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अब पानीपत में डाक्टरों को ओपीडी स्लिप पर बड़े अक्षरों में लिखना होगा जेनरिक दवा का नाम

सिविल सर्जन डा. संतलाल वर्मा ने इस संबंध में चिकित्सकों को निर्देश भी जारी कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया ने वर्ष 2009 में यह गाइडलाइन जारी की थी। सभी सरकारी-प्राइवेट चिकित्सकों को ओपीडी स्लिप पर कैपिटल अक्षरों में दवा का नाम साल्ट सहित लिखना था।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 01:49 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 01:49 PM (IST)
अब पानीपत में डाक्टरों को ओपीडी स्लिप पर बड़े अक्षरों में लिखना होगा जेनरिक दवा का नाम
प्राइवेट डाक्टर हमेशा से गाइडलाइन की अवेहलना करते रहे हैं।

पानीपत, जेएनएन। स्वास्थ्य निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, पंचकूला हरियाणा ने सिविल अस्पताल, सीएचसी-पीएचसी के चिकित्सकों को मरीज के पर्चे पर पढ़ने योग्य (कैपिटल अक्षर प्राथमिकता) अक्षरों में जेनरिक मेडिसिन का नाम लिखेंगे। प्रयास रहे कि वही दवा लिखें जो डिस्पेंसरी में मौजूद है।

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सिविल सर्जन डा. संतलाल वर्मा ने इस संबंध में चिकित्सकों को निर्देश भी जारी कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया ने वर्ष 2009 में यह गाइडलाइन जारी की थी। सभी सरकारी-प्राइवेट चिकित्सकों को ओपीडी स्लिप पर कैपिटल अक्षरों में दवा का नाम साल्ट सहित लिखना था। इसका उद्देश्य ब्रांडेड नेम की दवा को जबरन थोपने पर अंकुश लगना था। प्राइवेट डाक्टर तो पहले दिन से ही गाइडलाइन की अवेहलना करते रहे हैं। सरकारी चिकित्सक भी जल्दबाजी में कैपिटल या पढ़ने योग्य अक्षरों में दवा का जेनेरिक नाम, साल्ट सहित नहीं लिखते।

सरकारी डिस्पेंसरी में दवा नहीं मिले तो मेडिकल स्टाेर संचालक मरीज को महंगी दवा थमा देते हैं। सिविल सर्जन के मुताबिक वर्ष-2021 में बहुत कुछ सुधार करने हैं, इनमें यह भी शामिल है। औचक निरीक्षण में ओपीडी स्लिप भी देखी जाएगी।

फार्मासिस्ट को करने होंगे हस्ताक्षर

सिविल अस्पताल, सीएचसी-पीएचसी की डिस्पेंसरी में कोई दवा नहीं है तो फार्मासिस्ट को ओपीडी स्लिप पर उपलब्ध नहीं लिखने के बाद हस्ताक्षर करने होंगे। दवा का स्टाक खत्म होने के बाद डिमांड भेजने जैसी मनमानी भी नहीं चलेगी।

स्टाक में 216 तरह की दवाएं माैजूद 

सरकार की लिस्ट के अनुसार सिविल अस्पताल में 640 प्रकार की दवाईयां होनी जरूरी हैं। वर्ममान की बात करें तो करीब 216 तरह की आवश्यक दवाएं उपलब्ध रहती हैं। इनमें कुछ मेडिसिन लोकल अनुबंधित एजेंसियों से खरीदी जाती हैं। इसके बावजूद दवा का टोटा बना रहता है। इसका लाभ अस्पताल में खुले प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र या बाजार में खुले दवा विक्रेताओं को मिलता है।


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