मुश्किल दौर से गुजर रहा पानीपत का उद्योग, तालाबंदी की नौबत Panipat News
कलर और केमिकल में महंगाई से डाइंग प्रोसेसिंग यूनिट में तालाबंदी की नौबत आ गई है। कपड़े की मांग कमजोर होने से खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है।
पानीपत, जेएनएन। डाइंग प्रोसेसिंग इकाइयों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। कलर और केमिकल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होने और जॉब वर्क की कमी से प्रोसेसिंग यूनिट संचालक चार्ज नहीं बढ़ा पा रहे हैं। इन इकाइयों का लाभ नाममात्र का रह गया है। छोटी यूनिट बिना लाभ के चल रही हैं। उद्यमियों का कहना है कि यही हालात रहे तो आने वाले दिनों में कईं उद्योगों पर ताला लग सकता है।
नोटबंदी और जीएसटी के बाद मंदी से जूझ रहे उद्योग पटरी पर आना शुरू हो गए थे। अब कलर और केमिकल के रेट बढऩे लगे। साथ ही कपड़ा उद्योगों में डिमांड कमजोर पडऩे के कारण काम नहीं मिल रहा। डाइंग व प्रोसेस उद्योग जॉब वर्क पर निर्भर हैं। घरेलू मार्केट के साथ-साथ निर्यातकों से भी इन्हें जॉब वर्क मिलता है। डाइंग प्रोसेसिंग यूनिट संचालकों का कहना है कि तीन सालों में संकट कलर-केमिकल, ट्रांसपोर्टेशन, बिजली दर और श्रमिकों के वेतन में वृद्धि हुई है, उस तुलना में जॉब वर्क के चार्ज नहीं बढ़े हैं।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का शिकंजा
इन उद्योगों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का शिकंजा भी कसता जा रहा है। पानीपत डायर्स एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष मुकेश रेवड़ी का कहना है कि मंदी में छोटे रंगाई प्रोसेसिंग उद्योग संकट में है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का दबाव अलग से है। उद्योगों में पहले पेट कोक जलता था। जो सस्ता पड़ता था, उसकी हीट भी अधिक थी। अब तीन गुणा महंगी पीएनजी पर उद्योग चलाने के आदेश हैं। बाजार में वित्तीय तंगी चल रही है। भुगतान समय पर नहीं मिल पा रहा है।
दो हजार डाइंग प्रोसेसिंग उद्योग
पानीपत में दो हजार के करीब डाइंग प्रोसेसिंग यूनिट हैं। इन उद्योगों में कपड़ा व धागा कलर होता है। कपड़े पर प्रिंटिंग आदि का वर्क होता है।
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप