कुरुक्षेत्र एनआइटी को मिली बड़ी जिम्मेदारी, मरीजों को परेशानी होते ही डॉक्टरों को एप से मिलेगा संदेश
शरीर का तापमान बढ़ते ही चिकित्सक को मैसेज पहुंचाने जैसे सुविधाजनक एप तैयार करेंगे कुरुक्षेत्र के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानके विद्यार्थी। कुरुक्षेत्र के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान को तीन साल में तीन हजार विद्यार्थियों को उद्योगों के लिए तैयार करने का लक्ष्य।
कुरुक्षेत्र, [विनोद चौधरी]। राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा हासिल कुरुक्षेत्र के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में तैयार किए गए सेेंटर आफ एक्सीलेंस में युवा पीढ़ी शरीर का तापमान बढ़ते ही चिकित्सक को मैसेज पहुंचाने जैसे सुविधाजनक एप पर भी काम कर सकेगी। सेंटर में बनाई लैब में उपलब्ध अत्याधुनिक साफ्टवेयर की मदद से मेडिकल क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण एप पर काम किया जाएगा।
विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि इन लैब में साफ्टवेयर प्रोग्रामिंग कर गंभीर बीमारियों से पीडि़तों के लिए ऐसे एप तैयार किए जाएंगे जो किसी भी तरह की दिक्कत होते ही सेंसर की मदद से अपने आप चिकित्सक को मैसेज भेजेंगे। खास बात यह है कि इस सेंटर में स्थापित अलग-अलग लैब में अत्याधुनिक उपकरणों के माध्यम से न केवल नए डिजाइन तैयार किए जाएंगे, बल्कि इनकी मैन्युफैक्चरिंग भी की जाएगी। विकसित देशों में काम कर रहे साफ्टवेयर पर भी इस लैब में आसानी से काम किया जा सकेगा।
एनआइटी में सीमेंस सेंटर आफ एक्सीलेंस का मंगलवार को राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने आनलाइन शुभारंभ किया था। 188 करोड़ रुपये की लागत से तैयार इस सेंटर में 11 लैब बनाई गई है। इन लैब में एक-एक से अत्याधुनिक उपकरण लगाए गए हैं, जिनकी मदद से युवा पीढ़ी देश के उद्योग का नई दिशा देने के साथ-साथ पूरे विश्व के सामने अपनी प्रतिभा दिखा सकेगी।
माइंड टू मार्केट पर होगा काम
इस सेंटर में माइंड टू मार्केट पर काम होगा। सेंटर में डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग दोनों पर काम होगा। युवा पहले ग्राहक की आवश्यकता पर ध्यान देंगे, उसके बाद उत्पाद डिजाइन करेंगे। इसका विश्लेषण, निर्माण और निरीक्षण भी करेंगे।
कृषि और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में दे सकते योगदान
सेंटर में विद्यार्थियों को उद्योग के लिए तैयार करने के साथ-साथ नए आविष्कार किए जाएंगे। इनमें सबसे पहले मानव जीवन को सुविधाजनक बनाने वाले प्रोग्राम तैयार किए जाएंगे। इनमें कृषि क्षेत्र से लेकर रेस्टोरेंट और अन्य उत्सवों में बढ़ते प्लास्टिक के उपयोग को कम कर 100 फीसद बायोडिग्रेडेबल और कंपोस्टेबल टेबल वेयर तैयार करने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है।
हर तरह के प्रोग्राम तैयार करने वाले साफ्टवेयर उपलब्ध
एनआइटी के निदेशक पद्मश्री डा. सतीश कुमार ने बताया कि इस सेेंटर में हर तरह का प्रोग्राम तैयार करने के साफ्टवेयर उपलब्ध हैं। सेंटर में अगले तीन साल में प्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों के भी तीन हजार के करीब विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। लैब में मानव जीवन को सुविधा देने वाले नए-नए प्रोग्राम पर काम किया जा सकेगा।