फिर मौसम लेगा करवट, 11 से 13 तक तेज बारिश के आसार
हरियाणा में एक बार फिर मौसम करवट लेगा। देर शाम तक बादल छा सकते हैं और 11 से 13 तक तेज बारिश के आसार हैं।
पानीपत, जेएनएन। बरसात का खतरा अभी टला नहीं है। मंगलवार देर शाम आसमान में बादल छा गए। इसके बाद 11 से 13 मार्च तक प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में तेज बरसात की संभावना है। इससे मौसम में अभी ठंड बनी रहेगी।
मौसम विभाग की भविष्यवाणी से किसानों की चिंता बढ़ गई है। गेहूं की फसल पहले हुई बरसात के कहर को झेल नहीं पाई। उससे भी काफी नुकसान हुआ है। यदि फिर से बरसात होती है तो यह किसी खतरे से खाली नहीं है। गेहूं की फसल बर्बाद हो सकती है।
सोमवार को अधिकतम तापमान 23.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, वहीं न्यूनतम तापमान 10.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। सुबह के समय नमी की मात्रा 100 फीसदी दर्ज की गई जो शाम को घटकर 62 फीसदी रह गई। हवा 3.7 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चली। केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के मुताबिक आने वाले 24 घंटे में बादल छा सकते हैं। मौसम विभाग ने 13 मार्च तक प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में ओलावृष्टि भी हो सकती है।
होली के बाद फिर बारिश
पिछले दिनों रुक-रुककर हुई बारिश से मौसम ठंडा हो गया है। मार्च माह में अब तक 45.4 एमएम बरसात दर्ज की गई है। केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के मुताबिक होली के बाद फिर बरसात होने के आसार बन गए हैं। बरसात से गेहूं की फसल बिछौना बन चुकी है, लेकिन मौसम अभी तक खुला नहीं है। मौसम विभाग की भविष्यवाणी की तरफ गौर किया जाए तो 10 मार्च को मौसम फिर करवट ले सकता है। 11 व 12 मार्च को फिर से तेज बरसात व ओलावृष्टि हो सकती है। यदि ऐसा हुआ तो गेहूं की फसल तबाह हो सकती है।
मार्च में 2016 के बाद सबसे अधिक बरसात
मौसम विभाग के अनुसार मार्च माह में अब तक हुई बरसात वर्ष 2016 के बाद से सबसे अधिक है। महज सात दिन के अंदर करनाल में 45.4 एमएम बरसात हो चुकी है। जबकि 2016 में बरसात का यह आंकड़ा 46.5 एमएम था। लेकिन अभी बरसात का सिलसिला रूका नहीं है। मौसम विभाग ने 11 व 12 मार्च को फिर से तेज बरसात व प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में तेज हवा के साथ ओलावृष्टि की आशंका जताई है। ऐसे में बरसात का यह आंकड़ा ओर अधिक बढ़ सकता है।
कृषि विशेषज्ञों की सलाह : फसल से पानी उतारने का रखें इंतजाम
कृषि विभाग के एसडीओ डॉ. सुनील बजाड़ ने कहा कि बरसात में गेहूं की फसल में पानी जमा हो जाता है। किसान कोशिश करें कि फसल में पानी जमा ना हो, उसकी निकासी करने का प्रबंध करे। यदि ज्यादा समय तक पानी जमा रहा तो उसका असर उत्पादन पर तो पड़ेगा ही साथ ही गेहूं की क्वालिटी पर भी असर पड़ेगा। दाना काला पडऩा शुरू हो जाएगा। यदि खेत ढलान पर नहीं हैं, गहरे हैं तो पाइप के माध्यम से पानी निकालने का इंतजाम करें।