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हरियाणा में बिजली संकट ने उद्योगों का किया बुरा हाल, नाइट शिफ्ट का हुआ 'स्विच आफ'

Power Crisis in Haryana हरियाणा में बिजली संकट ने आम लोगों के साथ ही उद्योंगों को भी प्रभावित किया है। बिजली कट से उद्योगों का बुरा हाल हो गया है और इनमें नाइट शिफ्ट में काम बंद हो गया है। इससे इनमें उत्‍पादन पर असर पड़ रहा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 01 May 2022 08:57 AM (IST)Updated: Sun, 01 May 2022 10:11 AM (IST)
हरियाणा मेंेबिजली संकट से उद्योगों का बुरा हाल हो गया है। (सांकेतिक फोटो)

हिसार/पानीपत, जेएनएन। Power Crisis in Haryana: हरियाणा में बिजली संकट ने आम लोगों का बुरा हाल कर दिया है तो उद्योग भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। बिजली कटौती के कारण राज्‍य के उद्योग जगत  का बुुुरा हाल है। फैक्‍टरियों में नाइट शिफ्ट का 'स्विच आफ' हो गया है और तीन शिफ्टों में चलने वाली फैक्टरियां सिर्फ दो शिफ्ट में उत्पादन कर रही हैं।

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पानीपत की हैंडलूम, यमुनानगर की प्लाईवुड, रोहतक की नट-बोल्ट, बहादुरगढ़ की जूता और रबड़ फैक्टरियाें सहित सहि सभी में काम प्रभावित हुआ है। नाइट शिफ्ट में काम लगभग बंद हो चुका है। घोषित के अलावा अघोषित बिजली कटौती के कारण भी उद्योग प्रभावित हो रहे हैं। 40 से 70 प्रतिशत तक उत्पादन गिर गया है और हजारों लोगों का रोजगार छिन गया है। समय पर आर्डर सप्लाई न होने से उद्यमियों को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है।

पानीपत : 15 लाख मीटर कपड़े का उत्पादन ठप, 30 हजार का रोजगार छिना

टेक्सटाइल सिटी पानीपत में एक शिफ्ट में काम पूरी तरह से बंद हो गया है। 15 लाख मीटर कपड़ा उत्पादन ठप है। करीब 30 हजार लोगों का रोजगार छिन गया है। कामगार भी अपने घर की ओर जाने लगे हैं। दरअसल, पांच सौ किलोवाट का जनरेटर चलाने पर एक रात में एक लाख रुपये का डीजल खर्च हो जाता है।

वहीं, बिजली से सिर्फ 20 हजार रुपये का खर्च आता है। यानी, सीधे-सीधे 80 हजार का खर्च बढ़ गया है। इसलिए फैक्टि्रयां बंद होने लगी हैं। पोलर के 50 प्लांट बंद हैं। मिंक के 125 प्लांट बंद हैं। थ्रीडी बेडशीट की 125 फैक्टि्रयां बंद हैं। इसी तरह पर्दा, सोफा कवर की फैक्टरियां भी नहीं चल रहीं। 300 डाई हाउस में 12 लाख किलो धागा डाई नहीं हो रहा।

सोनीपत : कंपनियों में 40 प्रतिशत उत्पादन गिरा

सोनीपत के बड़ी, राई, कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में बिजली कटौती के कारण उत्पादन में करीब 40 प्रतिशत की कमी आई है। सबसे बड़ा नुकसान कटों का कोई शेड्यूल नहीं होने से हो रहा है। सरकार ने आठ घंटे कट की घोषणा कर रखी है। इसके लिए शेड्यूल भी जारी किया गया है, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है। शेड्यूल नहीं होने से कामगार तीनों शिफ्टों में आ रहे हैं।

