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जींद में बोले नरेश टिकैत, कहा 10 महीने के आंदोलन में किसानों ने सिर्फ पाया, खोया कुछ नहीं

किसान नेता स्वर्गीय घासीराम नैन की चौथी पुण्यतिथि जींद के बदोवाल टोल धरने पर मनाई गई। इस मौके पर बीकेयू के अध्यक्ष नरेश टिकैत स्वर्गीय घासीराम नैन को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। उन्होंने कहा कि 10 महीने के आंदोलन में किसानों ने पाया ही पाया है खोया कुछ नहीं है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 07:10 PM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 07:10 PM (IST)
जींद के बदोवाल टोल धरने पर स्वर्गीय किसान नेता घासीराम नैन की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करते नरेश टिकैत।

संवाद सूत्र, नरवाना(जींद)। बदोवाल टोल धरने पर किसान नेता स्वर्गीय घासीराम नैन की चौथी पुण्यतिथि मनाई गई। श्रद्धांजलि देने पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि 10 महीने के आंदोलन में किसानों ने क्या पाया है और क्या खोया है। मैं कहना चाहता हूं कि हमने तो पाया ही पाया है, खोया कुछ नहीं है। इस आंदोलन ने कई राज्यों में हमारा आपसी भाईचारा बनाया है। उसके लिए हम प्रधानमंत्री का धन्यवाद करते हैं, लेकिन जितनी निंदा इस प्रधानमंत्री की हुई है, शायद ही आज तक किसी प्रधानमंत्री की हुई होगी।

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तरह-तरह के आरोप किसानों पर लगाए गए, लेकिन किसान फिर भी हतोत्साहित नहीं हुआ। यह आंदोलन इस सरकार को ले डूबेगा। किसानों का आंदोलन अनुशासन में चल रहा है। यही सबसे बड़ा हथियार है। उनके साथ भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता युद्धवीर सिंह, युवा प्रदेशाध्यक्ष रवि आजाद, पंजाब से जोगिंद्र सिंह उग्राहा, अभिमन्यु कोहाड़, डा. दर्शन पाल पहुंचे।

किसान एक तरफ का सर्विस रोड खोलने को तैयार

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता जोगिंद्र सिंह उग्राहा ने कहा कि किसान दिल्ली जंतर-मंतर जाने के लिए आए थे। अगर सरकार वहां जाने देती है और जंतर-मंतर पर बैठने की व्यवस्था करती है, तो वे वहां जाने को तैयार हैं। किसान सड़क पर बैठने के लिए नहीं आए हैं। रास्ते सरकार ने बंद किए हैं। डा. दर्शन पाल ने कहा कि दिल्ली बार्ड पर किसान एक तरफ का सर्विस रोड खोलने को तैयार हैं। लेकिन मोर्चा नहीं छोड़ेंगे। फिलहाल दिल्ली की सीमाओं में आगे बढ़ने की बजाय पूरे देश में आंदोलन को मजबूत करेंगे।

दिल्ली जाना होता तो बैरिकेडिंग तोड़कर कभी भी आगे बढ़ सकते थे

दिल्ली जाना होता, तो बैरिकेडिंग तोड़कर कभी भी आगे बढ़ सकते थे। उत्तर प्रदेश में 85 किसान संगठन तैयार किए हैं, जो पूरे उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन को मजबूत करेंगे। तीनों कृषि कानूनों पर भाजपा सरकार की हार हो चुकी है। अब तीनों कृषि कानून लागू नहीं होंगे। उनके रद करने की आधिकारिक घोषणा होना बाकी है।

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