पाताल में पहुंच गया पानी, अभी से हो जाएं सावधान
पानीपत में जिला डार्क जोन में है। नया ट्यूबवेल लगाने पर भी प्रतिबंध है। बावजूद इसके स्थिति खराब होती जा रही है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने संज्ञान लिया।
पानीपत [महावीर गोयल ] भू-जल स्तर 320 फीट तक गिर चुका है। जिला डार्क जोन में है। नया ट्यूबवेल लगाने पर भी प्रतिबंध है। समालखा क्षेत्र में बिजली का कनेक्शन भी नहीं दिया जा रहा। बावजूद इसके स्थिति खराब होती जा रही है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कड़ा संज्ञान लेते हुए उचित प्रबंधन के आदेश जारी किए हैं। एनजीटी ने आदेश में कहा कि भूजल का उपभोग करने वालों को केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्लूए) से एनओसी लेनी होगी। इसके लिए 31 मार्च 2019 तक का समय दिया गया है।
जलस्तर सुधारने के लिए रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम भी फेल
भूजल री-चार्ज करने के लिए रेनी हार्वेस्टिंग सिस्टम पर भी जोर दिया गया। नई बिल्डिंग बनाने, सेक्टरों में मकान बनाने और उद्योग लगाने के लिए नक्शा पास करने में रेन हार्वे¨स्टग सिस्टम जरूरी किया गया, लेकिन ज्यादातर भवन बनाने के लिए कंप्लीशन तो किया जा रहा है, लेकिन रेन हार्वे¨स्टग सिस्टम नहीं लगाए जा रहे।
रेनीवेल प्रोजेक्ट को नहीं मिली स्वीकृति
2005 से पानीपत में पेयजल की आपूर्ति के लिए रेनीवेल प्रोजेक्ट स्वीकृति के लिए केंद्र को भेजा गया था, लेकिन इसे मंजूरी नहीं मिली। उद्योगों में पानी की खपत को देखते हुए हशविप्रा ने रंगाई उद्योगों को नहरी पानी देने का प्रयास किया था। इसमें भी सफलता नहीं मिली।
800 रंगाई उद्योग प्रभावित
एनजीटी के आदेश से पानीपत के 800 से अधिक रंगाई उद्योग प्रभावित होंगे। इन उद्योगों में भू-जल का इस्तेमाल होता है। अकेले पानीपत में 100 एमएलडी पानी की खपत होती है। इससे पहले 31 दिसंबर तक एनओसी लेने को कहा गया था। अब तक बहुत कम एनओसी ली हैं। अब तीन महीने की समय सीमा बढ़ाई गई है।