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तीमारदार चिल्लाई, ऐ खुदा यह कैसा अस्पताल

जागरण संवाददाता, पानीपत : सिविल अस्पताल के बाहर स्ट्रैचर नहीं मिलने से प्रसूता ने खड़े-खड़े

By Edited By: Published: Tue, 14 Feb 2017 02:20 AM (IST)Updated: Tue, 14 Feb 2017 02:20 AM (IST)
तीमारदार चिल्लाई, ऐ खुदा यह कैसा अस्पताल

राजसिंह पाल, पानीपत :

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सिविल अस्पताल के बाहर स्ट्रैचर नहीं मिलने से प्रसूता ने खड़े-खड़े शिशु को जन्म दे दिया। इस डिलीवरी से उसके बच्चे की मौत हो गई। प्रसूता साजिदा को प्रसव पीड़ा के चलते रक्तस्राव शुरू हुआ तो साथ खड़ी उसकी देवरानी महरूमा व जेठानी फुरकाना की चीख निकल गई। अस्पताल की छत की ओर देखते हुए देवरानी ने कहा हे खुदा, यह कैसा अस्पताल। उसकी नजर खून से लाल फर्श पर गई तो फिर बोली अल्लाह बचा ले इसे। दर्दनाक पहलू तो यह रहा कि गर्भवती व तीमारदार महिलाओं की चीख पूरे अस्पताल में गूंजी, परंतु अस्पताल कर्मचारियों ने नहीं सुनी।

प्रसूति कक्ष पहुंचे साजिदा के पति इस्लाम ने कहा कि गरीब आदमी के लिए सरकारी अस्पताल ही सहारा है। बापौली से जल्द रेफर किया जाता और एंबुलेंस सुविधा जल्द मिल जाती तो यह दिन देखने को नहीं मिलता। बता दें कि यह पहला मौका नहीं है, जब चिकित्सा-व्यवस्था की खोट के कारण अस्पताल के मुहाने पर डिलीवरी हुई है। इससे पूर्व 13 अगस्त, 2016 को राणा माजरा निवासी अफसाना ने डिलीवरी रूम के गेट पर बच्चे को जन्म दिया था। दर्द से तड़पती अफसाना के चीखने पर भी डिलीवरी कक्ष नहीं खोला गया था। 22 अगस्त, 2016 को महादेव कॉलोनी निवासी सोनिया ने इमरजेंसी के गेट पर बच्चे को जन्म दिया था। सोनिया भी प्रसव पीड़ा से खूब चिल्लाई थी। इतना ही नहीं 20 सितंबर, 2016 महराम निवासी सुमन ने एंबुलेंस में शुगर मिल के पास बच्चे को जन्म दिया था। एंबुलेंस देर से पहुंचने पर यह स्थिति बनी थी।

सीएचसी-पीएचसी में विशेषज्ञों की नियुक्ति नहीं होने से मरीजों की जान जोखिम में पड़ती रही है। वर्ष 2016 में डिलीवरी के दौरान हुई 26 प्रसूताओं की हुई मौतों ने भी सरकारी चिकित्सा-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए थे। इनमें से 2 केसों की जांच खुद डीजी हेल्थ कर रहे हैं।

व्यवस्था में यहां खोट :

-सीएचसी में स्त्री रोग व प्रसूति विशेषज्ञ की नहीं तैनाती।

-गर्भवती महिला को रेफर करने में देर की गई।

-एंबुलेंस चालक ने गर्भवती को इमरजेंसी द्वार पर नहीं छोड़ा।

-एंबुलेंस में रखी स्ट्रेचर से महिला को प्रसूति कक्ष नहीं पहुंचाया।

-गेट के चौकीदार ने तड़पती महिला की ओर ध्यान नहीं दिया।

-इमरजेंसी में कार्यरत स्टाफ ने तीमारदारों की नहीं सुनी।

-स्ट्रेचर मुहैया कराने में देर हुई।

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मासिक मीटिंग के चलते घटना का तत्काल पता नहीं चल सका। चूक कहां हुई, जांच करायी जाएगी। दोषी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई होगी।

डॉ. इंद्रजीत धनखड़, सीएमओ-पानीपत

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घटना की जानकारी मिली है। महिला के गर्भ में 7 माह का बच्चा था। अस्पताल पहुंचने में उसे देर लगी। गर्भवती को इमरजेंसी साइड नहीं लाया गया। समय से अस्पताल लाया जाता तो शिशु की जान बच सकती थी।

डॉ. आलोक जैन, चिकित्सा अधीक्षक-सिविल अस्पताल

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अल्लाह किसी को ये दिन ना दिखाए। गरीब आदमी को सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं मिलेगा तो वह मरेगा ही। हमने को सब्र कर लिया, परंतु कब तक ऐसा होता रहेगा।

महरुमा, प्रसूता की देवरानी

इन्होंने की मदद :

वहां मौजूद कुछ लोगों ने प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला की सूचना तुरंत इमरजेंसी और वहां खडे़ जन सेवा दल के सदस्यों को दी। अस्पताल कर्मी अंजान बने रहे। दल से जुड़े चमन गुलाटी व अशोक कपूर आदि ने स्ट्रेचर से महिला को प्रसूति कक्ष में पहुंचाया।

काबड़ी पीएचसी में नार्मल डिलीवरी : काबड़ी संवाद सहयोगी के मुताबिक गांव में पीएचसी है। यहां स्टाफ की कमी है। केस बिगड़ने पर मरीज को पानीपत रेफर किया जाता है। सोमवार को शाम 6:20 बजे पीएचसी में कोई स्टाफ मौजूद नहीं था। ग्रामीणों ने बताया कि शाम दिन में जिसकी ड्यूटी थी, वो शाम 6 बजे चली गई।


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