जीवन में प्रेम भरकर देखो, शत्रु भी मित्र होंगे : सुभद्र मुनि
जागरण संवाददाता पानीपत जैन संत सुभद्र मुनि ने कहा कि जीवन में कोई भी व्यक्ति हमारा मित्र या
जागरण संवाददाता, पानीपत : जैन संत सुभद्र मुनि ने कहा कि जीवन में कोई भी व्यक्ति हमारा मित्र या शत्रु बनकर संसार में नहीं आता। हमारा व्यवहार, विचार, वाणी दूसरों को मित्र और शत्रु, अपना, पराया भाव बना देता है। सुभद्र मुनि गांधी मंडी स्थित जैन स्थानक में धर्म सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब मन में किसी के प्रति बुरे विचार नहीं हैं, इष्र्या, द्वेष, वैर की भावना नहीं है तो कोई पराया नहीं होता। मन में प्रेम, अपनापन, सहयोग प्रवृति है तो मित्र दिखाई देते हैं। मन में प्रेम है तो किसी का दिल दुखी नहीं होगा। दूसरों का कष्ट भी दिखाई देता है। दूसरों के प्रित, सहयोग, सौहार्द की भावना रहती है।
उत्तर भारत प्रवर्तक सुभद्र मुनि ने फरमाया जीवन प्रेम से भरा है तो शत्रु भी मित्र दिखाई देते हैं। मित्र बन जाते हैं। मैत्री भाव मन में हो तो क्रोध भाव शांत हो जाता है। जीवन को प्रेम से भरकर देखो जीवन आनन्दमय होगा। वह आनन्द संसार की वस्तुओं में संभव नहीं है।
धर्म सभा के बाद जैन साध्वियों ने बच्चों की शिक्षा दी। उन्होंने जीवन सफलता के लिए प्रेम से रहने, माता पिता, गुरुओं की आज्ञा में रहने का संदेश दिया।
अमित मुनि ने कहा कि जीवन में छोटे-छोटे नियम अपनाने, छोटे-छोटे त्याग करने से बहुत लाभ मिलता है। मुनि ने कहा कि पानीपत में पांच महा से सुभद्र मुनि अमृत वर्षा कर रहे हैं। सैकड़ों लोगों ने तप साधना की है। शुक्रवार को ओम भगवते श्री मल्लिनाथाये नम का जाप करवाया गया। एसएस जैन सभा के प्रधान जगदीश जैन, महामंत्री डा. ईश्वर जैन ने बताया कि बहन विमला जैन ने शुक्रवार को सातवें तप साधना का संकल्प लिया है।