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सिविल अस्‍पताल में गर्भवती की मौत, हंगामा, चिकित्‍सक पर लगा आरोप Panipat News

सिविल अस्पताल में गर्भवती की मौत पर हंगामा हो गया। परिजनों ने महिला डॉक्टर पर लापरवाही बरतने के आरोप लगाए हैं। महिला पांच दिन से अस्पताल में भर्ती थी।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 05 Aug 2019 03:49 PM (IST)Updated: Mon, 05 Aug 2019 07:53 PM (IST)
सिविल अस्‍पताल में गर्भवती की मौत, हंगामा, चिकित्‍सक पर लगा आरोप Panipat News
सिविल अस्‍पताल में गर्भवती की मौत, हंगामा, चिकित्‍सक पर लगा आरोप Panipat News

पानीपत, जेएनएन। सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में शनिवार की रात को छह महीने की गर्भवती की इलाज के दौरान मौत हो गई। परिजनों ने ड्यूटी पर मौजूद महिला डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। पुलिस भी मौके पर पहुंची, शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया। उधर, चिकित्सक का कहना है कि महिला को मृत अवस्था में लाया गया था। 

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अशोक विहार कॉलोनी निवासी मेहरदीन की पत्नी मुन्नी (42 वर्ष) छह महीने की गर्भवती थी। पहले से तीन बच्चे हैं। तबीयत खराब होने पर बीते 30 जुलाई को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जांच में हिमोग्लोबिन छह ग्राम, रक्तचाप भी सामान्य से कम था। चिकित्सकों ने 31 जुलाई, एक और तीन अगस्त को उसे ब्लड भी चढ़ाया। अस्पताल की चिकित्सक डॉ. सुखदीप कौर ने बताया कि 3 अगस्त को ही परिजन बिना बताए घर ले गए। वहां तबीयत बिगड़ी तो शनिवार रात करीब 12:30 बजे फिर से अस्पताल ले आए। अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी। उधर, परिजनों का आरोप है कि जब वे गर्भवती को लेकर अस्पताल पहुंचे, वह जीवित थी। अस्पताल की इमरजेंसी से स्त्री रोग विशेषज्ञ को कॉल की गई तो वे नहीं पहुंची। चिकित्सकों की लापरवाही से महिला की मौत हुई है। 

पहले भी हो चुकी जच्चा बच्चा की मौत
किला थाना प्रभारी प्रवीन कुमार ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है। रिपोर्ट आने के बाद ही अगली कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि तीन दिन पहले भी अस्पताल में डिलीवरी के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत हो गई थी। चिकित्सकों और स्टाफ ने परिजनों से लिखवा लिया कि कोई कार्रवाई नहीं चाहते।  

एक साल में 19 गर्भवती की मौत
विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक डिलीवरी के दौरान करीब 19 महिलाओं की मौत हो चुकी है। इसका सबसे बड़ा कारण अस्पताल में ब्लड बैंक और वेंटीलेटर की सुविधा नहीं होना है। महिला की डिलीवरी के बाद करीब 25 नवजात भी काल का ग्रास बन चुके हैं। 

जिले में दाई सक्रिय 
वर्ष 2017 में स्वास्थ्य विभाग ने दाइयों पर अंकुश लगाने के लिए उनके खिलाफ एफआइआर का निर्णय लिया था। जिले में करीब 50 दाई चिह्नित भी की गईं थी। ढ़ाई वर्षों में विभाग एक के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज नहीं करा सका है। यह हालात तब हैं जब होम डिलीवरी की संख्या कम नहीं हो रही है। 

महिला करीब पांच दिन भर्ती रही। उसे तीन बार ब्लड चढ़ाया गया। शनिवार को परिजन बिना बताए ले गए थे। रात्रि में उसे मृत अवस्था में लाया गया था। इस मामले में पुलिस कार्रवाई भी कराई है। संदेह है कि घर में कुछ गलत खानपान के कारण उसकी मौत हुई है। 
डॉ. सुखदीप कौर, सिविल अस्पताल।

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