नौ महीने ही टिक पाईं मनीषा चौधरी, चंडीगढ़ ट्रैफिक एसएसपी ज्वाइन करेंगी
भाजपा नेता और पूर्व पार्षद हरीश शर्मा की आत्महत्या के मामले में आरोपित और बिझौल में तीन बच्चों के रजवाहे के डूबने के मामले में पीछे नहीं हटने वालीं आइपीएस मनीषा चौधरी एसपी के पद से शनिवार को रिलीव हो गईं। वे चंडीगढ़ में बतौर ट्रैफिक एसएसपी ज्वाइन करेंगी।
जागरण संवाददाता, पानीपत : भाजपा नेता और पूर्व पार्षद हरीश शर्मा की आत्महत्या के मामले में आरोपित और बिझौल में तीन बच्चों के रजवाहे के डूबने के मामले में पीछे नहीं हटने वालीं आइपीएस मनीषा चौधरी एसपी के पद से शनिवार को रिलीव हो गईं। वे चंडीगढ़ में बतौर ट्रैफिक एसएसपी ज्वाइन करेंगी। जिले की फितरत है कि एक साल तक पुलिस कप्तान यहां नहीं टिक पाते हैं। या तो विवादों में उलझ जाते हैं या फिर उनकी सत्ता के नेताओं के साथ छनती नहीं है। जिले की 37वीं कप्तान रहीं मनीषा चौधरी का कार्यकाल भी महज नौ महीने दस दिन तक ही रहा।
हरीश शर्मा की पार्षद बेटी अंजली शर्मा ने गृहमंत्री अनिल विज से मांग की थी कि एसपी मनीषा चौधरी का तबादला किया जाए, ताकि एसआइटी (स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम) की जांच प्रभावित न हो। डीएसपी मुख्यालय सतीश कुमार वत्स को अभी एसपी का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है। एसपी संगीता कालिया की गृहमंत्री से हो गई थी तनातनी
आइपीएस संगीता कालिया की गृहमंत्री अनिल विज से तनातनी थी। गृहमंत्री विज पानीपत कष्ट निवारण समिति की तीन बार बैठक लेने आए, लेकिन एसपी शामिल नहीं हुईं। मंत्री ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री मनोहर लाल को की थी। इसके बाद एसपी कालिया का गुरुग्राम में तबादला कर दिया गया। भाजपा सरकार में ये दूसरा मौका है जब महिला एसपी का विवाद की वजह से स्थानांतरण हुआ है। हालांकि हरीश आत्महत्या के पहले ही मनीषा चौधरी के चंडीगढ़ डेपुटेशन पर जाने की चर्चा थी। पानीपत में रह चुकीं पांच महिला एसपी
जिले में पांच महिला एसपी रही हैं। डा. सुमन मंजरी दो साल चार महीने और ममता सिंह एक साल दो महीने एसपी रही हैं। संगाता कालिया चार महीने एसपी रही हैं। 23 एसपी ऐसे रहे हैं जिनका एक साल से कम कार्यकाल है। सबसे पहले हरि सिंह 4 नवंबर 1998 को पहले एसपी लगे थे। उनका पहला कार्यकाल पांच महीने और दूसरा एक महीना दो दिन रहा है। सबसे लंबा कार्यकाल 29 महीने एमएस श्योराण का रहा है। सबसे कम आइपीएस अजय सिघल का 17 दिन कार्यकाल रहा है। बड़ी वारदातों की गुत्थी सुलझाई, सलाखों के पीछे पहुंचाएं बड़े अपराधी
एसपी रहते हुए मनीषा चौधरी ने बड़ी आपराधिक वारदातों की गुत्थी सुलझाई। 300 भगोड़ों को जेल भिजवाया। राजनीतिक दबाव न मानते हुए शराब के अवैध धंधे से जुड़े बड़े अपराधियों को सलाखों की पीछे पहुंचाया। उनकी व टीम में शामिल क्राइम ब्रांच की सफेदपोशों से नहीं बनती थी। इसी वजह से भी वे निशाने पर रहीं।
-29 जनवरी 2018 में सनौली रोड स्थित इंडिया इंफोलाइन फाइनेंस लिमिटेड के कार्यालय में 4.50 करोड़ रुपये के जेवर की डकैती हुई थी। इसके आरोपितों को पकड़ कर करीब 2.50 करोड़ रुपये के जेवर बरामद किए गए थे।
- रिफाइनरी में दो कंपनियों के अधिकारियों को बंधक बनाकर रंगदारी मांगने वाले दो गिरोह के 13 बदमाशों को सलाखों को पीछे पहुंचाया। गैंग का सफाया कर दिया।
- शराब कारोबारी दिल्ली के अशोक जैन, पूर्व विधायक सतविद्र राणा, भूपेंद्र सिंह और जहरीली शराब बनाने के आरोपित सोनीपत के नैना ततारपुर के नरेश को गिरफ्तार किया।
नारनौल में भी छोड़ी थी अलग छाप
नारनौल में एसपी रहते हुए भी मनीषा चौधरी ने अपने काम से वहां के लोगों पर अलग छाप छोड़ी थी। अटेली के बहुचर्चित जिया हत्याकांड में खुद मौके पर जाकर नौ वर्षीय मासूम की दुष्कर्म के बाद हत्या की जांच करवाई और सबूत ढ़ूंढ़कर तीन आरोपितों को अदालत से सजा दिलवाने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि सतनाली क्षेत्र के एक भाजपा नेता के बेटे की दुष्कर्म में गिरफ्तारी के मामले में उनका तबादला कर दिया गया।