आलू ने किया किसानों को मालामाल, इस बार बढ़ सकते हैं जमीन ठेके के दाम
शुरुआती दिनों में अच्छे रहे आलू के दाम। शाहाबाद और लाडवा क्षेत्र में है आलू की बेल्ट। इस क्षेत्र के किसान परमल धान की कटाई करते ही आलू की बिजाई शुरू कर देते हैं। इस साल जिले में करीब नौ हजार हेक्टेयर में आलू की बिजाई की गई है।
पानीपत/कुरुक्षेत्र, जेएनएन। गत वर्ष के मुकाबले इस बार आलू के दाम अच्छे रहने पर आलू बेल्ट में जमीनों के ठेके तेज रहने का अनुमान है। आलू उत्पादक किसानों में इस बात को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। जमीन ठेेके पर लेकर खेती करने वाले किसानों ने अभी से ही जमीन मालिकों से तालमेल बढ़ाना शुरू कर दिया है। कइयों ने इसके लिए गत वर्ष के मुकाबले पांच से 10 फीसद तक की बढ़ोतरी करते हुए अगले साल जमीन ठेेके पर लेने का करार भी कर लिया है।
50 हजार हेक्टेयर में होती है आलू की खेती
कुरुक्षेत्र जिले में एक लाख 50 हेक्टेयर के करीब क्षेत्र में खेती की जाती है। इस साल जिले भर में नौ हजार हेक्टेयर के करीब में आलू की बिजाई की गई है। इसी क्षेत्र में से शाहाबाद और लाडवा बेल्ट में सबसे ज्यादा आलू की बिजाई होती है। इस क्षेत्र के किसान परमल धान की कटाई करते ही आलू की बिजाई शुरू कर देते हैं। सितंबर के अंतिम सप्ताह में आलू बिजाई करने के बाद किसान नवंबर के तीसरे सप्ताह में खेत से आलू निकालना भी शुरू कर दते हैं।
डेढ़ लाख प्रति एकड़ की हुई कमाई
इस बार आलू के दाम अच्छे रहने पर किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है। शुरुआती दिनों में आलू के दाम 3300 रुपये प्रति क्विंटल भी रहे हैं। पिछले करीब 20 दिनों से आलू के दाम 3000 से 1600 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रहे हैं। ऐसे में प्रति एकड़ 50 से 70 क्विंटल तक की पैदावार होने से किसानों की एक से डेढ़ लाख रुपये प्रति एकड़ आलू की बिक्री हुई है। इस बार आलू की खेती में मुनाफा दिखते ही ठेके पर लेकर खेती करने वाले किसानों ने अगले साल के लिए भी जमीन मालिकों से बातचीत शुरू कर दी है।
दाम अच्छे होने पर इस बार कुछ राहत
प्रगतिशील किसान महावीर सिंह ने कहा कि इस बार आलू के दाम अच्छे रहने से आलू उत्पादक को कुछ राहत है। हालांकि फानों को खेत में ही मिलाने और खेत से जल्दी आलू निकालकर गेहूं की बिजाई करने के चलते खर्चा ज्यादा बढ़ गया है। इस बार आलू का बीज भी महंगा होने पर प्रति एकड़ के हिसाब से 40 से 60 हजार रुपये खर्च हुए हैं। दाम अच्छे रहने पर किसान अब अगले साल के लिए भी ठेके पर जमीन लेने की बात करने लगे हैं।