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अफसरों की अजब-गजब इंजीनियरिंग, किसी नाले में आज तक नहीं बहा पानी, कहीं बना दिए सड़क से ऊंचे

Monsoon Update 2022 यमुनानगर में अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। मानसून को लेकर कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। पानी की निकासी की भी कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में बारिश होने पर लोगों को भारी दिक्कतों को सामना करना पड़ेगा।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sun, 05 Jun 2022 05:11 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jun 2022 05:11 PM (IST)
यमुनानगर में पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। ट्विनसिटी में निकासी की व्यवस्था अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है। डिजाइन व एस्टीमेट पर लाखों रुपये खर्च किये जाने के बावजूद निकासी को रास्ता नहीं मिल रहा है। शहर में हालात ऐसे हैं कि किसी नाले में तो आज तक एक बूंद तक पानी नहीं बहा तो कहीं सड़क से ऊंचे नाले बना दिए गए। न केवल नगर निगम बल्कि पीडब्ल्यूडी के नालों के भी ऐसे ही हालात है। ऐसे में थोड़ी सी बारिश होते ही शहर की गलियां व सड़कें जलमग्न हो जाती है। घरों व दुकानों में पानी भर जाता है।

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यहां भी बरती गई लापरवाही

वार्ड नंबर चार में वृद्धाश्रम से बूड़िया चुंगी तक 47.52 लाख खर्च से बनने वाले नाले का निर्माण हुआ है। पार्षद देवेंद्र सिंह का आरोप है कि नाले का ढलान सही नहीं है। नाले के पानी का बहाव जिस ओर है, वहां बीच में नाले के अंदर सतह एक से डेढ़ फुट ऊंची है। इससे नाले में पीछे पानी एक डेढ़ फुट भरेगा तो आगे जाएगा। आगे जाकर नाले को सीवर लाइन में जोड़ दिया। उधर, वार्ड-5 पार्षद विनय कांबोज ने आरोप लगाया कि कागजों में भले नाले को बलदेव ढाबे से बूड़िया चुंगी तक 50 फीसदी पूरा बताकर ठेकेदार को पेमेंट कर दी, पर उनके वार्ड में बलदेव ढाबे से वृद्धाश्रम तक नाला गुम है। उनका कहना है नालों के निर्माण में मानकों का ख्याल नहीं रखा जा रहा है।

मधु चौक से कन्हैया साहिब चौक

मधु चौक से कन्हैया साहिब चौक तक करीब 3.77 करोड़ रुपये की लागत से नाले का निर्माण व साइडों में टाइलें बिछाने का काम हुआ है। यहां 1200 मीटर नाला है, लेकिन खामी यह है कि यह नाला सड़क से करीब आधा फुट ऊंचा है। तैयार नाले पर स्लैब डाली जा चुकी है। नाले में सड़क का पानी जा सके, इसके लिए साइड में जाल नहीं हैं। नाले को कन्हैया चौक के पास सीवर लाइन में जोड़ने का प्लान है।

यहां भी निकासी पर सवाल

30 लाख के खर्च पर काम सात जुलाई को शुरू हुआ। इसे आजादनगर गली नंबर-14 से गोल्डनपुरी की ओर ले जाया जा रहा है। गुरुनानक खालसा कालेज के सामने काम लगभग पूरा है, लेकिन नाले का लेवल सड़क से आधा तो कहीं एक फुट ऊंचा है। बरसाती सीजन में यहीं जलभराव ज्यादा रहता है, पर उसकी निकासी इस नाले में कैसे होगी, ये किसी के समझ से परे है। क्योंकि नाले का लेवल सड़क से ऊंचा होने के साथ उसमें साइड से पानी जाने को जाल भी नहीं है। वहीं, नाले को आजादनगर गली-14 से डब्ल्यूजेसी में जा रहे नाले में टैब करने की प्लानिंग है जबकि, वह पहले ही बरसात के दिनों में ओवरफ्लो रहता है।

महाराजा अग्रसैन चौक से बस स्टैंड रोड

महाराजा अग्रसैन चौक से बस स्टैंड जगाधरी रोड पर निकासी के लिए पीड्ब्ल्यूडी की ओर से दोनों ओर नालों का निर्माण करवाया गया। कई वर्ष पहले बने इस नाले से आज तक पानी नहीं बहा। कारण कुछ और नहीं बल्कि इसकी डिजाइनिंग सही न होना है। बताया जा रहा है कि यह नाला जगाधरी की ओर ऊंचाई अधिक है। दोनों ओर से नाला टूट चुका है। कचरे व मिट्टी से भरा पड़ा है। इस पर करीब दो करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। महाराजा अग्रसैन चौक से बूड़िया चौक तक भी स्थिति ऐसी ही थी, लेकिन यहां नाला उखाड़कर अब पाइप लाइन दबा दी गई है।

इन क्षेत्रों में होती अधिक दिक्कत

समय पर नालों की सफाई न होने से जगाधरी में गौरी शंकर कालोनी मंदिर, देवी भवन बाजार, शमशान घाट रोड, सिविल लाइन, गांधीधाम, मटका चौक से बर्तन बाजार का क्षेत्र ओवरफ्लो की वजह से हर साल पानी में डूब जाता है। इसके अलावा यमुनानगर में प्रोफेसर कालोनी, स्वामी विवेकानंद स्कूल के पास का क्षेत्र, एफसीआइ गोदाम के पास का क्षेत्र, यमुनानगर बस स्टैंड के पास का क्षेत्र सहित अन्य जगहों पर दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बरसात में नाले ओवरफ्लो होने की वजह से लोगों के घरों में गंदा पानी घुस जाता है।


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