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Lakshchandi Mahayagya: कुरुक्षेत्र में लक्षचंडी महायज्ञ का आगाज, जानिए वैज्ञानिक क्यों ले रहे हैं इस यज्ञ में रुचि

कुरुक्षेत्र के थीम पार्क में 501 कुंडों में 11 दिन तक हर रोज दो लाख आहुतियां दी जाएंगी। इसके लिए ईंट व सीमेंट से 501 पक्के हवन कुंड बनाए गए हैं। खास बात यह है कि यहां सात देशों के करीब 150 वैज्ञानिक और शोधकर्ता हिस्सा लेंगे।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 03:29 PM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 03:29 PM (IST)
कुरुक्षेत्र के थीम पार्क में लक्षचंडी महायज्ञ का आगाज।

कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। महाभारत की धरती कुरुक्षेत्र में पहली बार वैज्ञानिक दृष्टि से महायज्ञ के प्रभावों पर शोध किया जाएगा। वैज्ञानिक चार मारदंड पर अपना रिसर्च करेंगे। इसमें मनोविज्ञान, सामाजिक विज्ञान, पर्यावरण व शारीरिक होगा। इसके लिए मां मोक्षदायिनी गंगाधाम ट्रस्ट ऋषिकेश-हरिद्वार शुक्रवार को लक्षचंडी महायज्ञ शुरू किया है। मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार एवं पूर्व मंत्री कृष्ण बेदी मुख्य यजमान रहे। धोती और कुर्ता डालने के बाद ही पंडाल में प्रवेश मिल रहा है। कृष्ण बेदी ने भी धोती कुर्ता बदलकर पंडाल में प्रवेश किया।

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501 हवन कुंड में डाली जाएंगी 2 लाख आहुतियां

कुरुक्षेत्र के थीम पार्क में 501 कुंडों में 11 दिन तक हर रोज दो लाख आहुतियां दी जाएंगी। इसके लिए ईंट व सीमेंट से 501 पक्के हवन कुंड बनाए गए हैं। खास बात यह है कि यहां सात देशों के करीब 150 वैज्ञानिक और शोधकर्ता हिस्सा लेंगे। मौसम को देखते हुए यज्ञशाला को झोपड़ी का आकार दिया गया है। इसके साथ वाटरप्रूफ टेंट लगाया गया है। आयोजन पर करीब चार करोड़ रुपये खर्च आने की बात कही जा रही है।

ट्रस्ट के संरक्षक हरिओम महाराज और महामंडलेश्वर डा. प्रेमानंद इसकी अगुवाई कर रहे हैं। 22 अक्टूबर शुक्रवार को पहले दिन एक लाख पाठ किए जाएंगे। दुर्गा और मां सरस्वती की पूजा के तहत रोजाना 501 कुंडों पर जाप व मंत्रोच्चारण के साथ करीब दो लाख आहुति डाली जाएंगी। देशभर से करीब सात सौ ब्राह्मण पहुंचे हैं। करीब दो सौ ब्राह्मण पिछले कई दिनों से पाठ कर रहे हैं। हर रोज करीब 10 क्विंटल हवन सामग्री लगेगी। इसमें आठ सौ टन देसी घी लगेगा। रोजाना 250 किलोग्राम से अधिक फल प्रसाद के रूप में लगेगा।

मानवता का संदेश देने के लिए महायज्ञ का आयोजन

यज्ञ संरक्षक स्वामी हरिओम महाराज ने बताया कि गीतानगरी कुरुक्षेत्र से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवता का संदेश देने व कोरोना जैसी महामारी के उन्मूलन के लिए दिव्य महायज्ञ किया जा रहा है। महायज्ञ को लेकर सभी तैयारियां पूर्ण की जा चुकी हैं। 300 वैदिक ब्राह्मणों ने बुधवार को दुर्गा सप्तशती के पाठ किए हैं। इसके साथ ही मुख्य यज्ञमंडप एवं 501 हवन कुंड भी बना लिए गए हैं। लक्षचंडी महायज्ञ को लेकर प्रदेश स्तरीय जागृति यात्रा में सभी लोगों को निमंत्रण दिया गया है। शुक्रवार 22 अक्टूबर को लक्षचंडी महायज्ञ शुरू होगा और यह एक नवंबर तक चलेगा। इसमें देशभर से यजमान शामिल होंगे।

वैज्ञानिक भी रहस्य जानने के लिए तैयार

लक्षचंडी महायज्ञ में आध्यात्मिक व विज्ञानी प्रभावों को जाना जाएगा। ऋतांवेषी योगायन फाउंडेशन के वैज्ञानित प्रतीक व्यास ने बताया कि महायज्ञ पर पूरी रिसर्च की जएगी। इसके लिए एक हजार प्रश्न पत्र तैयार किए गए हैं। एक प्रश्न पत्र में 170 प्रश्न होंगे। रैंडम इवेंट जनरेटर (आरईजी) मशीन यहां लगाई गई है। एक मशीन को पांच किलोमीटर दूर लगाया गया है। मशीन में आसपास की ब्राइब्रेशन को रिकार्ड किया जाएगा। महायज्ञ शुरू होने व इससे पहले की वाइब्रेशन की रिकार्डिंग की जाएगी।

लक्षचंडी महायज्ञ में करीब दो गुना दो फीट के 500 हवन कुंड बनाए गए हैं। एक बड़ा हवन कुंड करीब छह गुना छह फीट का है। महायज्ञ स्थल पर रैंडम इवेंट जनरेटर, पालिग्राफ और बीसीए मशीन लगाई हैं। एक रैंडम इवेंट जनरेटर मशीन को आयोजन स्थल से पांच किलोमीटर दूर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से आगे लगाया गया है।


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