साइकिल दौड़ाकर निर्धनता को पराजित करने की जिद, जानिए संघर्ष की ये कहानी
गांव अमीन की नीरज यादव उधार की साइकिल से इतिहास रचने की तैयारी में है। उसका सपना साइकिलिंग में विश्व की नंबर वन खिलाड़ी बनने का है। अब तक राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कई पदक जीते।
पानीपत [सतीश चौहान]। जिस गांव की जमीन पर महाभारत के चक्रव्यूह को रचा गया था, उस अमीन गांव को नीरज ने एक नई पहचान दी। मुसीबतों के चक्रव्यूह को तोड़ वह लगातार सपनों को पूरा कर रही है। जानिए कौन है नीरज और क्या है उसकी कहानी। पढ़ें दैनिक जागरण की ये विस्तृत रिपोर्ट।
महाभारत में चक्रव्यूह रचना के लिए प्रख्यात गांव अमीन को अब तक वॉलीबॉल के लिए जाना जाता था। वहीं गांव की ही नीरज यादव ने अलग रास्ता पकड़ गांव को पहले एथलेटिक्स और अब साइकिलिंग में राष्ट्रीय स्तर पर बुलंदियों पर पहुंचाया है। नीरज यादव पिछले लगभग एक दशक से दोनों खेलों में दर्जनों बार राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हरियाणा का प्रतिनिधित्व किया है, बल्कि पदक भी प्राप्त किए हैं।
गरीबी से जूझकर पाया मुकाम
नीरज यादव गरीबी जैसी समस्याओं को दरकिनार करते हुए लगातार बुलंदियों को छू रही है। वर्तमान में नीरज यादव के खाते में आधा दर्जन से अधिक राष्ट्रीय स्तर के पदक हैं। यही नहीं नीरज यादव इतने गरीब परिवार से है कि उसके पास राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए अपना साइकिल भी नहीं है। उनके कोच परमवीर उसे साइकिल मुहैया कराते हैं तो वह प्रतियोगिता में भाग लेती है।
एथलेटिक्स से शुरू किया था खेलना
नीरज यादव ने गांव अमीन के वीर अभिमन्यू वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से 14 आयु वर्ग में एथलेटिक्स में खेलना शुरू किया। वर्ष 2008 में पहली बार नीरज यादव ने स्कूल नेशनल खेला और 100 मीटर और 600 मीटर में भाग लिया। उसके बाद 2009 में नार्थ जोन स्कूल नेशनल 2010 में स्कूल नेशनल अमृतसर, 2011 में माल्यावाड़ी पूणे में स्कूल नेशनल में ब्रांज मेडल प्राप्त किया।
साइकिलिंग में बनाया करियर
वर्ष 2015 में नीरज ने साइकिलिंग में करियर बनाया। नीरज ने पहली बार वर्ष 2015 में आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी पटियाला में ट्रेक स्पर्धा में भाग लिया। 2016 में सीनियर नेशनल अलीगढ़ में भाग लिया और गोल्ड मेडल पर कब्जा किया। वर्ष 2017 में आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी लुधियाना में ट्रेक और रोड दोनों मुकाबलों में सिल्वर मेडल प्राप्त किया। इस वर्ष कुरुक्षेत्र में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में ब्रांज मेडल प्राप्त किया।
गांव से आती है साइकिलिंग की प्रेक्टिस के लिए
नीरज यादव कुरुक्षेत्र से आठ किलोमीटर दूर गांव अमीन से हर रोज दिन में दो बार साइकिलिंग की प्रेक्टिस के लिए आती है। नीरज साइकिल से ही कुरुक्षेत्र आती है और इसी से जाती है। ग्रामीण भी खिलाड़ी की मेहनत को देखकर एक बार उसकी कामयाबी की प्रार्थना जरूर करते हैं।