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पहले पुलिस ने पीटा, फि‍र उन्‍हीं पर केस दर्ज किया, कोर्ट ने पांच साल बाद किया बरी

गोरक्षक आजाद आर्य और पार्षद रवींद्र भाटिया सहित कोर्ट से छह बरी। सदर थाने में तोडफ़ोड़ जाम लगाने सहित कई लगे थे आरोप। बेकसूर नौ गोरक्षकों की पैरवी के लिए गए थे थाना

By Ravi DhawanEdited By: Published: Sun, 07 Apr 2019 12:22 PM (IST)Updated: Mon, 08 Apr 2019 10:45 AM (IST)
पहले पुलिस ने पीटा, फि‍र उन्‍हीं पर केस दर्ज किया, कोर्ट ने पांच साल बाद किया बरी

पानीपत, जेएनएन। गोरक्षक दल हरियाणा के उपाध्यक्ष आजाद सिंह  आर्य और पार्षद रवींद्र भाटिया सहित छह को जेएमआइसी रजनी कौशल ने विभिन्न आरोपों से बरी कर दिया है। मामला 23 सितंबर, 2014 का है। सभी सदर थाना में बेकसूर नौ गोरक्षकों की पैरवी करने गए थे। पुलिस ने आजाद आर्य सहित सभी की खदेड़ कर पिटाई की थी। इसके बाद थाना में तोडफ़ोड़ करने, सरकारी काम में बाधा पहुंचाने, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और जीटी रोड़ पर जाम लगाने सहित कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।

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आजाद सिंह आर्य और रवींद्र भाटिया पक्ष के वकील सुरेश पाराशर ने बताया कि 22 सितंबर 2014 को गोरक्षकों ने गो-तस्करों की गाड़ी को रोक कर, गोवंश छुड़ाया था। पुलिस ने गो-तस्करों से शपथ पत्र लेकर गोरक्षकों के खिलाफ डकैती सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर सभी को जेल भेज दिया था। इनमें सुशील, आजाद, अनीश, सुशील कुमार, मनदीप, दीपक, राजकुमार, सागर और मनोज शामिल थे।

डीएसपी से मिलने पहुंचे थे
गो रक्षकों पर दर्ज किए गए झूठे डकैती के मामले की शिकायत लेकर आजाद आर्य तत्कालीन डीएसपी से मिले। उन्होंने सदर थाने में जाकर बात करने को कहा। 23 सितंबर 2014 को आजाद आर्य, पार्षद रवींद्र भाटिया, सुभाष, रवींद्र और रामशरण आदि थाने में बात करने गए तो पुलिस ने जीटी रोड पर सभी को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा था। आर्य के कपड़े तक उतार फेंके थे और मुंह में जूता तक ठूंस दिया था। इसके बाद पुलिस ने छह के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। वकील सुरेश पाराशर ने बताया कि करीब साढ़े चार साल केस का ट्रायल चला। इस दौरान पुलिस-पब्लिक के करीब 32 गवाह पेश किए गए। ठोस गवाह नहीं मिलने और सबूतों के अभाव में कोर्ट ने सभी को बरी कर दिया।

40 दिन जेल में रहे थे गोरक्षक
आर्य ने बताया कि जिन नौ गो रक्षकों को झूठे केस में फंसाया था, बाद में पुलिस ने कोर्ट में शपथ पत्र दिया कि सभी जांच में बेकसूर पाए गए। इसके बाद सभी जेल से रिहा हुए। इस दौरान सभी करीब 40 दिन जेल में रहे। उधर आर्य के साथ आरोपित बनाया गया किवाना वासी रामशरण थाने के बाहर खड़ा होकर हंगामा देख रहा था, पुलिस ने उसे भी आरोपित बना दिया था।

पुलिस को देना पड़ा था 25 हजार हर्जाना
23 सितंबर 2014 को पुलिस की ओर से हुए लाठीचार्ज मामले में पुलिस विभाग को 25 हजार रुपए हर्जाना देना पड़ा था। पुलिस ने घायलों का इलाज नहीं कराया था। आर्य ने मामले की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में कर दी थी। आयोग ने डीजीपी हरियाणा और मुख्य सचिव को भी नोटिस के माध्यम से 25 हजार रुपए हर्जाना देने को भी कहा गया था।

हमें न्‍यायपालिका पर भरोसा था
आजाद सिंह आर्य व रवींद्र का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार के कार्यकाल में गोरक्षकों पर बड़ी संख्या में झूठे मुकदमे दर्ज किए गए थे। हमें न्यायपालिका, गोवंश की सेवा पर पूरा भरोसा था। उस भरोसे की जीत हुई है।


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