आत्मा से है मानव देह की शोभा : राजेंद्र मुनि
जैन संत डॉ. राजेंद्र मुनि ने कहा कि आत्म तत्व के अभाव में जीवन शून्य है।
जागरण संवाददाता, पानीपत :
जैन संत डॉ. राजेंद्र मुनि ने कहा कि आत्म तत्व के अभाव में जीवन शून्य है। जिस शरीर के आधार पर मानव अपने को सर्वस्व समझता है वह शरीर पंच तत्वों का पुतला मात्र है। जिस प्रकार पिजरे की महता पंछी के कारण बनी रहती है। उसी प्रकार मानव देह की शोभा या अस्तित्व तभी तक हैं जब तक उसमें आत्मा है। जैन संत गांधी मंडी स्थित जैन स्थानक में धर्म परिषद सभा को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आज का मानव शरीर मुखी होने के कारण अशांति का जीवन यापन कर रहा है। मनुष्य मोह माया, काम क्रोध के विकारों से ग्रस्त है। आवश्यकता उसे आत्माभिमुखी बनने की। जनक सम्राट का अपर नाम ही विदेही था जो सदैव आत्मज्ञानी बना रहा । गुरु अष्टावक्र ऋषि के उपदेश से वह तन, मन व धन के साथ रहता हुआ भी सदा विदेही राजा बना रहा।
मुनि ने फरमाया कि नौका तभी तक सुरक्षित है जब तक वह पानी के ऊपर है। यदि नौका में पानी प्रवेश कर जाए तो खतरा बढ़ जाता है । मानव भी इस संसार में रहता हुआ जल कमलवत सदा ऊपर ऊठकर जीवन जीने का प्रयास करें।
सभा में साहित्यकार सुरेंद्र मुनि ने दान, शील और तप की व्याख्या करते हुए सदा भाव को पवित्र बनाने की प्रेरणा दी। भाव अशुभ होते ही कर्मो का बंधन बंधता रहता है। सभा में प्रधान जगदीश जैन, मंत्री डॉ. ईश्वर जैन, विजय जैन, विनय और सुरेश मौजूद रहे। प्रवचन के बाद मुनि अंसल जैन स्थानक पहुंच गए।