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कर्जदार हुए किसान, धान डूबी, गेहूं की नहीं आस

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : बेमौसमी बरसात ने किसानों को कर्जदार बना दिया है। धान तो पानी में डूब चुकी, लेकिन अब गेहूं की भी उम्मीद नहीं है। किसानों ने ठेके पर जमीन लेकर धान की फसल तैयार की थी। फसल तैयार हुई बरसात से आई बाढ़ ने चपेट में ले लिया। अब खेतों में कई कई फुट पानी भरा है। खंड रादौर के गांव बरेहड़ी के किसान इस समस्या को लेकर काफी परेशान हैं। किसानों का कहना है कि पंचायत की जमीन को ठेके पर लेकर उन्होंने धान की फसल तैयार की थी, लेकिन बीते दिनों आई बाढ़ ने सब बर्बाद कर दिया। किसानों ने अब सीएम ¨वडो पर शिकायत देकर मुआवजा व पानी की निकासी का प्रबंध किए जाने की मांग की है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Oct 2018 11:21 PM (IST)Updated: Wed, 03 Oct 2018 11:21 PM (IST)
कर्जदार हुए किसान, धान डूबी, गेहूं की नहीं आस
कर्जदार हुए किसान, धान डूबी, गेहूं की नहीं आस

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : बेमौसमी बरसात ने किसानों को कर्जदार बना दिया है। धान तो पानी में डूब चुका, अब गेहूं की भी उम्मीद पर पानी फिरता नजर आ रहा है। क्योंकि पानी जमा होने के कारण समय पर गेहूं की बिजाई नहीं हो पाएगी। किसानों ने ठेके पर जमीन लेकर धान की फसल तैयार की थी। लेकिन कई दिन हुई बरसात से आई बाढ़ ने चपेट में ले लिया। अब खेतों में कई-कई फुट पानी भरा है। खंड रादौर के गांव बरेहड़ी के किसान इस समस्या को लेकर काफी परेशान हैं। किसानों का कहना है कि पंचायत की जमीन को ठेके पर लेकर उन्होंने धान की फसल तैयार की थी, लेकिन बीते दिनों आई बाढ़ ने सब बर्बाद कर दिया। किसानों ने अब सीएम ¨वडो पर शिकायत देकर मुआवजा और पानी निकासी का प्रबंध किए जाने की मांग की है।

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नहीं हुई गिरदावरी

किसानों ने बताया कि करीब 10 एकड़ जमीन पर खड़ी धान की फसल पानी में डूबकर बर्बाद हो चुकी है। हालांकि प्रदेश सरकार स्पेशल गिरदावरी के आदेश दे चुके हैं, लेकिन अभी तक गिरदावरी नहीं हुई है। सीएम ¨वडों पर दी शिकायत में किसानों ने बताया कि उनको प्रति एकड़ 80 हजार रुपये से उपर नुकसान हो चुका है। कर्ज लेकर फसल तैयार की, लेकिन एक दाना भी हाथ नहीं लगा। ऐसी स्थिति में तो गेहूं की फसल की बिजाई करना भी मुश्किल होगा।

ठेके पर ली थी जमीन: शिव कुमार

प्रभावित किसान शिव कुमार का कहना है कि उसने दो एकड़ पंचायती जमीन ठेके पर ली थी। लहलहाती फसल को बाढ़ ने चपेट में ले लिया। फसल को तैयार करने के लिए प्रति एकड़ हजारों रुपये भी खर्च कर दिए। उनका कहना है कि फसल बर्बाद होने के बावजूद प्रशासनिक अधिकारी सुध नहीं ले रहे हैं। किसानों की मांग है कि खराब हुई फसल का मुआवजा दिया जाए और जमीन का ठेका उसी पैसे आगे बढ़ाया जाए।

कर्जदार हो गए : जयचंद

किसान जयचंद का कहना है कि प्रति एकड़ 10 हजार रुपये का डीजल फसल की ¨सचाई के लिए खर्च कर दिया। मुट्ठी भर अनाज भी उनके हाथ नहीं लगा है। उम्मीद थी इस बार अच्छी फसल होगी, लेकिन उल्टा कर्जदार हो गए। इसी प्रकार किसान चंद्रभान, सतीश कुमार व सतपाल ने भी जमीन ठेके पर ली है, उसमें भी कई-कई फुट पानी जमा है। उनकी मांग है कि स्पेशल गिरदावरी करवाकर खराब हुई फसल का मुआवजा दिया जाए।

निकासी का प्रबंध कराए प्रशासन: रामबीर चौहान

भारतीय किसान संघ के जिला प्रधान रामबीर ¨सह चौहान का कहना है कि बाढ़ के कारण क्षेत्र में भारी नुकसान हुआ है। जिन किसानों के खेतों में पानी है, उसकी निकासी का प्रबंध प्रशासन की ओर से किया जाना चाहिए। क्योंकि फसल बर्बाद होने से किसानों को पहले ही भारी नुकसान हो चुका है। बारिश के कारण खराब हुई फसलों का मुआवजा जल्द दिया जाना चाहिए ताकि किसानों की आर्थिक सहायता हो सके।


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