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अब नगर परिषद के अधिकारियों का काटा जाएगा वेतन, जानिए कैथल में ऐसा क्‍यों आया फरमान

प्रापर्टी टैक्स की रिकवरी नहीं करने पर अब वेतन काटा जाएगा। नगर परिषद ने एक करोड़ 93 लाख के बिल भेजे हैं। वहीं नगर परिषद का बकाया है करीब आठ करोड़ रुपये प्रापर्टी टैक्स। ऐसे में अधिकारी अब सख्‍ती के मूड में हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 30 Jul 2021 09:54 AM (IST)Updated: Fri, 30 Jul 2021 09:54 AM (IST)
अब नगर परिषद के अधिकारियों का काटा जाएगा वेतन, जानिए कैथल में ऐसा क्‍यों आया फरमान
प्रापर्टी टैक्स की रिकवरी नहीं होने पर कैथल नगर परिषद सख्‍त।

कैथल, जागरण संवाददाता। कैथल नगर परिषद का बकाया प्रापर्टी टैक्स ना देने वालों के खिलाफ नप अधिकारी इस बार सख्ती के मूड में हैं। जिला पालिका आयुक्त समवर्तक सिंह ने नगर परिषद और नगर पालिका अधिकारियों को बकाया टैक्स की रिकवरी करने के सख्त निर्देश दिए हुए हैं। इतना ही नहीं अगर अधिकारी समय अनुसार रिकवरी नहीं करते हैं तो उनका पांच प्रतिशत वेतन काट लिया जाएगा। नप ने करीब छह सालों से बकाया प्रापर्टी टैक्स के बिल नहीं बांटे थे। अब बिल बांटने का कार्य शुरू किया जा चुका है। करीब एक करोड़ 93 लाख रुपये के बिल बांटे जा चुके हैं। बिल बांटने का कार्य सक्षम युवाओं से करवाया जा रहा है। इनमें कई सरकारी विभाग भी हैं जो कई सालों से टैक्स जमा नहीं करवा रहे हैं। सरकारी विभागों को भी नोटिस जारी किए जा रहे हैं। अब बिल देने के बाद भी टैक्स जमा ना करवाने वालों के खिलाफ कोर्ट में केस किया जाएगा। फिलहाल 50 हजार रुपये से ज्यादा बकाया टैक्स वालों को ही बिल दिए जा रहे हैं।

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अब तक मिल चुका है 40 लाख रुपये टैक्स

नप को महीने में 15 से 20 लाख रुपये का टैक्स मिल रहा है। हर साल नगर परिषद की तीन करोड़ रुपये की डिमांड होती है, लेकिन दो करोड़ रुपये ही टैक्स जमा हो पाता है। 2021-22 साल में अब तक करीब 40 लाख रुपये टैक्स प्राप्त हो चुका है। साल 2019-20 में कोरोना के कारण एक करोड़ 78 लाख रुपये टैक्स मिला था। साल 2020-21 में दो करोड़ 19 लाख रुपये टैक्स मिला था। सरकार की तरफ से शहरी क्षेत्र में जमीन की रजिस्ट्री करवाने के लिए नगर परिषद से एनओसी लेना अनिवार्य किया हुआ है। इस फैसले से नगर परिषद की टैक्स से संबंधित आमदनी दोगुना हो गई है।

नगर परिषद के टैक्स सुपरिटेंडेंट मनोज तिवारी ने बताया कि बकाया टैक्स की रिकवरी के लिए एक करोड़ 93 लाख रुपये के बिल भेजे जा चुके हैं। बिल भेजने की प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी।


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