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कोरोना संक्रमण से बचावक को मास्‍क जरूरी, इस खतरनाक बीमारी से भी रखता है दूर आंकड़े गवाह

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्‍क बेहद जरूरी है। लेकिन आपको पता है कि एक और बीमारी है जिसके लिए मास्‍क फायदेमंद साबित हो रहा है। लगातार गिर रहे आंकड़े इसके गवाह हैं। पिछले साल की तुलना में इस बार कम मिले टीबी के मरीज।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 15 Jul 2021 02:20 PM (IST)Updated: Thu, 15 Jul 2021 02:20 PM (IST)
कोरोना संक्रमण से बचावक को मास्‍क जरूरी, इस खतरनाक बीमारी से भी रखता है दूर आंकड़े गवाह
मास्‍क टीबी से भी बचाव में सहायक।

जींद, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में सहायक मास्क का एक और अतिरिक्त फायदा है। यह कोरोना के संक्रमण के अलावा टीबी (क्षय रोग) को रोकने में भी कारगर सिद्ध होता है। जब कोई व्यक्ति खांसता है तो उसके अंदर से निकलने वाला वायरस हवा में फैल जाता है, जिससे दूसरे को भी टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए अगर टीबी से ग्रस्त मरीज मास्क लगाकर रखता है तो वह परिवार और संपर्क में आने वाले दूसरे लोगों को टीबी रोग से बचा सकता है।

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यह बात जींद में टीबी के नोडल इंचार्ज एवं डिप्टी सिविल सर्जन डा. संदीप लोहान ने बताई। डा. संदीप लोहान ने बताया कि साल 2025 तक टीबी मुक्त भारत के अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर सर्वे कर रही हैं। जिले में अब तक 1121 मरीज ट्रेस किए जा चुके हैं, जिनका नागरिक अस्पताल में उपचार चल रहा है। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष अभी तक टीबी के कम मरीज मिले हैं। स्वास्थ्य निदेशालय द्वार हर वर्ष सरकारी व निजी अस्पतालों को टीबी मरीज तलाशने के लिए अलग-अलग टारगेट दिया जाता है। सरकारी अस्पतालों को 2400 तथा निजी अस्पतालों को 800 टीबी के मरीज तलाशने का टारगेट मिला था। इस पर सरकारी अस्पताल प्रशासन अब तक 952 तथा निजी अस्पताल अब तक 169 टीबी मरीजों को तलाश चुके हैं। अब तक जिला में 1121 टीबी के मरीज मिल चुके हैं।

टीबी मरीज को डाइट के लिए मिलते हैं हर माह 500 रुपये

सिविल अस्पताल में टीबी का फ्री में उपचार किया जाता है। मरीज को डाइट के रूप में हर माह 500 रुपये भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिए जाते हैं। अब तक जिले में टीबी के मरीजों को 38.65 लाख रुपये आर्थिक सहायता के रूप में दिए जा चुके हैं। डा. संदीप लोहान ने बताया कि टीबी के मरीज को नियमित रूप से दवाई लेनी चाहिए। यदि वह नियमित रूप से दवाई लेता है तो छह महीने में मरीज ठीक हो जाता है। यदि नियमित रूप से दवाई नहीं लेता है तो उसे ठीक होने में दो साल लग जाते हैं।


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