जानिये, टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए क्या कर रहे हैं पहलवान
विदेश पहलवानों को टक्कर देने के लिए सीख रहे विदेश कोचों से दांव-पेंच। पानीपत में एक करोड़ी दंगल में भाग लेने पहुंचे पहलवान। साक्षी बजरंग पूनिया मौसम खत्री ने किया पदक का वादा।
पानीपत [विजय गाहल्याण] : ओलंपिक 2020 जापान के टोक्यो में होगा। इसके लिए देश के नामचीन पहलवान ने रणनीति के तहत कड़े अभ्यास में जुट गए हैं। वे विदेश पहलवानों को टक्कर देने के लिए विदेश कोचों से भी दांव-पेंच सीखे रहे हैं। उनका लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ पदक जीतना है। उन्हें अप्रैल में होने वाली एशियन कुश्ती चैंपियनशिप और फिर सितंबर में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में पदक जीतकर ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना है। स्टार पहलवान इन दिनों किस तरह अभ्यास कर रहे हैं, इनकी दिनचर्या क्या रहती है, यह जानने के लिए दैनिक जागरण ने इनसे बात की। सभी पहलवान पनीपत में एक करोड़ी दंगल में भाग लेने पहुंचे हैं।
बजरंग पूनिया ने विदेशी कोच से ली ट्रेनिंग
झज्जर के खुंडन गांव के बजरंग पूनिया का कहना है कि कुश्ती मुकाबले में किसी भी पहलवान को कमजोर नहीं आंकता हूं। हर विरोधी से चुनौती मानता हूं। उसके वजन में अमेरिका, जापान, रसिया और इरान के दमदार पहलवान हैं। इन पहलवानों को टक्कर देने के लिए जार्जिया के कोच साको से जार्जिया, जर्मनी सहित कई देशों में ट्रेनिंग ले चुका हूं। फिलहाल बहालगढ़ कुश्ती सेंटर में हर रोज पांच घंटे अभ्यास कर रहा हूं।
ससुर के अखाड़े में अभ्यास में करती हैं साक्षी
ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक बताती हैं कि वह एशियन व विश्व चैंपियनशिप की ससुर सत्यवान कादियान के अखाड़े रोहतक में तैयारी कर रही हूं। सुबह-शाम तीन-तीन घंटे अभ्यास कर रही हूं। अपने मजबूत दांव लेग अटैक का प्रतिदिन 300 बार अभ्यास करती हूं। पति सत्यव्रत भी उनकी तकनीक सुधार में योगदान देते हैं।
अमित ने पदक जीतने के लिए बढ़ाया वजन
एशियन चैंपियन रोहतक के हिमायुपुर गांव के अमित धनखड़ ने कहा कि उनकी दादी रिसालो देवी की हरसत भी कि पोता पहलवान बने। दादी के सपने का साकार करने के लिए छत्रसाल स्टेडियम दिल्ली में अभ्यास किया। सफलता मिली। पहले 65 किलोग्राम में खेला। अब वजर 74 किलोग्राम कर लिया है। एशियन चैंपियनशिप की तैयारी के साथ-साथ ओलंपिक में पदक जीतने का लक्ष्य भी है। इसके लिए हर रोज छह घंटे अभ्यास करता हूं।
भारत केसरी मौसम खत्री सुधार रहे तकनीक
भारत केसरी मौसम खत्री कहते हैं कि लोग कहने लगे थी कि वह कुश्ती में सफल नहीं हो पाएगा। इसकी उसे परवाह नहीं है। वह हर रोज पांच घंटे मैट पर बीताता है। उसे पता है कि अगर तकनीक में सुधार कर लूंगा तो विरोध पहलवान को हराना मुश्किल नहीं है। ओलंपिक में जीतना असंभव नहीं है। यह सोचकर हर रोज अच्छा करने का प्रयास करता हूं।