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राइस मिलों में बड़ा घोटाला, स्टॉक सीज, पुलिस का पहरा Panipat News

अंबाला के 193 यमुनानगर में 159 और करनाल के 100 मिलों में रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है। दस दिन तक कोई कारोबार नहीं कर सकेंगे।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 08:57 AM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 05:16 PM (IST)
राइस मिलों में बड़ा घोटाला, स्टॉक सीज, पुलिस का पहरा Panipat News

पानीपत, जेएनएन। अंबाला, करनाल और यमुनानगर की राइस मिलों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रशासन ने इनके स्टॉक को सीज कर दिया है। अब न तो कोई ट्रक अंदर आ सकता है और न ही बाहर जा सकता है। इनके बाहर पुलिस का पहरा भी लगा दिया गया है। चावल के स्टॉक में बड़ी गड़बड़ी की आशंका के मद्देनजर यह कार्रवाई की गई है। अगले 10 दिन तक जांच होगी और कोई व्यापार नहीं हो सकेगा। 

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यमुनानगर में इस सीजन में सात लाख 11 हजार 422 मीट्रिक टन धान मिलों को दी जा चुकी है। अंबाला की 193 राइस मिल के बाहर प्रशासन ने पहरा लगा दिया है। रिकॉर्ड खंगाला जाएगा कि राइस मिलों को कितनी पैडी दी गई और उन्होंने कितना चावल लौटाया है। दोनों के रिकॉर्ड का मिलान होगा। 

डीसी के निर्देश पर कार्रवाई

डीसी के निर्देशों के बाद राइस मिलों पर नजर रखने के लिए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अलावा सेल टेक्स विभाग, पटवारियों सहित अन्य अधिकारियों को जिम्मा सौंपा गया है। करनाल में 100 से ज्यादा राइस मिल में जाकर घेरा डाल दिया। रिकार्ड में गड़बड़ी करने वाले राइस मिल संचालक पर एफआइआर दर्ज करवाई जाएगी। टीमों ने राइस मिल में पहुंचकर वहां की वीडियोग्राफी भी करवाई। 

इस तरह होता है घोटाला 

1- धान के सीजन में राइस मिलर संचालकों पर आरोप लगे थे कि उन्होंने अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके कागजों में ही धान की खरीद की है। हकीकत में मंडी में उतनी धान की खरीद नहीं हुई है। इसके बाद राइस मिल संचालक उत्तरप्रदेश या बिहार से सस्ता धान लाकर उसे सरकार को देते हैं। 

2- नियम अनुसार अधिकतम 70 हजार क्विंटल एक राइस मिल संचालक खरीद कर सकता है, वह भी तब, जब वह 70 हजार तक खरीद करने की श्रेणी में आता हो। क्षमता से भी अधिक धान की खरीद की गई है।

3- सरकार को प्रति क्विंटल जीरी पर 67 किलो के हिसाब से चावल लौटाया जाता है। चावल लौटाने की एवज में उन्हें निर्धारित कमीशन मिलता है। इसमें ही घपले की आशंका है। कुछ राइस मिलर खरीद का फर्जी रिकॉर्ड तैयार कर लेते हैं। हकीकत में धान खरीदी ही नहीं जाती। जहां तक सरकार को चावल लौटाने की बात है, इसकी व्यवस्था पड़ोसी राज्यों से सस्ता चावल खरीदकर की जाती है। इससे वह जीरी की कुटाई करने से भी बच जाते हैं।

प्रदेश में 300 करोड़ का हुआ चावल घोटाला 

प्रदेश में 300 करोड़ का चावल घोटाला उजागर हो चुका है। इसमें 21 राइस मिलर संचालकों पर केस भी दर्ज हुए थे। 

स्टॉक लें, लेकिन उत्पीडऩ न करें प्रशासन : प्रवीण बटार 

राइस मिल एसोसिएशन के सचिव प्रवीण बटार का कहना है कि हर बार इस तरह की वेरिफिकेशन होती है, लेकिन नॉर्मल तरीके से होती है। इस बार इन्होंने मिल को कब्जे में ले लिया है। यह व्यापारियों का उत्पीडऩ है। 


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