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सिविल सर्जन डॉ. संतलाल के विरुद्ध जमानती वारंट जारी

जागरण संवाददाता, पानीपत एनसी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, इसराना की 16 फरवरी 2016 से सील अल्ट्रा

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Dec 2017 03:00 AM (IST)Updated: Sat, 02 Dec 2017 03:00 AM (IST)
सिविल सर्जन डॉ. संतलाल के विरुद्ध जमानती वारंट जारी
सिविल सर्जन डॉ. संतलाल के विरुद्ध जमानती वारंट जारी

जागरण संवाददाता, पानीपत

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एनसी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, इसराना की 16 फरवरी 2016 से सील अल्ट्रासाउंड मशीन की ओपन नहीं करने पर जेएमआइसी गिर्राज सिंह की कोर्ट ने सिविल सर्जन डॉ. संतलाल वर्मा के विरुद्ध जमानती वारंट जारी किए हैं। सिविल सर्जन को 8 दिसंबर को कोर्ट में पेश होकर मशीन की सील नहीं खोलने के कारण बताने होंगे।

गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग ने महिला डिकॉय की सूचना पर 16 फरवरी 2016 को एनसी मेडिकल कॉलेज में छापेमारी की थी। डिकॉय के साथ सोनीपत के रहने वाले दो दलाल (पति पत्‍‌नी) लिंग जाच करने के लिए 12 हजार 500 रुपए की रकम तय की थी। जैसे ही डिकॉय का अल्ट्रासाउंड शुरू किया गया, टीम ने छापेमारी करते हुए आरोपी दलाल मुकेश, उसकी पत्‍‌नी सोनिया, डॉ. मंजरी व रेनू को गिरफ्तार किया था। इस मामले में पीसीपीएनडीटी प्रभारी एवं डिप्टी सीएमओ डॉ. सुधीर बत्रा की शिकायत पर कॉलेज के चेयरमैन समेत नौ लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ था। विभाग ने बाद में अल्ट्रासांउंड केंद्र का रजिस्ट्रेशन भी कैंसल कर दिया था। जेएमआइसी गिर्राज सिंह की कोर्ट ने 21 नवंबर 2017 को मामले की सुनवाई करते हुए, मशीन की सील खोलने के आदेश स्वास्थ्य विभाग को दिए थे। विभाग द्वारा सील नहीं खोलने पर कोर्ट ने कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसका जवाब 30 नवंबर को देना था।

सिविल सर्जन कोर्ट में पेश नहीं हुए तो कोर्ट ने उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी कर दिया । अब सिविल सर्जन को 8 दिसंबर को कोर्ट में उपस्थित रहकर, मशीन की सील नहीं खोले जाने की वजह बतानी होगी।

वर्जन :

जेएमआईसी कोर्ट के निर्णय के खिलाफ 9 अक्टूबर को सेशन कोर्ट में रिवीजन पिटीशन दर्ज की गई है। पुलिस ने जांच के प्रमुख बिंदुओं को रिपोर्ट में पेश नहीं किया था। विभाग को कंपलीट रिपोर्ट सेशन कोर्ट में पेश की जाएगी।

डॉ. संतलाल वर्मा, सिविल सर्जन

वर्जन :

मेडिकल कॉलेज में 150 स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने दोनों मशीनें सील की हुई हैं। इससे स्टूडेंट्स की पढ़ाई में बाधा पहुंच रही है। विभाग ने सीटी स्कैन का आवेदन पर भी ध्यान नहीं दिया है। इससे फ्री इलाज के पात्रों को भी लाभ नहीं मिल रहा है।

डॉ. मुकेश यादव, प्रिंसीपल-एनसी मेडिकल कॉलेज

वर्जन :

सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के मुताबिक पीसीपीएनडीटी से जुडे़ विवाद एक साथ के अंदर निर्णय पर पहुंचने चाहिए। स्वास्थ्य विभाग एनसी मेडिकल कॉलेज के मामले को जानबूझकर उलझा रहा है। डिकॉय गर्भवती थी अथवा नहीं, इसकी फिल्म और रिपोर्ट तक कोर्ट के समक्ष पेश नहीं की गई है। डीएसपी स्तर की जांच में कॉलेज के चेयरमैन व प्रिंसीपल को निर्दोष बताया गया है।

अजय घनघस, मेडिकल कॉलेज पक्ष के वकील।


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