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फटे मैट पर प्रेक्टिस कर तय किया सफलता का रास्ता, बनीं टीम इंडिया की कोच Panipat News

इंग्लैंड में होने वाले कॉमनवेल्थ खेलों में जूडो की जूनियर टीम लेकर कोच अर्चना जाएंगी। उन्हें सरकार ने 2005 में भीम अवार्ड से भी सम्मानित किया था।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 04:08 PM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 09:57 AM (IST)
फटे मैट पर प्रेक्टिस कर तय किया सफलता का रास्ता, बनीं टीम इंडिया की कोच Panipat News
फटे मैट पर प्रेक्टिस कर तय किया सफलता का रास्ता, बनीं टीम इंडिया की कोच Panipat News

पानीपत/यमुनानगर, [राजेश कुमार]। मैंने कभी सोचा भी नहीं था की इस मुकाम तक पहुंच जाऊंगी, लेकिन ये भी सच है कि आज जिस जगह पर हूं उसके लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा। वरना ऐसा संभव नहीं हो पाता। खेल की प्रेक्टिस भी फटे हुए मैट पर करनी पड़ती थी। शुरुआत में कदम डगमगाए भी, लेकिन हार नहीं मानी। परिवार ने हर कदम पर पूरा साथ दिया। मेहनत रंग लाई। पहले प्रदेश के सर्वोच्च खेल सम्मान भीम अवार्ड से नवाजी गई और अब भारत की जूनियर जूडो टीम की कोच बनने का गौरव हासिल हुआ। यह कहना है खिलाड़ी से कोच तक का सफर तय करने वाली भिवानी शहर की अर्चना की।

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कोच अर्चना 40 खिलाडिय़ों को लेकर इसी माह इंग्लैंड में होने वाली कॉमनवेल्थ खेलों में हिस्सा लेने जाएंगी। अर्चना यमुनानगर के डीएवी गर्ल्‍स कॉलेज में डीएचई द्वारा आयोजित इंटर कॉलेज स्टेट जूडो चैंपियनशिप में अपनी टीम लेकर पहुंची थी। उन्होंने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत की। 

2009 में की थी शुरुआत

अर्चना ने पहली बार जूडो वर्ष 1999 में खेला था। वे तब सातवीं कक्षा में थी। खिलाडिय़ों को जो सुविधाएं आज मिलती हैं वो उस वक्त नहीं होती थी। जिन मैट पर प्रेक्टिस करते थे वो फटे होते थे, क्योंकि मैट के बिना प्रेक्टिस नहीं कर सकते थे इसलिए खुद ही सुई धागे से मैट की सिलाई करनी पड़ी। ऐसा भी सम आया जब मैट पूरी तरह से फट गए और नए खरीदने के लिए लोगों से चंदा जुटाना पड़ा।

दोहा में मिला था बेस्ट प्लेयर का अवार्ड

अर्चना ने बताया कि वर्ष 2004-05 में वह जूडो की जूनियर एशियन चैंपियनशिप में खेलने के लिए दोहा (कतर) गईं। वहां पर उन्होंने न केवल प्रथम स्थान प्राप्त किया, बल्कि बेस्ट प्लेयर भी चुनी गईं। न्यूजीलैंड में हुए कॉमनवेल्थ खेलों में सिल्वर मेडल जीतने का मौका मिला। नेशनल खेलों में चार बार प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी हैं। अब तक छह बार विदेशों में आयोजित खेलों में खेल चुकी हैं। खेलों में मिली उपलब्धियों के लिए उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने वर्ष 2005 में भीम अवार्ड से सम्मानित किया था।

25 से 30 सितंबर तक होंगे खेल

इस बार कॉमनवेल्थ खेल इंग्लैंड में 25 से 30 सितंबर तक होंगे। देशभर से 146 खिलाड़ी वहां जाएंगे, जिनमें जूडो की जूनियर टीम के 40 खिलाड़ी हैं। अर्चना के पिता रोडवेज से चीफ इंस्पेक्टर रिटायर हैं, जबकि उनकी बहन अरुणा महिला थाना सिरसा की एसएचओ हैं। अरुणा भी जूडो की खिलाड़ी हैं। वे आज भी हरियाणा पुलिस की तरफ से आयोजित खेलों में हिस्सा लेती हैं, जबकि छोटा भाई पीडब्ल्यूडी में जेई है।


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