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Lockdown: Srinagar से तय किया 500 किमी का कांटों भरा सफर, Panipat पहुंचे तो फफक कर रो पड़े

Coronavirus और Lockdown की वजह से प्रवासियों को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। घर पहुंचने के लिए सैकड़ों किमी का सफर तय करने वाले लोगों से जब बात की तो वे फफक कर रो पड़े।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 27 Mar 2020 05:23 PM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2020 09:28 AM (IST)
Lockdown: Srinagar से तय किया 500 किमी का कांटों भरा सफर, Panipat पहुंचे तो फफक कर रो पड़े

पानीपत, [अजय जैन]। लॉकडाउन से अचानक लड़खड़ाई जिंदगी की जो तस्‍वीर सामने आई है, वो आंखों में आंसू ला देने वाली है। श्रीनगर में काम कर रहे उत्‍तर प्रदेश के लोग 500 किमी का सफर तय कर पानीपत पहुंचे। कभी पुलिस के डंडे खाए तो कभी वाहनों पर लटके। एक दूसरे का सहारा बनते हुए 26 प्रवासी पानीपत पहुंचे। जब पानीपत के इसराना में उन्‍हें रोका गया तो वे फफक कर रो पड़े। उनकी परेशानी सुनकर समाजसेवी भी खुद के आंसू न रोक सके और प्रशासन से बात कर उन्‍हें घर छुड़वाने की व्‍यवस्‍था की। 

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कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है। इससे दूसरे राज्‍यों में फंसे मजदूर यातायात के अभाव में पैदल ही अपने घर तक जाने की कोशिश कर रहे हैं। कई मामलों में तो मजदूर 100-100 किमी की दूरी पैदल तय कर रहे हैं। लेकिन करीब 26 मजदूर 500 किमी की दूरी पैदल तय कर पानीपत के इसराना पहुंचे। 

मजदूरों की खुशनसीब थी कि सूचना मिलने पर संत बाबा राजिंद्र सिंह और समाजसेवी शंकर शार्मा और गौ रक्षा दल टीम इसराना सहित जनप्रतिनिधि पहुंच गए। उनको गुरुद्वारे साहब इसराना में खाना खिलाया। समाजसेवी  राजा परढाना ने सभी मजदूरों को किराये के लिए 100 रुपये नगद और फ्रूट वितरित किए।

Lockdown

 लॉकडाउन के चलते शहरों में निर्माण कार्य ठप हो गया है। मौहम्मद आशिफ, शराफत, शहाने आलम, मौहम्मद जानेद, उमर, शकिल अहमद, मोहम्मद समीर, सुहेल, नुर आलम व रहिस अंसारी ने बताया कि हमारा गांव बिजनौर  से 150 किमी दूर है। हमे पता है कि परिवहन उपलब्ध नहीं है। ऐसे में हमारे पास पैदल जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

दिहाड़ी मजदूरों का एक समूह श्री नगर से 600 किलोमीटर दूर किरतपुर जिले उत्तर प्रदेश स्थित अपने पैतृक गांव जाने के लिए 19 मार्च को पैदल रवाना हुआ। बुद्ध भवन के पास काफिला रोककर लोगों ने पूछताछ की। वे सभी डर गए और फफक कर रो पड़े। 

मजदूरों ने 19 मार्च को सफर शुरू किया था और 27 मार्च सुबह इसराना पहुंचे थे। तभी दैनिक जागरण इसराना संवाददाता और समाजसेवी शंकर शर्मा की नजर पड़ी। उन्होंने मजदूरों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था की इसराना साहब गुरुद्वारे बाबा संत राजिंद्र सिंह ने की। 

किसी ने पीटा तो किसी ने की मदद

उन्होंने बताया कि हम सभी एनआईटी इंजीनियरिंग काँलेज श्रीनगर मे कुक और वेटर का काम करते हैं। कोरोना वायरस के चलते मालिकों ने उनकी छुट्टी कर दी। वह सभी 19 मार्च को श्रीनगर से 200 किलोमीटर का रास्ता तय कर जम्मूू कश्मीर पहुंचे। वहां रेलवे स्टेशन पर पहुंचने पर वहां की पुलिस ने बहुत मारपीट की। वहां से बच कर भागे करीब 7 किलोमीटर आगे पहुंचने पर एक पुलिस कर्मचारी से हाथ पैर जोड़़ कर उनसे मदद मांगी। उस पुलिस कर्मचारी ने एक ट्रक मे हम दिल्ली बाईपास छोडने को कह कर उसमे बैठा दिया। 

रोहतक में उतार दिया

ट्रक ड्राइवर ने गुरुवार की रात दिल्ली बाईपास की बजाए रोहतक से करीब 17 किलोमीटर दूर छोड़ दिया। जहां से हम पैदल चल कर यहां पहुंचे। उसके बाद इसराना गौ रक्षा दल टीम इसराना और संत बाबा राजिंद्र सिंह, समाजसेवी राजा परढाना, समाजसेवी शंकर शर्मा ने मदद की। 

इन्‍होंने बढ़ाए मदद को हाथ 

संत बाबा राजिंद्र सिंह, समाजसेवी शंकर शर्मा, समाजसेवी राजा परढाना, राजेश जैन, अजय जैने, कृष्ण आर्य, गौ रक्षा दल प्रधान संदीप डोगर, आशिष पांचाल, कृष्ण गोयल, साहिल आर्य, रवि आर्य, शुभंम आर्य व धर्मपाल जागलान मौजूदा रहे। 

टेंपो से यमुना पार कराई

सभी को उत्तर प्रदेश में उनके घर पहुंचाने के लिए टेंपो का इंतजाम किया गया। इसराना के एसएचओ अनिरुद्ध की मुहर लगे आवेदन पेज के साथ इन्हें भेजा गया। शामली के पास इन्हें हरियाणा पुलिस ने रोक लिया। फोन के माध्यम से इन्हें आगे तो जाने दिया पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने रोक लिया। बाद में वहां से सभी पैदल ही रवाना हो गए।


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