सरे बाजार
दो दिन पहले पूर्व प्रधान विमल मेहता के साथ दुकानदारों की बैठक में चुनाव कराने का मामला उठा।
'चौधर' के चक्कर में बाजार घनचक्कर
कारोबारियों की समस्याओं को मिल बैठकर सुलझाने, संगठित होकर व्यापार हित में योजनाओं को लागू कराने के लिए बाजारों में एसोसिएशन का गठन किया जाता है। वर्तमान में एसोसिएशन चौधर का शिकार बनती जा रही है। पानीपत में हैंडलूम बाजार में चार माह पहले एसोसिएशन इस्तीफा दे चुकी है। उसके बाद नई कार्यकारिणी का गठन नहीं हुआ। दो दिन पहले पूर्व प्रधान विमल मेहता के साथ दुकानदारों की बैठक में चुनाव कराने का मामला उठा, लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई। कंबल एसोसिएशन को भंग हुए 10 साल बीत चुके हैं। एसोसिएशन की कार्यकारिणी का चुनाव नहीं हुआ। ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया एसोसिएशन का दो साल से चुनाव नहीं हो रहा है। मामला हाईकोर्ट में पहुंच चुका है। छह माह से यार्न डीलर एसोसिएशन के चुनाव के इंतजार में है। एसोसिएशन के चुनाव न होने के कारण बाजारों की समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं।
बुरे फंसे, निगलते बन रहा न उगलते
सब्जी मंडी शिफ्ट नहीं हो पा रही। नई अनाज मंडी के साथ मंडी विकसित हुए 10 साल बीत चुके हैं। पांच साल पहले जिन किसानों ने मंडी में दो-दो करोड़ प्लॉट लिए थे वे अब बुरे फंसे हुए हैं। पैसे प्लॉट में फंस गए हैं। काम शुरु नहीं हुआ। कारोबार चलाने के लिए प्लॉट खरीदे थे। मामले बार-बार सीएम दरबार में भी उठाया जा चुका है। शहरी और ग्रामीण विधायक मंडी शिफ्टिग का आश्वासन दे चुके हैं। मंडी के सभी आढ़तियों को प्लॉट आवंटित नहीं किए गए है। लाखों रुपये की लागत लगाकर मंडी में कोल्ड स्टोर बनाया गया। मंडी शिफ्ट होती तो सब्जियां कोल्ड स्टोर में रखी जाती। अब कोल्ड स्टोर भी जंग खा रहा है। सब्जी किसानों को भी नुकसान हो रहा। मंडी में प्लॉट आवंटित करवाने के लिए आढ़ती अब नए विधायक, सांसद के चक्कर लगा रहे हैं। निगम में भ्रष्टाचार भुगत रहा शहर
नगर निगम में टेंडर हो, सफाई का मामला हो या स्ट्रीट लाइट लगाने का सभी भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ गए। सरकार के पिछले कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के मामलों की जांच अब चल रही है। जांच के परिणाम क्या होंगे, यह तो समय बताएगा। फिलहाल शहरवासी परेशान है। वार्डों में अंधेरा छाया है। स्ट्रीट लाइटें नहीं लग रहीं। गलियां खोदी जा चुकी हैं। काम नहीं हो रहा। अधिकारी भी अब फूंक-फूंक कर कदम उठा रहे हैं। पार्षद निगम के चक्कर काट रहे हैं। उन्हें वार्ड के लोग बैठने नहीं दे रहे। पार्क अधूरे पड़े हैं। पार्षदों को डर है कि कहीं उनका कार्यकाल यूं ही न बीत जाए। सफाई कर्मचारी तक उनकी नहीं सुन रहे। निकाय मंत्री ने स्ट्रीट लाइट घोटाले की जांच के लिए कमेटी गठित की। 15 दिनों में जांच होनी थी। 26 दिन बीत चुके हैं। जांच का अतापता नहीं मिल रहा। सफेद हाथी हो गए एग्रो मॉल
2226.66 लाख रुपये खर्च करके शहर में छह साल पहले एग्रो मॉल बनाया गया। जो आज तक नहीं चल सका। 69 दुकानें बनाई गई। एग्रो मॉल किसानों के लिए बनाया गया। किसानों को तो कुछ मिला नहीं। उल्टा मार्केट बोर्ड को लाखों का नुकसान हर माह उठाना पड़ रहा है। विभागों में सामंजस्य का अभाव होने के कारण अनेक सरकारी विभाग किराए के भवनों में चल रहे हैं। एग्रो मॉल खाली पड़ा है। एग्रो मॉल में नगर निगम के कार्यालय को शिफ्ट करने की मुख्यमंत्री हरी झंडी भी दे चुके हैं। बावजूद इसके नगर निगम के शिफ्ट करने पर अधिकारियों ने पलीता लगा दिया। चार मंजिल एग्रो मॉल में बेसमेंट पार्किंग, फायर अलार्म, फाइटिग सिस्टम, पावर बैक अप, लिफ्टस की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। प्रत्येक मंजिल पर विकलांग व्यक्तियों के लिए अलग से सुविधा दी गई। इस तरह की सुविधा लघु सचिवालय में भी नहीं है। फूड कोर्ट का प्रबंध भी किया गया है।