40 किमी तेज बर्फीले तूफान में कई मरे, हिम्मत नहीं हारी, फहरा दिया तिरंगा
जींद की मोहिनी नेहरा ने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया। उसने मई में चढ़ाई शुरू की थी। गांव पहुंचने पर उसका स्वागत किया गया।
पानीपत/जींद, जेएनएन। जींद की बेटी ने वो कर दिखाया, जिसकी कल्पना मात्र से ही दिल सिहर जाता है। हजारों मीटर ऊंची बर्फीली चोटियां। 40 किमी तेज गति से आते बर्फीले तूफान। और रास्ते में पर्वतारोहियों का शव। ये देख बड़ों-बड़ों के हौसले टूट सकते हैं, लेकिन मोहनी नेहरा का हौसला नहीं डगमगाया। उसने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फराया। अब उसका लक्ष्य विश्व की सात बड़ी चोटियों को फतह करना है।
मोहिनी ने बताया कि वह पिछले साल नवंबर में पहली बार अफ्रीका महाद्वीप के सबसे ऊंचे पर्वत किलिमंजारो पर चढ़ी थी। 5895 मीटर ऊंचे इस पर्वत को फतह करने के बाद रूस में कॉकस कॉकस पर्वत शृंखला में शामिल एल्ब्रुस चोटी पर 5695 मीटर पर तिरंगा फहराया। मोहिनी ने बताया कि मई में माउंट एवरेस्ट पर चढऩा शुरू किया। चढ़ते समय काफी परेशानी आई। जब आखिरी कैंप में 6100 मीटर से ऊपर चढ़े तो 40 किलोमीटर की गति से तेज बर्फीला तूफान आया।
तूफान की वजह से कई पर्वतारोहियों की मौत हुई
पर्वत में रास्ते में ट्रैफिक जाम भी बहुत ज्यादा था। तूफान के कारण कई पर्वतारोहियों की मौत हो गई। हमें रास्ते में कई डेड बॉडी पड़ी मिली। ट्रैफिक जाम के कारण भी भारत के 69 पर्वतारोहियों में से भी कई को समय पर ऑक्सीजन नहीं मिल पाई और वे जान गंवा बैठे, लेकिन उन्होंने हौसला नहीं खोया और हिम्मत कर 8848 मीटर की ऊंची चोटी पर तिरंगा फहरा दिया।
ठीक से ऑक्सीजन भी नहीं मिल पा रही थी
मोहिनी ने बताया कि चोटी पर चढ़ते समय पर ज्यादा कठिनाई होती है। कमर पर भी छह-सात किलो वजन रखा होता है। इसमें करीब चार-पांच किलो ऑक्सीजन और कुछ खाने का सामान भी होता है। मास्क में बर्फ जम जाती है, जिससे ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। इस कारण थोड़ी सी लापरवाही में भी कई लोग जान गंवा बैठते हैं। समय-समय मास्क को साफ करना पड़ता है।
जींद पहुंचने पर स्वागत
जींद पहुंचने पर जाट धर्मार्थ सभा के प्रधान वजीर सहारण, महासचिव संजय पंवार, सचिव रणदीप सहारण, कैशियर एडवोकेट सुरेंद्र रेढू, सदस्य तेजेंद्र सिंह ढुल, आजाद लाठर, सुरजीत धनखड़, रोहित ढांडा आदि कई सदस्यों ने जाट धर्मशाला में मोहिनी का जोरदार स्वागत किया।
सरकार से नहीं मिली मदद
ग्रेजुएशन पास 22 वर्षीय मोहिनी ने बताया कि माउंट एवरेस्ट पर चढऩे पर करीब 30 लाख रुपये खर्च आया, जो उसके पिता और मामा ने मिलकर उठाया। सरकार से भी उन्होंने मदद मांगी थी, लेकिन अब तक कोई मदद नहीं मिली। मोहिनी ने बताया कि अनिता कुंडू सहित कई पर्वतारोहियों को सरकार से मदद दी जाती है। उम्मीद है कि उन्हें भी आर्थिक मदद करेगी। जल्द ही विश्व की चार अन्य बड़ी चोटियों पर भी तिरंगा फहराएगी।
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