LockDown पर प्रशासन ने जरूरतमंदों की लिस्ट लेकर साधी चुप्पी, पार्षदों के घर लग रही भीड़
जिला प्रशासन ने लॉकडाउन के बाद जरूरतमंदों की पार्षदों से लिस्ट मांगी थी। इसके बाद प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया। अब पार्षद के घर लोग आ रहे हैं।
पानीपत, जेएनएन। सामाजिक और धार्मिक संगठन रोजाना सवा लाख से अधिक भोजन के पैकेट बनवा रहे हैं। इन्हें बांटने का जिम्मा तो नगर निगम के अधिकारियों ने संभाल लिया है। इसके लिए छह सेंटर बनाए गए हैं, जिनके साथ 5-6 वार्ड जोड़े गए हैं। प्रशासन की तरफ से कोई राशन, भोजन नहीं दिया जा रहा है।
जरूरतमंद लोगों को लॉकडाउन में राशन बांटने के लिए डीसी, एडीसी, नगर निगम आयुक्त सहित विधायक पार्षदों की अलग-अलग मीटिंग ले चुके हैं। औद्योगिक शहर होने के कारण 85000 पंजीकृत श्रमिक पानीपत में है। डेढ़ लाख से अधिक श्रमिक असंगठित क्षेत्र में कामगार हैं, जिन्हें लॉकडाउन में भोजन की जरूरत हैं। पार्षदों से जरूरतमंदों का डाटा भी लिया जा चुका है, लेकिन अब तक प्रशासन की तरफ से लोगों को राशन, भोजन मिलना शुरू नहीं हो सका है। पार्षदों को कहना है कि तीन-तीन मीटिंग लेने के बाद भी राशन किट प्रशासन ने नहीं दी है। शहर एनजीओ के भरोसे है। कब तक एनजीओ से काम चलेगा।
तीन मीटिंग हुई कुछ नहीं मिला
पार्षद संजीव दहिया का कहना है कि तीन मीटिंग हो चुकी हैं। जरूरतमंदों की सूची प्रशासन ले चुका है लेकिन कोई राशन नहीं दिया जा रहा है। एनजीओ के सहारे ही फिलहाल व्यवस्था चल रही है, लेकिन यह कब तक चल पाएगी। दो दिन पहले पार्षदों को कहा गया था कि 1000 मास्क और सैनिटाइजर देंगे, लेकिन कुछ नहीं दिया गया।
क्या कहना है जिम्मेवारों का
5000 नामों की सूची दे चुके
पार्षद सतीश सैनी का कहना है कि 5000 जरूरमंदों की सूची दे चुके हैं। हमसे रिक्वायरमेंट मांगी गई थी, लेकिन प्रशासन ने राशन देना शुरू नही किया। एनजीओ की तरफ से 1200 भोजन के पैकेट मिल रहे हैं। एनजीओ के भरोसे ही भोजन वितरण का कार्य चल रहा है।
सूखा राशन लोग मांग रहे हैं : हरीश शर्मा
वार्ड तीन के पूर्व पार्षद हरीश शर्मा का कहना है कि लोग राशन मांग रहे हैं। सरकार व प्रशासन ने सूखे राशन का प्रबंध नहीं करवाया। लोग पार्षदों के कपड़े फाड़ रहे हैं। हजारों लोगों के नाम उनके पास आ चुके हैं। वार्ड के लोग लगातार उनके घर आ रहे हैं। 400 राशन की किट वे स्वंय बांट चुके हैं। राशन के लिए लोग शारीरिक दूरी के नियम का उल्लघंन कर रहे हैं।
सामाजिक संगठनों ने कहा, प्रशासन करे सहयोग
रब दे बंदे संगठन के राकेश चुघ का कहना है कि समाज सेवी संस्थाओं को महंगा राशन खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है। पहले संगठन 1000 पैकेट भोजन दे रहा था। अब एक हजार पैकेट प्रशासन को दिए जा रहे हैं। चार घंटे से बढ़कर संगठन का काम 12 घंटे हो गया है। हम 2000 पैकेट दे रहे हैं। संगठन को महंगा राशन खरीदना पड़ रहा है। प्रशासन रियायती दरों पर संस्थाओं को राशन उपलब्ध करवाए।
8000 लोगों का खाना तैयार कर रहे
संयुक्त व्यापार मंडल के प्रमुख सदस्य सुरेश बवेजा का कहना है कि हम सात से आठ हजार पैकेट तैयार कर रहे हैं। प्रशासन जो खाना जहां कहता है, वहां बांटते हैं। प्रशासन सहयोग नहीं दे रहा है। राशन महंगा लेने पर मजबूर हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह रियायत पर राशन दिलवाए। सही लोगों तक खाना भिजवाए। हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। सहयोग के लिए तैयार हैं।
प्रशासन से मांगा सहयोग
श्रीसति भाई संगठन के पंकज चुघ का कहना है कि हम 6000 पैकेट तैयार करवा रहे हैं। महंगा राशन खरीदने में मजबूर है। प्रशासन को ठीक दरों पर राशन दिलाने का काम करना चाहिए।
प्रशासन बांटेगा राशन : डीसी
डीसी हेमा शर्मा से बताया कि कमेटी बना दी गई है। दो-तीन दिन में प्रशासन राशन बांटना शुरू करेगा। एनजीओ, सामाजिक संगठन मुश्किल घड़ी में पूरा साथ दे रहे हैं।