राई इंडस्ट्रियल मेन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के प्रधान राकेश देवगन के अनुसार बिजली कट का कोई शेड्यूल नहीं है। किसी भी समय बिजली कटौती कर दी जाती है। बिजली सप्लाई बंद होते ही मशीनें भी बंद हो जाती हैं। इससे मशीनों में जो भी माल तैयार हो रहा होता है, वह भी खराब हो जाता है। दोबारा से उसे तैयार कराना पड़ता है। इसके अलावा माल भी तय समय पर तैयार नहीं हो रहा है, जिससे सप्लाई देने में भी दिक्कत आ रही है।

यमुनानगर : 80 प्रतिशत फैक्टि्रयों में नाइट शिफ्ट बंद

जिले में प्लाईबोर्ड, मेटल, इस्जैक व शुगर मिल के अलावा अन्य कई दूसरी फैक्टटरियां भी हैं। हरियाणा चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश महासचिव राज चावला का कहना है कि बार- बार बिजली के अनियमित कट लगने से उद्योगों में उत्पादन घट गया है। 80 प्रतिशत फैक्टि्रयों में नाइट शिफ्ट बंद हो गई है।

बोर्ड इंडस्ट्री कोरोना काल के कारण आर्थिक संकट से अभी तक बाहर नहीं निकल पाई है। जनरेटर से फैक्टरी चलाने पर लागत दो से ढाई गुना तक बढ़ जाती है। बिजली के अद्योषित कटों के कारण 60 प्रतिशत उत्पादन प्रभावित हुआ है। आर्डर पूरे नहीं हो पा रहे हैं। कामगारों को किसी तरह से रोका हुआ है। यदि कामगार चले गए तो व्यापार पटरी से उतर जाएगा।

फरीदाबाद : 25 हजार फैक्टरियों को रोज हो रहा करोड़ों का घाटा

औद्योगिक नगरी में बिजली कटौती की वजह से 40 प्रतिशत तक उत्पादन घट गया है। जिले 25 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयों में रोजाना करोड़ों रुपये का घाटा हो रहा है। रात को उद्योग बंद रखने पड़ रहे हैं। दिन में हो रही बिजली सप्लाई में कई बार कट लग रहे हैं। इससे माल खराब हो रहा है। रबड़ और प्लास्टिक के उद्योग में तो बिजली कट अभिशाप बन गया है।

बिजली जाते ही बायलर ठंडा हो जाता है और इसके अंदर तैयार हो रहा माल खराब हो जाता है। इसलिए तुरंत जनरेटर चलाना पड़ता है। डीजल पर महंगाई की वजह से उद्यमियों पर दोहरी मार पड़ रही है। जिनके पास बड़े जनरेटर नहीं हैं, वे उद्यमी पूरी मशीनरी नहीं चला पा रहे हैं। श्रमिकों को नौकरी जाने का खतरा लग रहा है, क्योंकि उद्योगों में काम ही नहीं हो पा रहा है। उद्यमी अब कम श्रमिकों से ही काम चला रहे हैं।

रोहतक : 80 प्रतिशत नट-बोल्ट कारोबारियों ने रात में काम किया बंद

रात की आठ घंटे नियमित कटौती ने उद्योगों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। हिसार रोड औद्योगिक क्षेत्र के प्रधान एसके खटौड़ का दावा है कि 80 प्रतिशत नट-बोल्ट कारोबारियों ने नया रोस्टर जारी होने के बाद दो दिनों में ही रात में उत्पादन बंद कर दिया है।

जो बड़ी कंपनियां हैं और स्वयं सक्षम हैं उन्हीं के यहां मुश्किल से काम हो रहा है। रात के अलावा दिन में भी दो से चार घंटे की कटौती हो रही है। इससे उत्पादन 50-60 प्रतिशत घट गया। फिलहाल उद्योगों को संचालित करने के लिए 25-30 प्रतिशत कामगारों की जरूरत है।

अंबाला : मिक्सी उद्योग से जुड़े पांच हजार लोगों का काम ठप

अंबाला में छोटी बड़ी करीब 40-45 साइंस इंडस्ट्री हैं जबकि इसे ज्यादा लोग अपने घरों में मिक्सी के कलपुर्जे तैयार करते हैं। मिक्सी उद्योग करीब 5 हजार लोगों को रोजगार दे रहा है। बिजली आपूर्ति नहीं होने से इन सभी के सामने संकट पैदा हो गया है। क्योंकि, मोल्डिंग और डाइकास्टिंग के काम के लिए लगातार 12 घंटे बिजली आपूर्ति जरूरी है।

एक घंटा का भी बीच में कट लग गया तो पूरी प्रक्रिया फिर से करनी पड़ती है। कारोबारियों ने बताया कि एक फैक्टरी का लोड करीब 45 किलोवाट है। इतना लोड जेनरेटर नहीं उठाते यदि बड़े जेनरेटर चला भी लें तो प्रति घंटा 15 लीटर डीजल की खपत होती है। इसीलिए इन दिनों काम ठप हो गया है।

बहादुरगढ़ : आठ हजार उद्योगों में 70 प्रतिशत उत्पादन गिरा, जूता उद्योग को राेज 150 करोड़ का नुकसान  

बहादुरगढ़ के उद्योगों में उत्पादन ठप होने की कगार पर है। आठ घंटे के कट से रात में उत्पादन बंद हो चुका है। दिन में भी बिजली कटौती हो रही है। इससे यहां के आठ हजार उद्योगों में 70 प्रतिशत तक उत्पादन कम हो चुका है। जूता उद्योग को रोजाना लगभग 150 करोड़ का नुकसान हो रहा है।

रात में आठ से सुबह चार बजे तक बिजली कट की वजह से कच्चा माल तैयार नहीं हो रहा। जनरेटर से उत्पादन में एक जोड़ी जूता बनाने में 40 रुपये ज्यादा खर्च हो रहे हैं। बहादुरगढ़ चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेंद्र छिकारा का कहना है कि अगर जल्द संकट दूर न हुआ तो उत्पादन और कम हो जाएगा।

गुरुग्राम : आटोमोबाइल व गारमेंट हब में 25 प्रतिशत तक उत्पादन प्रभावित

गुरुगाम में लगभग 22 दिन से औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली का संकट जारी है। 20 से 25 प्रतिशत औद्योगिक उत्पादन प्रभावित है। पूरी रात बिजली न रहने से रात की शिफ्ट में काम करना असंभव सा हो गया है। दिन में अनगिनत अघोषित पावर कट का सिलसिला चल रहा है।

देश के सबसे बड़े आटोमोबाइल हब गुरुग्राम और गारमेंट व टेक्सटाइल हब उद्योग विहार में बिजली के साथ-साथ पानी को लेकर भी स्थिति बेहद खराब हो गई है। गुरुग्राम के आइएमटी मानेसर, उद्योग विहार, सेक्टर-37, आइडीसी, बिनौला, दौलताबाद, बहरामपुर, कादीपुर और बेगमपुर खटोला जैसे औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमियों का कहना है कि जनरेटर से उत्पादन करना मंहगा साबित हो रहा है।

हिसार : स्टील उद्योगों में उत्पादन घटकर 40 प्रतिशत पर आया

हिसार में स्टेनलेस स्टील से जुड़े छोटे-बड़े 150 उद्योग हैं। इसके अलावा 200 उद्योग अन्य सामानों से जुड़े हैं। बिजली की घोषित-अघोषित कटौती से उत्पादन घटकर 40 प्रतिशत पर आ गया है। मशीनें ठीक से चल ही नहीं पा रही हैं। इसमें छोटे प्लांट तो पूरी तरह ही ठप हैं और बड़े प्लांटों को जनरेटर के सहारे उत्पादन हो रहा है। लेकिन उनकी उत्पादन लागत काफी बढ़ गई है। मशीनें बंद रहने से कामगार भी शिफ्टों में इंतजार करती रहती है।


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