Move to Jagran APP

करनाल में चौका लगाने वाले चिरंजीलाल को सोनीपत ने दी थी पटकनी

सोनीपत के मतदाता चौ. देवीलाल चिरंजीलाल शर्मा धर्मपाल मलिक सरीखे बड़े नेताओं को आईना दिखा चुके हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 10 Apr 2019 07:44 PM (IST)Updated: Wed, 10 Apr 2019 07:44 PM (IST)
करनाल में चौका लगाने वाले चिरंजीलाल को सोनीपत ने दी थी पटकनी
करनाल में चौका लगाने वाले चिरंजीलाल को सोनीपत ने दी थी पटकनी

पानीपत/जींद, [कर्मपाल गिल]। सोनीपत लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं का मिजाज कुछ अलग ही रहा है। बांगर, खादर और देशवाली बेल्ट में फैले इस संसदीय क्षेत्र के वोटरों ने कभी नए चेहरे को शिखर पर पहुंचाया तो कई दिग्गजों को चुनावी अखाड़े में धूल भी चटाई है। अधिकतर चुनावों में यहां का मतदाता लहर के साथ चलता है।

loksabha election banner

जींद और सोनीपत जिले में फैले सोनीपत संसदीय क्षेत्र में जींद जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र जुलाना, सफीदों व जींद आते हैं। सोनीपत जिले के गन्नौर, राई, सोनीपत, गोहाना, खरखौदा, बरोदा विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इस लोकसभा सीट का गठन 1977 में हुआ था। तब से लेकर अब तक हुए 11 चुनावों में कांग्रेस और भाजपा ने तीन-तीन बार जीत दर्ज की है।

जाट बहुल सीट है सोनीपत संसदीय क्षेत्र
सोनीपत सीट को जाट बहुल माना जाता है, लेकिन 1996 में ब्राह्मण अरविंद शर्मा और 2014 में रमेश कौशिक ने यहां से जीत हासिल की है। चौधरी देवीलाल, धर्मपाल मलिक, किशन सिंह सांगवान जैसे बड़े नेताओं ने सोनीपत लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर संसद तक का रास्ता तय किया है। 1980 में हुए चुनाव में चौ. देवीलाल ने जनता पार्टी की टिकट पर सोनीपत से ताल ठोक दी थी। देवीलाल की खूबी यही थी कि वे कहीं से भी चुनाव लड़ लेते थे।

देवीलाल ने दर्ज की थी जीत
पहली बार सोनीपत के रण में उतरे देवीलाल को लोगों ने खूब प्यार दिया और उन्होंने कांग्रेस के रणधीर सिंह को 1.57 लाख मतों के अंतर से पटकनी दी। इसके बाद 1984 में हुए चुनाव में देवीलाल ने लोकदल के टिकट पर फिर सोनीपत से पर्चा भर दिया, लेकिन इस बार लोगों का मूड बदला। तब उनके सामने कांग्रेस के नए प्रत्याशी धर्मपाल मलिक थे। वे पहली बार चुनाव लड़ रहे थे। सबको देवीलाल की जीत का यकीन था। हालांकि मुकाबला 1980 की तरह आसान नहीं था, जब नतीजे आए तो राजनीतिक विश्लेषक हैरान थे। धर्मपाल मलिक ने कांटे के मुकाबले में देवीलाल को 2941 वोटों से हरा दिया। इस जीत के बाद धर्मपाल मलिक का प्रदेश की राजनीति में कद बढ़ गया और बाद में वे प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने।

पंडितजी यहां नहीं दिखा पाए जलवा
प्रदेश में चिरंजीलाल शर्मा कांग्रेस के ऐसे सांसद रहे हैं, जो करनाल से लगातार चार बार 1980 से 1996 तक सांसद रहे। करनाल में आइडी स्वामी के हाथों हार के बाद चिरंजीलाल शर्मा ने 1999 में कांग्रेस के टिकट पर सोनीपत सीट से किस्मत आजमाई, लेकिन यहां उन्हें बड़ी हार का मुंह देखना पड़ा। भाजपा प्रत्याशी किशन सिंह सांगवान ने दो लाख 66 हजार 138 वोटों से हरा दिया। इसके बाद चिरंजीलाल शर्मा ने कभी चुनाव नहीं लड़ा।

लगातार तीन जीत से भाजपा के बड़े नेता बन थे किशन सिंह सांगवान
सोनीपत सीट पर किशन सिंह सांगवान ही अकेले ऐसे नेता रहे हैं, जिन्होंने लगातार तीन बार जीत हासिल की है। पहली बार 1998 में लोकदल के टिकट पर सांसद बने थे। तब प्रदेश में बंसीलाल की सरकार थी। तब भी सांगवान ने हविपा के अभयराम दहिया को 1.37 लाख वोटों से हराया था। 1999 के चुनाव में भाजपा और इनेलो का गठबंधन हो गया और सोनीपत सीट भाजपा के खाते में चली गई। तब इनेलो नेता किशन सिंह सांगवान ने भाजपा से पर्चा भरा और कांग्रेस के चिरंजीलाल शर्मा को करारी पटकनी दी। इसके बाद 2004 के चुनाव में देशभर में शाइनिंग इंडिया का नारा नहीं चला था, लेकिन सांगवान ने कांग्रेस के धर्मपाल मलिक को कड़े मुकाबले में 7569 वोटों से हराकर तीसरी बार जीत दर्ज की। इसके बाद भाजपा ने भी सांगवान को पार्टी में महत्व देते हुए उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था। अब किशन सिंह के पुत्र प्रदीप सांगवान कांग्रेस से सोनीपत का टिकट मांग रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.