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तुगलक की सनक का शिकार हुई थी ये एतिहासिक धरोहर, अब फ‍िर होगी बुलंद Panipat News

यमुनानगर के गांव टोपरा में चार सितंबर को अशोक स्‍तंभ का शिलान्यास होगा। ग्रामीणों और द बुद्धिस्ट फोरम ने मिल कर प्रयास किया है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 09:40 AM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 03:45 PM (IST)
तुगलक की सनक का शिकार हुई थी ये एतिहासिक धरोहर, अब फ‍िर होगी बुलंद Panipat News
तुगलक की सनक का शिकार हुई थी ये एतिहासिक धरोहर, अब फ‍िर होगी बुलंद Panipat News

पानीपत/यमुनानगर, [पोपीन पंवार]। कहते हैं इतिहास खुद को दोहराता है। कम से कम टोपरा गांव के संदर्भ में तो यह बात सच साबित होती नजर आ रही है। यहां वक्त और इतिहास दोनों खुद को दोहरा रहे हैं। अंतर इतना है, एक वक्त सम्राट अशोक थे, जिन्होंने स्तंभ लगवाया था। अब वक्त की अंगुली थामी है ग्रामीणों ने। अपने युवा सरपंच मनीष नेहरा और द बुद्धिस्ट फोरम के साथ। फोरम के अध्यक्ष पद्म विभुषण दर्शन लाल ने बताया कि यह सपने के सच होने जैसा है।

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चार सितंबर। वह तारीख, जो वक्त के पन्नों पर टोपरा के लिए नया इतिहास लिखेगी। जिस अशोक स्तंभ को फिरोजशाह तुगलक यहां से उखाड़ कर दिल्ली ले गया था, अब फिर से इसी गांव में स्थापित होगा। दिल्‍ली के जैसा अशोक स्‍तंभ यमुनानगर के टोपरा गांव में स्‍थापित होगा। 

तैमूर ने कोटला में छुआ नहीं था
फोरम के जनरल सेक्रेटरी सिद्धार्थ गौरी ने बताया कि चार्ल्‍स ऐलन ने बुक अशोक में बताया कि आक्रमणकारी तैमूर जब तोड़फोड़ मचा रहा था, तब उसने कोटला स्थित इस स्तंभ को छुआ भी नहीं था। वह इसके अध्यात्म की चमक में खो गया था।

यह हो रही थी परेशानी
दिल्ली में लगा स्तंभ टोपरा का है, यह साबित करना कठिन था। इसके लिए इतिहासकार शाम-ए-शिराज की तारीक-ए-फिरोजशाही का हवाला दिया गया। इसके बाद यह तथ्य स्वीकार हुआ कि टोपरा का स्तंभ फिरोजशाह कोटला में लगा है।

टोपरा से क्या रिश्ता
दरअसल, ये माना जाता है कि एक समय में हरियाणा में बुद्धिज्म अपने चरम पर रहा है। असंध, टोपरा, सुघ, चनेटी और आदिबद्री में बोद्ध स्तूप और स्तंभ लगवाए गए थे। ये आज भी मौजूद हैं। टोपरा आदिबद्री के रास्ते में पड़ता है। यह धार्मिक मार्ग माना जाता था। इसी वजह यमुना किनारे बसे गांव टोपरा का विशेष महत्व था। अब फिर से टोपरा का ऐतिहासिक महत्व बढ़ाया जा रहा है।

सिस्टम को मनाया
अधिकारियों व सरकार को मनाना खासा मुश्किल था। आठ साल तक पत्र लिखे। दो सरपंच लगे रहे। हर मंच से आवाज उठाई। 42 पंचायतों ने प्रस्ताव पास कर केंद्र को पत्र सौंपा था।

प्रोजेक्ट एक नजर में
एशिया भर में सम्राट अशोक के स्तंभ और शिलालेख का रेप्लिका यहां स्थापित किया जाएगा। इसमें 9 स्तंभ, 14 शिलालेख होंगे। पहले चरण में यहां दिल्ली जैसा अशोक स्तंभ स्थापित होगा। इसकी उंचाई 50 फीट रखी जाएगी। प्रथम चरण में विहार 40 एकड़ का होगा। इसके लिए 80 करोड़ का बजट रखा गया है।

अब बुद्ध विहार बनाएंगे
स्तंभ क्यों? इस तरह के सवाल उठे। तब तय हुआ यहां सम्राट अशोक के शिलालेख पर आधारित बुद्ध विहार बनाया जाएगा। यह विश्व में सबसे बड़ा और अपनी तरह का सबसे पहला भी होगा।

टर्निंग प्वाइंट बना अशोक चक्र
ऑस्ट्रेलिया में दंत चिकित्सक डॉ. सत्यदीप गोरी के सहयोग से गांव में इसी साल 30 फीट ऊंचा अशोक चक्र स्थापित किया गया था। लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में इसकी ऊंचाई दर्ज हुईतो केंद्र व राज्य सरकार का ध्यान गांव की ओर आया।


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