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दिव्यांगता पर भारी पड़ा मतदान का जुनून

नगर निगम चुनाव में दिव्यांगता पर मतदान का जुनून भारी दिखा। बुजुर्ग आंखों में मतदान करने का जज्बा दिखा।

By Edited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 11:49 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 11:49 PM (IST)
दिव्यांगता पर भारी पड़ा मतदान का जुनून
दिव्यांगता पर भारी पड़ा मतदान का जुनून

पानीपत, जेएनएन। नगर निगम चुनाव में दिव्यांगता पर मतदान का जुनून भारी दिखा। बुजुर्ग आंखों से देख नहीं पाते, पैरों से चला नहीं जाता। हाथ भी काम नहीं करते। इसके बावजूद वे पोतों की गोदी और बाइकों पर बैठकर बूथों पर पहुंचे। कोई बैसाखी के सहारे पहुंचा। मत डालने वाले ये लोग असल हीरो हैं।

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ये उन युवाओं के लिए सीख हैं जो मतदान करने नहीं करते। कभी मतदान से नहीं चुका वार्ड-17 के संजय कॉलोनी के 90 वर्षीय बनवारी ने बताया कि बुढ़ापे व बीमारी से टांगों से चला नहीं जाता है। पोतों से कहा कि उसे मतदान करना है। वे मान गए। एक किलोमीटर दूर पावर हाउस में पोते की बाइक से पहुंचा और मतदान किया। उसे खुशी है कि उसके मत का किसी प्रत्याशी का भला हो जाएगा। वह अभी तक एक भी मतदान से नहीं चुका है।

मतदान करना कभी नहीं भूलता हूं
राजनगर के सुधीर कुमार बताते हैं कि बचपन में ही पोलियो ने जकड़ लिया था। पैरों से चला नहीं जाता था। बैसाखी के सहारे जीवन चल रहा है। वह धागे का काम कर गुजर-बसर कर रहा है। कभी मतदान से नहीं चुकता है। उसने सारे काम छोड़कर मतदान किया। साथियों को भी मतदान के लिए प्रेरित करता हूं। बहुओं का सहारा लेकर मतदान किया संजय कॉलोनी की 70 वर्षीय ओमपति बताती हैं कि 20 साल से शुगर की बीमारी से जूझ रही है। पैरों से चला नहीं जाता है। घर से पावर हाउस में मतदान केंद्र काफी दूर था। इसलिए बहुओं का सहारा लेकर पहुंची हूं। भला हो लाइन में लोगों का जिन्होंने उसे पहले मतदान करने दिया है। वह हमेशा मत डालती है।

पहली बार डाला मत
पत्नी को भी डलवाया संजय कॉलोनी में किराये के मकान में रहने वाले सीताराम तिवारी ने बताया कि दो साल पहले उसका दायां हाथ मशीन में कुचला गया था। इसके बाद से काम करने में दिक्कत आ रही है। शनिवार रात को कुत्ते ने काट लिया। उसने और पत्नी बसंती ने कभी मतदान नहीं किया था। वह पत्नी को भी साथ लाया और दोनों ने मतदान किया।

आंखों से दिखता नहीं, इसलिए बेटे को साथ लाया
न्यू संजय कॉलोनी के 66 साल के सोमपाल ने बताया कि वह टेलर था। 18 साल पहले उसे आंखों से दिखना बंद हो गया। काम छूट गया। उसने मत डालना था। इसलिए बेटे सोनू के साथ आ गया। वह मत डालने कभी नहीं चुकता है।


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