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एक साल में दोगुनी हो गई मनोरोगियों की संख्या

बीते एक वर्ष में जिले में मनोरोगियों की संख्या दोगुनी से भी अधिक पहुंच चुकी है। मनोरोगियों में सबसे अधिक पढ़ने वाले बच्चे और किसान शामिल हैं। इस बीमारी की शुरुआत में पहचान में देर करने और उपचार न कराने से इससे ग्रस्त रोगी जानलेवा कदम उठा रहे हैं। बीते कुछ समय में आत्महत्या के मामले भी बढ़े हैं। इस बीमारी के चरम पर पहुंचने से पहले ही इलाज न हो पाने के कारण रोगी ऐसा कदम उठाते हैं।

By Edited By: Published: Fri, 11 Oct 2019 09:20 AM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2019 05:28 PM (IST)
एक साल में दोगुनी हो गई मनोरोगियों की संख्या
एक साल में दोगुनी हो गई मनोरोगियों की संख्या

जागरण संवाददाता, पानीपत : बीते एक वर्ष में जिले में मनोरोगियों की संख्या दोगुनी से भी अधिक पहुंच चुकी है। मनोरोगियों में सबसे अधिक पढ़ने वाले बच्चे और किसान शामिल हैं। इस बीमारी की शुरुआत में पहचान में देर करने और उपचार न कराने से इससे ग्रस्त रोगी जानलेवा कदम उठा रहे हैं। बीते कुछ समय में आत्महत्या के मामले भी बढ़े हैं। इस बीमारी के चरम पर पहुंचने से पहले ही इलाज न हो पाने के कारण रोगी ऐसा कदम उठाते हैं। ये बातें व‌र्ल्ड मेंटल हेल्थ डे के अवसर पर बृहस्पतिवार को सिविल अस्पताल में आयोजित शिविर में मनोचिकित्सक डॉ. मोना नागपाल ने कही। सैकड़ों की संख्या में मनोरोगियों और अभिभावकों ने शिविर में हिस्सा लिया। डॉ. मोना ने बताया कि कुछ परिस्थितियों में खुद को समायोजित (एडजस्ट) न करने के कारण व्यक्ति आत्महत्या जैसे कदम उठाता है। हालांकि इससे पहले पीड़ित व्यक्ति कई स्टेज से गुजरता है। डिप्रेशन दिमाग के रसायनों को कम कर देता है। इस स्टेज पर पहुंचने से पहले पीड़ित के लक्षणों को पहचानना और उनका उपचार कराना जरूरी होता है। ताकि पीड़ित को जानलेवा कदम उठाने से रोका जा सके। डॉ. मोना ने बताया कि बीते एक वर्ष में मनोरोगियों की संख्या दोगुनी हो चुकी है। पहले प्रतिदिन 20 से 25 मरीज आते थे लेकिन अब प्रतिदिन की संख्या 55 तक पहुंच चुकी है। जिसका मुख्य कारण प्रतिस्पर्धा है। रोजाना पहुंचने वाले मनोरोगियों में स्कूली बच्चों और किसानों की संख्या सबसे अधिक है। शिविर में सीमएओ डॉ. जितेंद्र कादियान, डॉ. सुनेजा और डॉ. ललित वर्मा उपस्थित रहे। ये कारण बनाते हैं मनोरोगी अनुवांशिक, नौकरी न मिलना, रिश्ता टूटना, लंबी बीमारी, शारीरिक चोट, दिमागी बुखार के कारण दिमाग के रसायनों में कमी आती है। जिससे पीड़ित डिप्रेशन में चला जाता है। ये हैं मनोरोगी के लक्षण - लगातार सिर दर्द रहना - मिर्गी के दौरे पड़ना - उदास रहना - भूख न लगना - नींद न आना - किसी से बात न करना - हर बात पर शक करना - चिड़चिड़ापन व मारपीट करना - किसी भी नशे की लत पहचान कर जरूर करायें इलाज डॉ. मोना ने बताया कि मनोरोगी का दवाई, काउंसि¨लग और बिजली के माध्यम से उपचार किया जाता है। अभिभावक और परिजन इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें और जल्द से जल्द मरीज का उपचार करायें।

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