजकीय स्कूलों से इतर नामांकन कराने का क्या कारण है। इन बच्चों ने कहां दाखिला लिए हैं। मालूम हो कि बच्चों के स्कूल छोड़ने से विभाग का पिछले साल का टारगेट भी पूरा नहीं हो सका है।
8वीं और 11 वीं कक्षाओं के बच्चों पर फोकस
अधिकारी ने स्कूल मुखियाओं को दसवीं से ग्यारहवीं, आठवीं से नौवीं और पांचवीं से छठी में दाखिला लेने वालों की सूची तैयार कर उस पर फोकस 1705 बच्चे हुए कम: जिला शिक्षा अधिकारी कुलदीप दहिया ने बताया कि इस बार 1705 बच्चे ड्राप आउट हैं। इनके बारे में सारी जानकारी जुटाने के आदेश दिए गए हैं। कारणों का पता चलने पर उसे रोकने का पूरा प्रयास किया जाएगा।