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पिकू नहीं जाने देगी किसी की जान, एबुलेंस के आसपास मौत भी नहीं भटक पाएगी

सड़क पर बिना डॉक्टर के जान नहीं जाएगी। अब पिकू लोगों के लिए जीवन रक्षक बनेगी। चित्कारा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एसएन पांडा की टीम ने इस मशीन को तैयार किया है।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 06:47 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 10:42 AM (IST)
पिकू नहीं जाने देगी किसी की जान, एबुलेंस के आसपास मौत भी नहीं भटक पाएगी
पिकू नहीं जाने देगी किसी की जान, एबुलेंस के आसपास मौत भी नहीं भटक पाएगी

पानीपत/कुरुक्षेत्र [सतीश चौहान]। चलती सड़क पर एंबुलेंस में किसी बीमारी के कारण किसी मरीज की हालत बिगड़ती है तो उसके लिए एक्सपर्ट डॉक्टर के पास नहीं जाना पड़ेगा। यह मशीन इलाज में माध्यम बनेगी और जिंदगी बचाई जा सकेगी।  इस मशीन को डॉक्टर अपने क्लीनिक या फिर कहीं से भी अपने स्मार्ट फोन से चला सकेंगे। 

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चित्कारा विश्वविद्यालय के रिसर्च विभाग की टीम ने प्रोफेसर एसएन पांडा के नेतृत्व में एक मशीन तैयार की है। जिसे रिसर्च टीम ने नाम दिया है पिकू यानि पोर्टेबल सेंसेटिव केयर यूनिट। डॉ. पांडा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूआइईटी संस्थान में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के टीक्यूप-3 के सहयोग से आयोजित इंटरनेट ऑफ थिंग्‍स विषय पर आयोजित कार्यशाला में आए थे। 

हर एंबुलेंस में लग सकेगी
डॉ. पांडा ने बताया कि मशीन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह हर एंबुलेस में लगाई जा सके। यह मशीन हर प्रकार की बीमारी का इलाज करने में सक्षम होगी। बस इसमें दवाइयां एंबुलेंस में होनी चाहिए। 

निर्देशों के अनुसार दे सकेगी दवाई
मशीन निर्देशों के अनुसार ही दवाई दे सकती है और टीका भी लगा सकती है। जिसमें दवाई कितनी देनी हैं और कितने समय तक देना है यह सब निर्देश डॉक्टर को ही देने होंगे। उन्होंने यह मशीन खासतौर पर ट्रैफिक की समस्या को देखते हुए तैयार की है, क्योंकि कई बार एंबुलेंस में भी डॉक्टर न होने के कारण मरीज की जान चली जाती है। 

अपने स्मार्ट फोन से ऑपरेट कर सकते हैं डॉक्टर 
इस मशीन को चलाने के लिए डॉक्टर के पास स्मार्ट फोन होना चाहिए। वह अपने क्लीनिक से ही इसे आपरेट कर सकता है। इसमें टच स्क्रीन है जिसमें डॉक्टर मरीज की हालत को अपने स्मार्ट फोन पर सामने देख सकता है। इस मशीन में एक इंजेक्शन पंप, वाइटल साइन, इसीजी, बीपी, हार्ट रेट की जांच करने वाले उपकरण लगाए हैं। 

वर्ष 2017 में कराया था पेटेंट 
यह मशीन देश में बनी एक प्रकार की पहली मशीन है। इस एक मशीन को तैयार करने में लगभग डेढ़ लाख रुपये का खर्च होता है। जो ज्यादा नहीं है। इसलिए इसे हर एंबुलेंस के लिए खरीदा जा सकता है। डॉ. पांडा ने बताया कि उन्होंने इसका पेटेंट 2017 में कराया था। अब इसे मार्केट में उतारने की तैयारी है।


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